VTR की हरियाली नेपाल की पहाड़ी नदियों की वजह से इस तरह खत्म होती जा रही, जानिए
VTR बरसात से पहले ही मदनपुर वन क्षेत्र में गंडक का कटाव शुरू 20 एकड़ जंगल को नुकसान। वाल्मीकिनगर रघिया व गोबद्र्धना वन क्षेत्रों में दर्जनभर पहाड़ी नदियां हर साल पहुंचातीं नुकस
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। वीटीआर (वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) की हरियाली पर नेपाल की पहाड़ी नदियों का काला साया पड़ गया है। बरसात का मौसम शुरू होने से पहले ही एक सप्ताह में सिर्फ गंडक नदी ही 20 एकड़ जंगल को नुकसान पहुंचा चुकी है। बीते कुछ सालों में हजारों एकड़ वन नदियों की भेंट चढ़ चुका है।
पहाड़ी नदियां हरियाली लील रहीं
890 वर्गमील में फैले वीटीआर की पहचान हरे-भरे जंगल और वन्य जीवों से है। लेकिन, पहाड़ी नदियां इसकी हरियाली लील रहीं। मदनपुर वन क्षेत्र के कांटी जंगल में बीते एक सप्ताह से गंडक तेजी से कटाव कर रही। यहां तीन दिन पहले कटाव निरोधी कार्य शुरू हुआ। इस पर करीब 1.45 करोड़ रुपये खर्च होंगे। लेकिन, इसके नाम पर सिर्फ खानापूरी की जा रही। कार्य की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है। वन अधिकारी दबी जुबान में इसकी जांच की आवश्यकता जता रहे।
गंडक की उपधारा व रोहुआ का नाला हुआ एक
मदनपुर वन क्षेत्र में समस्या इसलिए अधिक है, क्योंकि बगहा-छितौनी रेल पुल के निर्माण के समय डाउन साइड में जो गाइड बांध बनाया गया था, उसे पूरब दिशा की ओर मोड़ दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि गंडक की धारा दक्षिण से पूरब की ओर मुड़ गई। दियारे में कटाव के बाद पिछले साल गंडक की उपधारा व रोहुआ का नाला एक साथ मिल गया था। इससे मदनपुर वन क्षेत्र के कक्ष संख्या एक व दो का अधिकतर भाग नदी में समाहित हो गया था।
दूसरी ओर, वाल्मीकिनगर, गोबद्र्धना व रघिया वन क्षेत्रों में पहाड़ी नदियां हर साल बरसात में औसतन 200 एकड़ जंगल को अपनी आगोश में ले लेती हैं। ये नदियां झिकरी, भपसा, कोसिल, गुटरी, मनोर, ढोंगही, ङ्क्षसघा, डेंगी, बलोर, कापन, भलुई, मसान व रघिया हैं।
वीटीआर के मुख्य वन संरक्षक हेमकांत राय का कहना है कि गंडक विभाग ने पिछले साल कटाव स्थल का जायजा लिया गया था। कटावरोधी कार्य शुरू हो गया है। गुणवत्ता की देखरेख की जवाबदेही संबंधित विभाग के अभियंताओं की होती है।
कार्यपालक अभियंता जल संसाधन विभाग, बगहा फाहरुख आजम लारी का कहना है कि 1.45 करोड़ की लागत से 3.4 किलोमीटर के दायरे में कटावरोधी काम हो रहा। इसके अलावा वाल्मीकिनगर से रजवटिया तक 62 किलोमीटर के दायरे में काम होगा। इसका सर्वे कराया जा रहा है।