इस गुलाबी ठंड में आप आसपास में वन्यजीवों के दीदार का आनंद लेना चाहते हैं तो यह है सही जगह
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में नवंबर से फरवरी तक यहां का अधिकतम तापमान रहता है 20 से 30 डिग्री सेल्सियस। नेचर गाइड सैलानियों को करा रहे जंगल व ऐतिहासिक स्थलों का दीदार।
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में इन दिनों पर्यटन और मस्ती के लिए शानदार मौसम है। गुलाबी ठंड के बीच कोहरे में डूबी सुबह देश-विदेश के सैलानियों को अपनी ओर खींच रही है। आवासन और भोजन की बेहतर व्यवस्था से पर्यटकों को और सहुलियत हो रही है। जंगल सफारी और रोमांच की चाहत में दौड़े आ रहे पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
कई सैलानियों ने आनलाइन बुकिंग करा रखी है। वीटीआर प्रशासन सैलानियों को बेहतर सुविधा मुहैया करने के लिए तत्पर है। लगभग 900 वर्ग किलोमीटर में फैले वीटीआर का जंगल सैलानियों की पसंद की जगहों में शामिल रहा है। गंडक नदी का किनारा, गंडक बराज वीटीआर की रौनक में और चार चांद लगाता है। बिहार, उत्तर प्रदेश एवं नेपाल की आबोहवा में महफूज रहने वाला हर वो वन्य जीव वीटीआर में मौजूद है जिनको एक नजर देखने के लिए सैलानी लालायित रहते हैं। विश्राम के साथ वीटीआर की सैर से पर्यटकों को जिंदगी के तनाव से मुक्ति मिल जाती है। यही वजह है कि वन्यजीव और जंगलों से प्रेम करने वाले सैलानी इस मौसम में वीटीआर की ओर खींचे चले आ रहे हैं। दीपावली एवं छठ पर्व के समापन के पश्चात यहां पर्यटकों की अच्छी संख्या दिखाई दे रही है।
वीटीआर की सैर का आनंद
नवंबर के दूसरे हफ्ते में रातें जरूर गुलाबी सर्द का एहसास करा रही हैं। मगर, दिन का तापमान सामान्य रहने से पर्यटकों को कोई परेशानी नहीं हो रही। सुबह देर से हो रही है और शाम वक्त से कुछ पहले। पर्यटक नेचर गाइडों के साथ नवनिर्मित ईको पार्क समेत जंगल के अन्दरूनी इलाके में घूमने जा रहे हैं। वीटीआर के घने जंगल सूरज की रोशनी के लिए और इंतजार करा रहे हैं। पर्यटकों की सुविधा को साथ मौजूद रहने वाले नेचर गाइड वीटीआर के रोमांच और नई-पुरानी कहानियों से सबको रूबरू करा रहे हैं। वीटीआर में आने वाले ज्यादातर पर्यटक बाघ का दीदार करना चाहते हैं। लेकिन अधिकांश बाघों को देख नहीं पाते।
सर्दी में बदल गई जानवरों की लाइफस्टाइल
सर्दियों के मौसम में वीटीआर के जानवरों की लाइफ स्टाइल भी बदल गई है। घने जंगलों के बीच रह रहे जानवर सर्दियों की धूप खाने बाहर निकल रहे हैं। वीटीआर से सटे गंडक नदी के जलाशय के बाहर मगमच्छ आराम फरमाते हुए देखे जा सकते हैं। इसी जलाशय के आसपास बारहसिंघों के झुंड भी निकल पड़ते हैं और उसके शिकार के लिए बाघ अक्सर आते हैं। सर्दियां आते ही जानवर अपने लिए गर्म आशियाना तलाश करने में दिन भर भटकते हैं। रात के वक्त इनको छेडऩा करना खतरनाक हो सकता है। इसलिए आमतौर पर जंगल सफारी सिर्फ दिन के उजाले में ही की जाती है। हाल में बोङ्क्षटग के शुभारंभ के बाद पर्यटकों का वाल्मीकिनगर के प्रति आकर्षण और बढ़ गया है।
वीटीआर में जीवों का संसार
वीटीआर में बाघ, तेन्दुआ, भालू , हाथी, चीतल, सांभर, बारहसिंहा हॉग डियर,गैंडा, लकडबग्घा,वाकिग डियर, सहित दर्जनों दुर्लभ वन्य प्राणी मौजूद है ।
पार्क का भूगोल
करीब 900 वर्ग किमी में फैले वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल की सीमा उत्तर प्रदेश के सोहगीवरवा वन्य अभ्यारण्य एवं नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से लगती है ।
कैसे पहुंचे वीटीआर
वीटीआर पहुंचने के लिए ट्रेन एवं बस की सुविधा उपलब्ध है । पर्यटक चाहे तो निजी वाहनों से भी आ सकतें हैं । बगहा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से उतरने के लिए बस की सुविधा है।