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पश्चिम चंपारण: बारिश के बाद अब फसलों पर आफत, गन्ना व सब्जी की फसल को सबसे अधिक नुकसान

Bagaha News बीते तीन दिनों से बारिश थमने से नदियों का जलस्तर सामान्य हो गया है। लेकिन मौसम का रुख देखकर किसान चिंतित हैं। सबसे अधिक खतरा फसलों पर मंडरा रहा है। जिन खेतों में जलजमाव है उन खेतों की स्थिति अभी भी खराब है।

By Murari KumarEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 03:39 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 03:39 PM (IST)
पश्चिम चंपारण: बारिश के बाद अब फसलों पर आफत, गन्ना व सब्जी की फसल को सबसे अधिक नुकसान
पानी से सुख रहा सब्जी का पौधा

बगहा (पश्चिम चंपारण), जासं। बीते तीन दिनों से बारिश थमने से नदियों का जलस्तर सामान्य हो गया है। लेकिन, मौसम का रुख देखकर किसान चिंतित हैं। सबसे अधिक खतरा फसलों पर मंडरा रहा है। जिन खेतों में जलजमाव है, उन खेतों की स्थिति अभी भी खराब है। सबसे अधिक नुकसान गन्ना व सब्जी की फसल को हुआ है। वहीं धान के नर्सरी में तैयार बिचड़े जलजमाव के कारण सड़ गए हैं। अब समस्या यह है कि बारिश फिर से शुरू हो जाती है तो जिन खेतों में जलजमाव हुआ है, उनमें फसलों के उत्पादन पर ग्रहण लगना तय है। इसको लेकर कृषक पहले से हीं चिंतित हैं। प्रतिदिन आसमान में बादलों के उमड़ घुमड़ व हवा के जोर से किसानों की परेशानी कम होती नहीं दिख रही है।

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 इधर बारिश थमने से नदियों का जलस्तर कम हो गया है। जिससे इसकी धारा सामान्य हो गई है। पर, तटवर्ती गांवों के लोगों को अभी भी चैन नहीं है। मौसम का रुख देखकर इनको भी एकबार फिर से भय सता रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि ज्येष्ठ माह अभी तक खत्म नहीं हुआ है। अभी आषाढ, सावन व भादो का महीना बाकी है। ऐसे में इस बार बारिश किस करवट लेगी कहना मुश्किल है। बता दें कि प्रखंड से होकर गुजरने वाली करीब आधा दर्जन नदियों का रूप महज कुछ घंटों के बारिश में हीं दिख जाता है। जिसके बाद से एक सप्ताह जिंदगी को पटरी पर आने में लग जाता है। कृषि भूमि का कटाव अलग होता है। बता दें कि बीते कुछ दिनों में हीं लोगों ने यास चक्रवात का कहर व मानसून से पहले का हाल देख लिया है। जबकि अभी पूरा बरसात का महीना बाकी है।

कहते हैं किसान :-

बड़गो के किसान लालबाबू का कहना है कि ऊंचाई पर होने के बावजूद भी अभी तक बारिश का पानी खेतों में जमा है। इससे गन्ने की फसल को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सबुनी गांव के किसान विकास मिश्रा का कहना है कि दो दिन के बारिश में यह हाल है। वह भी गर्मी के दिनों में अब अगर बारिश होती है तो, रही सही कसर भी पूरी हो जाएगी। इधर तौहीद आलम का कहना है कि तमाम खर्चे के बावजूद भी अपने हाथ में कुछ नहीं है। बता दें कि प्रखंड का मुख्य नगदी फसल गन्ना व दूसरे नंबर पर सब्जी हीं है। जिससे कई परिवार के खर्चे जुड़े हैं। जो बीते दिनों हुए बारिश से काफी प्रभावित हुआ है।

 इस संबंध में प्रभारी बीएओ प्रदीप तिवारी ने कहा कि फसल क्षति का आंकड़ा कृषि कर्मियों के द्वारा तैयार किया जा रहा है। जिसे विभाग को अग्रेतर कार्रवाई की अनुशंसा के साथ प्रेषित किया जाएगा।


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