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Muzaffarpur News: बागमती के जलस्तर में आई कमी लेकिन नहीं मिली राहत, सैकड़ों घरों में अब भी जमा है पानी

Muzaffarpur News पीपा व बसघट्टा पुल के समीप तीन फीट पानी जमा होने से आवागमन ठप कई गांवों में सड़कें डूबी होने से बढ़ी परेशानी। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर मजदूर खेतिहर मजदूर हैं। इसलिए उनके सामने जीवन यापन की समस्या गंभीर है।

By Murari KumarEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 09:57 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 09:57 PM (IST)
Muzaffarpur News: बागमती के जलस्तर में आई कमी लेकिन नहीं मिली राहत, सैकड़ों घरों में अब भी जमा है पानी
कटरा के बकुची में घरो में घुसा पानी

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बागमती के जलस्तर में आई कमी के बावजूद समस्याएं यथावत हैं। सैकड़ों  घरों में पानी जमा है। आवागमन बाधित है। जलजमाव से लोग परेशान हैं। मवेशियों के लिए चारा जुटाना भारी पड़ रहा है। बाढ़ की स्थिति में रविवार को सुधार हुआ। लगभग एक फीट जलस्तर में कमी आई। लेकिन, बाढ़ प्रभावित इलाकों में समस्या यथावत है। बकुची, नवादा, पतांरी, अंदामा, गंगेया, माधोपुर के सैकड़ों घरों में अभी भी पानी है जिससे लोग बेघर हैं। लोगों ने बांध, पड़ोसी की छत तथा स्कूलों में शरण ले रखा है। उनके सामने भोजन बनाने से लेकर पेयजल की समस्या बनी हुई है।

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 नवादा के सुनील मिश्र ने बताया कि दो दिनों तक शरणार्थियों के सामने विकट समस्या थी। नीचे बाढ़ से परेशानी तो ऊपर बारिश परेशानी का सबब बन गया था। रविवार को आकाश साफ होने से राहत मिली, लेकिन घर लौटना अभी संभव नहीं है। गंगेया हाईस्कूल से रेडक्रॉस तक सड़क पर तीन फीट पानी बह रहा है। वहीं नवादा स्कूल से बकुची चौक तक सड़क डूबी हुई है। बकुची पावर ग्रिड में पानी अभी भी जमा है। पीपा पुल एवं बसघटृा पुल के पास तीन फीट पानी जमा होने से  आवागमन ठप पड़ गया है।

 शिक्षक ललन कुमार ने बताया कि बकुची के दर्जनों लोगों के घर में पानी है। बकुची कॉलेज परिसर में पानी जमा होने से शरणस्थली का भी अभाव है। सबसे अधिक कठिनाई पशुपालकों के सामने है। उनके लिए पशुचारा जुटाना समस्या बन गई है। जिन लोगों ने पड़ोसी की छत पर शरण ले रखी है, वे मवेशी को कहां ले जाएं यह समस्या है। कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण घर लौटे प्रवासी मजदूरों के सामने आजीविका की समस्या है।

 बाढ़ नहीं थी तो खेतों में काम मिल रहा था। लेकिन, खेती डूब जाने से मजदूर बेकार हो गए। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर मजदूर खेतिहर मजदूर हैं। इसलिए उनके सामने जीवन यापन की समस्या गंभीर है। प्रखंड के कई भागों में जलजमाव की समस्या गंभीर बनी हुई है। बसघटृा से खंगुरा तक मुख्य सड़क पर पानी है जिसके जलस्तर कम होने के बाद भी चालू होने पर संदेह है। क्योंकि जल निकासी के लिए परियोजना बांध को काटना होगा। अभी के परिवेश में बांध काटना संभव नहीं है जिससे समस्या का निदान नहीं दिखता। 


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