चाटी माई के आशीर्वाद से वाहनों की होती सुरक्षा, अन्य मनोकामनाएं भी होतीं पूरी, यहां बड़ी संख्या में पहुंचते भक्त
रमणीय प्राकृतिक वातावरण में स्थित पूर्वी चंपारण जिले के बंजरिया प्रखंड अंतर्गत अंबिका नगर के चाटी माई स्थान से लेगों की गहरी आस्था जुड़ी है।
पूर्वी चंपारण, [अमृत राज]। आस्था की गहराई जितनी अधिक होती है, भक्ति उतनी ही प्रगाढ़ होती है। पूर्वी चंपारण जिले के बंजरिया प्रखंड अंतर्गत अंबिका नगर में चाटी माई स्थान के संबंध में ऐसा ही कहा जा सकता है। यह मंदिर आकार मे भले ही बड़ा न हो, लेकिन श्रद्धालुओं में चाटी माई के प्रति आस्था बहुत विशाल है। अत्यंत रमणीय परिवेश में अवस्थित इस धार्मिक स्थल को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने की पहल जरूरी है।
पूजा के लिए वाहनों की लगी रहती भीड़
चाटी माई स्थान में प्रतिदिन सैकड़ों भक्तों की भीड़ लगती रहती है। नया वाहन खरीदने के बाद यहां के लोग मां के दरबार में लाकर पूजा कर आशीर्वाद पाना नहीं भूलते। पुजा के लिए प्रतिदिन यहां दोपहिया से लेकर चौपहिया वाहनों तक की अच्छी-खासी भीड़ लगी रहती है। निजी और व्यावसायिक वाहनों की पूजा कराने आने वाले लोगों का कहना है कि माई के आशीर्वाद से वाहन सुरक्षित रहता है, दुर्घटनाएं नहीं होती और कारोबारी वाहन से अच्छी आय होती है। वहीं अन्य मनोकामनाएं लेकर भी भक्त माई के दरबार में पहुंचते हैं।
रमणीय प्राकृतिक दृश्य के मध्य स्थित है स्थान
बापूधाम मोतिहारी स्टेशन से डेढ़ किमी दूरी पर स्थित चाटी माई स्थान जाने के क्रम एक नहर आती है। नहर व सड़क के दोनों किनारे पौधों की कतार लगी है। चारों तरफ शांति का अनुभव होता है। आसपास खेत हैं।पास ही में एक धनौती नदी बहती है। इस मनोरम दृश्य को देखकर मन को सुकून मिलता है। सुबह-शाम लोग यहां टहलने भी आते हैं। इस तरह चाटी माई के दर्शन के साथ स्वास्थ्यकर माहौल का लाभ भी उन्हें मिलता है।
मनोकामना पूरी होने पर कराते अनुष्ठान
मंदिर के बगल में ही अनुष्ठान आश्रम बनाया जा रहा है। इसके संचालक अरविंद मिश्रा का कहना है कि चाटी माई स्थान पर लोग मनोकामना पूरी हो जाने के बाद आष्टयाम व अन्य अनुष्ठान करते हैंं। इस दरम्यान उन्हें ठहरने साथ ही यहां विवाह आदि को लेकर पहुंचने वालों के लिए इसका निर्माण कराया जा रहा है।
मेले में उमड़ती भीड़
चाटी माई स्थान पर प्रतिवर्ष नए साल, चैत्र नवरात्र तथा शारदीय नवरात्र के अवसर पर लगने वाले मेले में काफी भीड़ उमड़ती है। नए साल पर लगने वाला मेला तीन दिनों तक चलता है। यहांं भंडारा मे भी बड़ी संख्या में लेग जुटते हैं।
सोमवार, शुक्रवार को रहती भीड़
सोमवार और शुक्रवार को दूसरे दिनों के अपेक्षा अधिक लोग यहां आते हैं। ये दो दिन यहां मन्नत मांगने के लिए खास माने जाते हैं। इस दोनों दिन सुबह- शाम शिवचर्चा भी होती है। परिसर में कुल सात मंदिर हैं। पुजारियों की संख्या 12 है।
पर्यटन स्थल के रूप में विकास की संभावनाएं
इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की ठोस पहल जरूरी है। हालांकि 2018 में तत्कालीन पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा था कि यहां अतिथि गृह, सामुदायिक भवन, प्रवेश द्वार, सड़क समेत सभी सुविधाएं आने वाले भक्तों को मिलेगी। उन्होंने वहां उपस्थित तत्कालीन बीडीओ रमेंद्र कुमार को तत्काल प्रस्ताव तैयार कर सरकार सहित पर्यटन विभाग को भेजने का निर्देश दिया था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि चाटी माई स्थान के अगल- बगल उपलब्ध लगभग दस एकड़ सरकारी जमीन का सीमांकन कर उसे विकसित किया जाएगा। सड़कों के चौड़ीकरण का आश्वासन भी उन्होंने दिया था।
मंदिर के विकास में भूमिका
वर्तमान में मंदिर की देखरेख में सक्रिय बाबा अनिल कुमार ने चाटी माई की स्थापना के बारे में बताया कि उनकेे चाचा रामचंद्र भगत और उनके मित्र रामावतार भगत का मंदिर की स्थापना में बड़ी भूमिका रही है। पूर्व में यहां सिर्फ एक गहबर था। एक पीपल एवं एक खजूर का पेड़ था। चारों तरफ श्मशान था। तब इन्होंने चंदा मांग कर मंदिर का विस्तार किया । लोगों के सहयोग से माई स्थान को विस्तृत किया जा रहा है। यहां सड़क के लिए लोगों ने जमीन दान में दी है।