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पश्चिम चंपारण: सावन में लगाएं पौधे, जड़ी- बूटी का सरंक्षण कर बचाएं जिंदगी

श्रावण मास में पौधा लगाने का विशेष महत्व है। हमारे पूर्वज एवं हम सभी भी पेड़ों व वनस्पतियों की पूजा करते रहें हैं जिसमें तुलसी पीपल वटवृक्ष नीम इत्यादि जिस पर जल चढ़ाकर प्रेरणा लेते हैं जो हमें औषधीय गुण की प्राप्ति कराता है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 03:13 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 03:13 PM (IST)
पश्चिम चंपारण: सावन में लगाएं पौधे, जड़ी- बूटी का सरंक्षण कर बचाएं जिंदगी
जड़ी- बूटी संरक्षण दिवस पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन। फोटो- जागरण

पश्चिम चंपारण, जासं। इस संसार में ऐसा कोई द्रव्य नहीं जो औषधि न हो। प्रत्येक पदार्थ का शोधन कर औषधि के रूप में प्रयोग किया जा सकता है, जो कि जीवन रक्षक सिद्ध हो सकता है। आयुर्वेद श्रेष्ठ जीवन शैली का नाम है तथा जीवन को स्वस्थ व सुखी बनाने वाले विज्ञान का नाम है। आयुर्वेद पूर्ण चिकित्सा विज्ञान है और औषधियों तथा जड़ी बूटियों की ज्ञान के साथ-साथ संपूर्ण मानव जीवन का शास्त्र तथा जीवन दर्शन है। उक्त बातें पतंजलि योग समिति के जिला प्रभारी पवन कुमार ने राष्ट्रीय जड़ी-बूटी दिवस पर आयुर्वेद शिरोमणि आचार्य बालकृष्ण के जन्मदिवस पर आयोजित तीन दिवसीय आयुर्वेद शिविर कही। सियारोंसती सुरेश नगर सोसाइटी परिसर के अभ्यास सत्र में कहा कि श्रावण मास में पौधा लगाने का विशेष महत्व है। हमारे पूर्वज एवं हम सभी भी पेड़ों व वनस्पतियों की पूजा करते रहें हैं जिसमें तुलसी, पीपल, वटवृक्ष नीम इत्यादि जिस पर जल चढ़ाकर प्रेरणा लेते हैं जो हमें औषधीय गुण की प्राप्ति कराता है। जल की पवित्रता के लिए उसमें तुलसी पत्र डालने का विधान है। पेड़-पौधे प्रकृति में व्यापत प्रदूषण एवं विष का नाश करते है वहीं दूसरी ओर यह जीवों के विकारों एवं रोगों का पूर्ण रूप से शमन करती है। पेड़-पौधे हमारे घरों का आंगन की शोभा ही नहीं अपितु यह धार्मिक, आध्यात्मिक, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी कल्याणकारी हैं । 

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आयुर्वेद में सैकड़ों ऋषि-मुनियों का ज्ञान समाहित

पतंजलि शिक्षक प्रकोष्ठ के जिला प्रभारी जगदेव प्रसाद व भारत स्वाभिमान के सह जिला प्रभारी मानव भारती ने कहा कि वर्तमान युग में वेदों से लेकर आयुर्वेद तक आर्षज्ञान परंपरा के सबसे प्रमाणिक विद्वान आचार्य बालकृष्ण महाराज आयुर्वेद के पुनरुद्धार तथा प्रचार-प्रसार में जुटे हैं, जिनमें महर्षि चरक, सुश्रुत, धनवंतरी, वाग्भट इत्यादि सैकड़ों ऋषि-मुनियों का ज्ञान समग्र रूप से समाहित है। आयुर्वेद यह जानकारी देता है कि आहार-विहार, जल, वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी पंचतत्व का विधि पूर्वक उपयोग प्राण दायक होता है। आयुर्वेद एवं योग मनुष्य को प्रकृति एवं स्वचेतना से जोड़ता है और श्रेष्ठ जीवन शैली का ज्ञान देता है । कार्यक्रम के आयोजक व परिसर संचालक तरुण गुप्ता व अरविन्द कुमार के निर्देशन में पौधारोपण किया गया व वितरण किया गया जिसमें भारत स्वाभिमान प्रभारी कमलेश झा, रोहित श्रीवास्तव, अपूर्व श्रीवास्तव, बलवंत कुमार, ललन राम, विजय साह समते अन्य लोग उपस्थित रहे।


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