थाली-प्लेट की जगह पत्तल का कर रहे उपयोग, पानी की कर रहे बचत
प्रशांत समाज में मांगलिक सहित अन्य मौके पर भोज में प्लास्टिक, चीनी मिट्टी से तैयार प्लेट के प्रचलन के बीच पत्तल को बढ़ावा देते हैं।
मधुबनी, [विनय पंकज]। भोजन की टेबल पर प्रतिदिन चमचमाती थाली-प्लेट की जगह पत्तल। उद्देश्य सिर्फ एक, पानी की बचत। शहर के लोहापट्टी निवासी 42 वर्षीय किराना व्यवसायी प्रशांत कुमार कुछ ऐसा ही कर रहे हैं। उनके परिवार में करीब छह माह से नाश्ता व भोजन में पत्तल का प्रयोग हो रहा। इससे प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पानी के अलावा समय की बचत हो रही। प्रशांत समाज में मांगलिक सहित अन्य मौके पर भोज में प्लास्टिक, चीनी मिट्टी से तैयार प्लेट के प्रचलन के बीच पत्तल को बढ़ावा देते हैं। उनकी प्रेरणा से मधुबनी शहर के करीब एक दर्जन लोगों के घर भोजन की टेबल पर पत्तल देखा जा सकता है।
प्रतिदिन 40 लीटर जल की बचत
प्रशांत के 10 सदस्यीय परिवार में जलपान व भोजन के बाद थाली, प्लेट व कटोरों की सफाई पर प्रतिदिन तकरीबन 40 लीटर पानी खर्च होता था। डिटरजेंट पर प्रतिदिन करीब पांच रुपये खर्च और पानी का मोटर चलाने में बिजली की खपत होती थी। पत्तल के प्रयोग से इनकी तो बचत होती ही है, सफाई पर लगने वाला करीब एक घंटा और श्रम भी बचता है। वैसे प्रतिदिन पत्तल पर करीब 25 रुपये खर्च होते हैं।
एक दर्जन परिवारों ने अपनाई यह परंपरा
इससे प्रभावित करीब एक दर्जन से अधिक लोग भी अपने-अपने घरों में पत्तल की परंपरा बढ़ाने में लगे हैं। इनमें शामिल ओमप्रकाश सिंह, संतोष सिंह, ध्रुव नारायण त्रिपाठी, राजाराम साह, रोहित कुमार, सुनील चौधरी, राजेश साह और ललित झा का कहना है कि नियमित पत्तल का उपयोग काफी अच्छा है। पत्तल आसानी से गल जाते हैं। इससे पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होता। साथ ही पत्तल उद्योग को बढ़ावा भी मिलेगा। प्रशांत मांगलिक सहित अन्य मौकों पर प्लास्टिक, चीनी मिट्टी से तैयार प्लेट केप्रचलन के बीच पत्ते से तैयार पत्तल को बढ़ावा देते हैं। इसके लिए लोगों को जागरूक करते हैं।
इस तरह आया विचार
जलस्तर नीचे जाने से गर्मी में चापाकल से पानी नहीं आता था। इस कारण स्नान व कपड़े धोने में भी दिक्कत होती। तभी पानी बचाने के लिए पत्तल के इस्तेमाल का विचार प्रशांत के मन में आया। उनकी पत्नी मीना देवी कहती हैं, शुरू में तो यह थोड़ा असहज लगा, लेकिन यह व्यवस्था जल्द भा गई। घर आने वाले अतिथियों को भी यह पसंद आ रहा है। वहीं मधुबनी नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी जटाशंकर झा ने कहा कि घर के अलावा शादी-विवाह में पत्तल के प्रयोग से निश्चित रूप से भूमिगत जल की बचत होगी। इससे गर्मी में जल संकट से निजात मिलेगा। लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए।