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कचरे का कहर, हवा में जहर : अंजाम तक नहीं पहुंची डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन योजना

शहर को कचरा मुक्त बनाने के लिए तीन साल पूर्व करोड़ों रुपये खर्च कर पूरे तामझाम के साथ शुरू की गई डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की योजना अंजाम तक नहीं पहुंच पाई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 02:23 AM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 06:08 AM (IST)
कचरे का कहर, हवा में जहर : अंजाम तक नहीं पहुंची डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन योजना
कचरे का कहर, हवा में जहर : अंजाम तक नहीं पहुंची डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन योजना

मुजफ्फरपुर। शहर को कचरा मुक्त बनाने के लिए तीन साल पूर्व करोड़ों रुपये खर्च कर पूरे तामझाम के साथ शुरू की गई डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की योजना अंजाम तक नहीं पहुंच पाई। निगम के दावों के विपरीत शहर के अधिकतर वार्डो से कूड़ा कलेक्शन में निगम विफल रहा। योजना को एक साल में शत-प्रतिशत सफल बनाने का दावा करनेवाली संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट (सीएसई) एवं इंडियन टोबैको कंपनी (आइटीसी) ने योजना के नाम पर जमकर अपनी ब्रांडिंग की। सीएसई बीच रास्ते से गायब हो गई और अब आइटीसी भी यहां से जाने की तैयारी कर रही है। शहर के सभी वार्डो में योजना को शत-प्रतिशत लागू करने को नगर निगम के साथ वर्ष 2016 में सीएसई एवं आइटीसी ने करार किया था। स्वच्छ, स्वस्थ एवं समृद्ध मुजफ्फरपुर का सपना दिखाया था, लेकिन तीन साल बाद भी सपना साकार नहीं हुआ। योजना बीच रास्ते में धड़ाम हो गई। 80 हजार कूड़ेदान बांटे गए घरों में

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योजना के तहत शहर के सभी वार्डो में 80 हजार डस्टबिन बांटे गए। 40 हजार परिवारों को दो-दो, हरे व नीले रंग का डस्टबिन दिए गए। इसमें एक में गीला व दूसरे में सूखा कचरा जमा करने के लिए शहरवासियों को प्रेरित किया गया। लोगों ने ऐसा करना शुरू भी कर दिया। लेकिन, निगमकर्मी लोगों के घरों से अलग-अलग किए गए कचरे का कलेक्शन नहीं कर पाए। बचे बीस हजार परिवारों को निगम डस्टबिन उपलब्ध नहीं करा पाया। शहर के कई ऐसे मोहल्ले हैं, जहां लोगों ने अपने-अपने घरों में सूखे व गीले कचरे को अलग-अलग कर रखना शुरू कर दिया, लेकिन निगम के कर्मचारी उसे लेने नहीं आ रहे। इससे योजना अंजाम तक नहीं पहुंच पाई। निगम ने लोगों की मेहनत पर फेरा पानी

निगम के कहने पर लोगों ने मिले डस्टबिन में सूखे व गीले कचरे को अलग-अलग कर रखना शुरू किया, लेकिन निगम के कर्मचारी द्वारा किए गए प्रयास पर पानी फेर दिया। निगम के सूखे व गीले कचरे को अलग ले जाने की व्यवस्था नहीं होने से उसे फिर से मिला दिया गया। लोगों द्वारा अलग-अलग कर दिए गए गीले कचरे से खाद बनाने व सूखे कचरे को कबाड़ियों को बेचने का बना प्लान अपने लक्ष्य को नहीं पा सका। मजाक बना 20 टिपर से 49 वार्डो का कचरा कलेक्शन

निगम के पास मात्र बीच गार्बेज टिपर हैं। इसमें सूखे व गीले कचरे को अलग-अलग रखने की व्यवस्था भी है। लेकिन, सवाल यह उठता है कि शहर के सभी वार्डों में योजना को लागू करने के लिए 20 टिपर काम नहीं आए। निगम प्रशासन द्वारा पचास नए गार्बेज टिपर खरीदे गए, लेकिन एजेंसी द्वारा आपूर्ति के बाद मुकदमे होने के कारण उसका लाभ नहीं मिला। सभी टिपर दो साल से पार्क स्थित जंगल में सड़ रहे हैं। दुकानदारों की अनदेखी बनी विफलता का कारण

डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन योजना से व्यावसायिक प्रतिष्ठनों एवं दुकानों को अलग रखा गया। वार्ड 20 के पार्षद संजय कुमार केजरीवाल ने निगम बोर्ड की बैठक में इस पर आपत्ति दर्ज की, लेकिन निगम द्वारा उनकी आपत्ति को रद्दी की टोकरी में डाल लिया गया।


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