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बकुची चौक पर बह रहा तीन फीट पानी, पलायन करने हो मजबूर हुए दुकानदार

कटरा में बागमती के जलस्तर में तीसरे दिन भी वृद्धि जारी रही। अगर जलस्तर में वृद्धि जारी रही तो जल्द ही पावर ग्रिड में पानी घुस जाएगा जिससे विद्युत आपूर्ति बाधित हो सकती है।

By Edited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 01:43 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 09:06 AM (IST)
बकुची चौक पर बह रहा तीन फीट पानी, पलायन करने हो मजबूर हुए दुकानदार
बकुची चौक पर बह रहा तीन फीट पानी, पलायन करने हो मजबूर हुए दुकानदार

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कटरा में बागमती के जलस्तर में तीसरे दिन भी वृद्धि जारी रही। बकुची चौक पर तीन फीट पानी बहने लगा, जिससे घबराकर दुकानदार पलायन कर गए। पावर ग्रिड के पास मुख्य सड़क पर चार फीट पानी बह रहा है। पावर ग्रिड चारों तरफ से पानी से घिर गया है। लोगों का कहना है कि अगर जलस्तर में वृद्धि जारी रही तो जल्द ही पावर ग्रिड में पानी घुस जाएगा जिससे विद्युत आपूर्ति बाधित हो सकती है। बकुची स्थित पीपा पुल से लेकर बकुची चौक तक तीन फीट पानी बह रहा है।

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पानी भर जाने से आवागमन ठप 

 पीपा पुल के एप्रोच पथ पर पानी भर जाने से आवागमन ठप पड़ गया है। गंगेया हाईस्कूल के पास तटबंध टूटे होने से पानी का बहाव मुख्य मार्ग होते हुए बर्री व भवानीपुर की ओर जारी है। बेनीबाद-रुन्नीसैदपुर मार्ग में नवादा से लेकर बसघटृा तक मुख्य सड़क पर तीन से पांच फीट तक पानी बह रहा है जिससे परिवहन सेवा बंद है। पतांरी और बकुची में पानी का बहाव इतना तेज है जिससे पैदल चलना भी कठिन लगता है। बकुची पावर ग्रिड के पास तीब्र बहाव के कारण तटबंध कटने का खतरा बढ़ गया है। तोखा सिंह बांध खुले रहने से आधा दर्जन गांवों में पानी प्रवेश कर गया है। इन गांवों में घुसा पानी बकुची, पतांरी, अंदामा, नवादा, गंगेया, माधोपुर, सोनपुर, भवानीपुर, बर्री, तेहवारा, बुधकारा, मोहना, चिचरी, चकभगदा, खंगुरा, पहसौल, डुमरी, चंगेल, शहनौली, धोबौली, कटरा, धनौर, शिवदासपुर आदि गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया। धनौर नुनिया टोली के पास बांध की मरम्मत की गई है जिससे वर्तमान में खतरा टल गया है। बसंत टोला पानी से घिरा हुआ है। ये हैं समस्याएं प्रखंड की सभी मुख्य सड़कों पर पानी बहने से आवागमन बाधित हो गया है।

बढ़ गई दूरी 

 कटरा उत्तरी से प्रखंड अथवा थाना जाने वाले को 10 किमी की दूरी की बजाए 60-70 किमी तय करनी पडे़गी। प्रखंड में नाव की भारी किल्लत है। महज छह नावें उपलब्ध हैं। बसघटृा में दो जगह, गंगेया, तेहवारा, बर्री, चंदौली, मोहनपुर, शहनौली, चंगेल, यजुआर पश्चिम, धनौर, शिवदासपुर आदि गांवों में नावों की जरूरत है। इसके अलावा आपातकालीन सेवा एवं पीड़ितों की सुरक्षा के लिए अलग नाव चाहिए। मवेशियों के लिए कोई शरणस्थली नहीं है और न पशु की दवा का प्रबंध है। बोले बाढ़ पीड़ित बकुची चौक से पलायन करते संतोष साह ने कहा कि अब दो महीने तक बाढ़ के कारण भारी तबाही उठानी पडे़गी। इसके पहले पांच महीने लॉक डाउन के कारण व्यवसाय बंद था। अब खुला तो बाढ़ आफत बनकर आ गई। परिवार कैसे चलेगा, इसकी चिंता सता रही है।

बाढ़ के तीन महीने काटना मुश्किल

  धर्मेंद्र कामती ने कहा कि बाढ़ के तीन महीने काटना मुश्किल होगा। इस बीच न तो कोई रोजगार मिलेगा और न व्यवसाय होगा। परिवार की गाड़ी खींचना कठिन होगा। रमन भगत बोले कि हमारा पान का व्यवसाय ही आजीविका का साधन है। बाढ़ के कारण दो महीने जीवन यापन भारी पडे़गा। कर्ज लेकर ही परिवार का बोझ उठाना होगा।  सीओ सुबोध कुमार ने कहा कि  बाढ़ प्राकृतिक आपदा है। हम सभी धैर्य और सहयोग से इससे निपटेंगे। नाव की कमी को देखते हुए दो मोटर वोट की व्यवस्था की गई है। स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर कैंप बनाया गया है। एनडीआरएफ की दो टीम पहुंच चुकी है। बाढ़ पीड़ितों की हरसंभव सहायता की जाएगी। 


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