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West Champaran: गांवों की अदला-बदली की सूचना पर भड़के ग्रामीण, प्रदर्शन

आगे की कोई भी प्रक्रिया बढ़ी तो मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन करने की दी चेतावनी।तिरहुत प्रमंडल आयुक्त ने जारी किया था पत्र। उत्तर प्रदेश और बिहार के गांवों की अदला-बदली की सूचना पर बहरी स्थान के गांव के ग्रामीणों ने सोमवार को प्रदर्शन किया।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 04:48 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 04:48 PM (IST)
West Champaran: गांवों की अदला-बदली की सूचना पर भड़के ग्रामीण, प्रदर्शन
पश्‍च‍िम चंपारण के बगहा में गांवों की अदला बदली का व‍िरोध करते ग्रामीण। जागरण

बगहा (पचं), जासं। पिपरासी प्रखंड के मंझरिया पंचायती स्थित बहरी माई स्थान में गांवों की अदला-बदली की सूचना पर बहरी स्थान के गांव के ग्रामीणों ने सोमवार को प्रदर्शन किया।

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प्रदर्शन कर रहे सुनील साहनी, हरिहर भगत, कृष्णा गिरी, दिनेश गुप्ता, भोला,महंत कुशवाहा,संजय दूबे कन्हैया गुप्ता का कहना था कि हमारी मातृ भूमि बिहार हैं। हम वहां से कहीं नहीं जाएंगे। गांव में सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। बिजली, सड़क-पानी स्वास्थ्य, सुरक्षा आदि की सुविधा मिल रही है । फिर किस आधार पर उत्तर प्रदेश में गांवों के शामिल होने की बात चल रही है। हालांकि उत्तर प्रदेश के अधिकारी भी इस बात को मानने को तैयार नहीं है । वहां के कई नेता गांव अदला- बदली के पक्ष में नहीं है । ग्रामीणों ने कहा कि अगर यह प्रक्रिया आगे की गई तो हम लोग पटना पहुंचकर मुख्यमंत्री के समक्ष धरना- प्रदर्शन करेंगे।

अगर ऐसा हुआ तो पिपरासी प्रखंड का अस्तित्व ही हो जाएगा समाप्त

अगर गांवों के अदला-बदली की प्रकिया आगे बढ़ी तो पिपरासी प्रखंड का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। प्रखंड के दो पंचायत मंझरिया एवं सेमरालबेदहा के गांव को उत्तर प्रदेश में बदल कर देने की योजना पर मुसीबत बढ़ जाएगी। प्रखंड में सात पंचायत है। और ऐसे में दो पंचायत के गांव अगर उत्तर प्रदेश को बिहार सरकार ने सौंप दिया तो पिपरासी प्रखंड का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा । प्रखंड का दर्जा खत्म हो जाएगा। इसे पूर्व की तरह मधुबनी प्रखंड में जोडऩा पड़ेगा। इसको लेकर गांव के लोग बैठक कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि हम लोग के पूर्वज बिहार प्रदेश में ही रह गए। और तमाम तरह की बुनियादी सुविधा सरकार के द्वारा जनप्रतिनिधियों के द्वारा दी जा रही है । तो फिर किस कारण से इन गांवों को बदले के रूप में उत्तर प्रदेश को देने की मुहिम चल रही है। पूर्व जिला पार्षद सुदर्शन बीन, निवर्तमान प्रमुख यशवंत नारायण यादव, निवर्तमान प्रमुख प्रतिनिधि मुकेश लाल श्रीवास्तव, निवर्तमान मुखिया छोटेलाल प्रसाद ,समाजसेवी व विधायक प्रतिनिधि यशवंत प्रताप ङ्क्षसह उर्फ गुड्डू ङ्क्षसह, राजेंद्र यादव ,रङ्क्षवदर यादव ,देवेंद्र तिवारी ,सुनील साहनी पूर्व प्रमुख अहिल्या देवी, पूर्व जिला परिषद सदस्य उर्मिला देवी ,डीलर ध्रुव कुशवाहा, निवर्तमान प्रमुख भोलानाथ निषाद ,लाल बहादुर यादव आदि ने कड़ा विरोध किया है । कहा कि किसी भी सूरत में गांव को यूपी में नहीं मिलाने की मांग विधायक से की गई है।

सीएम से बात करेंगे विधायक

इन गांवों में बिजली-सड़क-पानी स्वास्थ्य ,सुरक्षा की व्यवस्था हो गई है । फिर इन गांवों को उत्तर प्रदेश में मिलाना उचित नहीं है । इस पर मुख्यमंत्री से बात मैं करूंगा । स्थानीय लोगों ने इस संबंध में जानकारी दी है। किसी भी सूरत में आठ गांव को उत्तर प्रदेश में नहीं मिलाने दी जाएगी ।

धीरेंद्र प्रताप  स‍िंंह उर्फ र‍िंकू सि‍ह , विधायक, वाल्मीकिनगर

ये है मामला

बगहा अनुमंडल के पिपरासी प्रखंड स्थित सेमरा लबेदाहा और मंझरिया पंचायतों के सात गांवों को उत्तर प्रदेश शासन के साथ अदला-बदली की कवायद शुरू हुई है। इन गांवों के बदले बिहार को कुशीनगर जिले के खड्डा तहसील स्थित सात गांव प्राप्त होंगे। दोनों प्रदेशों के जिन गांवों की अदला-बदली की चर्चा है, उनकी कुल आबादी करीब 30-30 हजार हैैै।

तिरहुत के प्रमंडलीय आयुक्त ने डीएम को पत्र लिखकर बिहार के सेमरा लबेदहा और मंझरिया पंचायत स्थित बहरी स्थान, मंझरिया, मंझरिया खास, श्रीपतनगर, नैनाहां, भैंसही व कतकी गांवों को यूपी शासन के अधीन करने से जुड़ी रिपोर्ट तलब की है। इन दोनों पंचायतों में करीब 10 हजार मतदाता है तथा आबादी 30 हजार है। इन गांवों तक जाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को यूपी के रास्ते होकर जाना पड़ता है। यूपी से इन गांवों का सीधा जुड़ाव है। कुछ इसी तरह खड्डा तहसील के मरचहवा, नरङ्क्षसहपुर, शिवपुर, बालगोङ्क्षवद, बसंतपुर, हरिहरपुर, नरैनापुर गांवों की कुल आबादी भी 30 हजार है। इन गांवों का सीधा जुड़ाव बिहार से है। उधर, इन गांवों से सटे कांटी टोला, मुजा टोला और सोहगीबरवा यूपी के महाराजगंज जिले के अधीन हैं। इन गांवों को कुशीनगर जिले से जोडऩे की योजना है।


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