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स्वावलंबन की राह चल निकलीं पश्चिम चंपारण की महिलाएं

बगहा-दो प्रखंड की लक्ष्मीपुर रमपुरवा पंचायत की दर्जनों महिलाएं कपड़ा सिलने से लेकर अचार बनाने मशरुम का उत्पादन मुर्गी पालन करने सब्जी उगाने के साथ मसाला सत्तू बनाने सब्जी बेचने तथा गोलगप्पे- चाट आदि का ठेला लगाकर प्रतिदिन पांच से छह सौ रुपये की कमाई कर रहीं हैंं।

By Vinay PankajEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 03:39 PM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 03:39 PM (IST)
स्वावलंबन की राह चल निकलीं पश्चिम चंपारण की महिलाएं
रामपुरवा में अपनी दुकान पर अचार आदि बेचने को बैठी महिला (जागरण)

पश्चिम चंपारण (बगहा), जागरण संवाददाता। पश्चिम चंपारण जिला अंतर्गत बगहा अनुमंडल के रमपुरवा गांव की आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाएं आत्मनिर्भर भारत की मिसाल पेश कर रहीं हैंं। यहां एक-दो नहीं दर्जनों महिलाओं को रोजगार मिला है।

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प्रतिदिन पांच से छह सौ रुपये की कमाई :

बगहा-दो प्रखंड की लक्ष्मीपुर रमपुरवा पंचायत के महादलित टोला, बीन टोला, झंडुआ टोला व कांही टोला की दर्जनों महिलाएं कपड़ा सिलने से लेकर अचार बनाने, मशरुम का उत्पादन, मुर्गी पालन करने, सब्जी उगाने के साथ मसाला, सत्तू बनाने, सब्जी बेचने तथा गोलगप्पे- चाट आदि का ठेला लगाकर प्रतिदिन पांच से छह सौ रुपये की कमाई कर रहीं हैंं।

घर में समृद्धि आने लगी :

कृष्णावती देवी ने बताया कि वह करीब एक माह से घरेलू मसाला, भुजिया व अचार बना रही हैंं। कृष्णावती ने कहा कि पिछले 14 दिनों की अथक परिश्रम से तैयार सारा सामान बीते माघी अमावस्या के दिन त्रिवेणी मेला में बिक गया। जिसमें उनको करीब छह हजार रुपये का लाभ हुआ। कलावती देवी ने बताया कि पिछले डेढ़ माह से किराना दुकान कर रही हैंं। इससे उनको प्रतिदिन चार से पांच सौ रुपये की बिक्री हो जाती है। इससे पहले वह सारा दिन एक घर से दूसरे घर गपशप कर समय व्यतीत करती थीं। झंडुआटोला की भगवंती देवी ने बताया कि उनके दुकान से करीब चार से पांच सौ रुपये का किराना सामान प्रतिदिन बिकता है। शाम के समय प्रतिदिन तीन से चार सौ का अंडा, आमलेट व पकौड़ी भूंजा की बिक्री होती है। इससे उनके घर में समृद्धि आने लगी है। आशा कुमारी ने बताया कि यहां कोई काम नहीं होने के कारण उनका पति परदेस जाकर काम करते थे। यहां काम के अभाव में दिन भर जुआ खेलता थे। आज उनको गोलगप्पे व टिक्की आदि बनाकर सुबह दस बजे तक दे दिया जाता है तो शाम तक सारा सामान के साथ छह से सात सौ रुपये लेकर घर आता है। ऐसे में हर गृहिणी अब स्वावलंबन का पाठ पढ़कर अपनी घर की आर्थिक समृद्धि के साथ आत्म निर्भर भारत अभियान को गति देने में लगी हुई हैं।

आत्मनिर्भर बनने व कुछ करने की प्रेरणा दी :

महिलाओं ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था गोरखपुर इन्वायरमेंटल एंड एक्शन ग्रुप (जीईएजी) के द्वारा बाढ़ के दिनों में जोखिम कम करने व बचाव आदि का काम किया गया था। उनकेे परियोजना प्रबंधक रविप्रकाश मिश्र व उनके सहयोगियों द्वारा आत्मनिर्भर बनने व कुछ करने की प्रेरणा के साथ आर्थिक मदद की गई थी।  


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