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पटना के गांधी मैदान पहले बांकीपुर के नाम से जाना जाता था, जानें कैसे बदला नाम... Muzaffarpur News

शहर के विश्वनाथ प्रसाद चौधरी के प्रस्ताव पर राज्य सरकार ने छह अप्रैल 1948 को लगाई थी मुहर। बापू के आंदोलनों को लेकर सुझाए गए थे कई नाम अभिलेखागार में रखे पत्र दे रहे इसकी गवाही।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 11 Aug 2019 05:22 PM (IST)Updated: Sun, 11 Aug 2019 10:19 PM (IST)
पटना के गांधी मैदान पहले बांकीपुर के नाम से जाना जाता था, जानें कैसे बदला नाम...   Muzaffarpur News
पटना के गांधी मैदान पहले बांकीपुर के नाम से जाना जाता था, जानें कैसे बदला नाम... Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर [प्रेम शंकर मिश्रा]। कई आंदोलनों व सत्ता परिवर्तन का गवाह पटना का गांधी मैदान। पहले इसका नाम बांकीपुर मैदान था। मुजफ्फरपुर शहर के विश्वनाथ प्रसाद चौधरी की अनुशंसा पर राज्य सरकार ने छह अप्रैल 1948 को एक आदेश पारित किया। इसमें कहा गया कि बांकीपुर मैदान अब गांधी मैदान के नाम से जाना जाएगा। 

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 ऐतिहासिक मैदान का नाम बदले जाने के पीछे की कहानी दिलचस्प है। आजादी के एक वर्ष भी नहीं बीते थे कि बापू की हत्या हो गई। इसके बाद देशभर में शोक व प्रार्थना सभाएं हुईं। सभा स्थल की सूचना आकाशवाणी से प्रसारित की जाती थी। पटना रेडियो से लगातार प्रसारित सूचना 'बांकीपुर में प्रार्थना सभा का आयोजन होगा' से मुजफ्फरपुर के विश्वनाथ प्रसाद चौधरी को अच्छा नहीं लगा। उन्होंने सरकार को लिखे पत्र में कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जिस धरती पर बापू ने महीनों बैठकर प्रार्थना की। उस पवित्र भूमि का नाम उनके नाम पर नहीं हो, यह दुख की बात है। इसे देखते हुए मैदान का नाम बापू के नाम पर रखा जाए।

महज दो माह में निर्णय

विश्वनाथ प्रसाद चौधरी (मेसर्स धीना चौधरी, गोपाल चौधरी) ने चार फरवरी 1948 को प्रधान सचिव को यह पत्र लिखा। इसपर सरकार ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। 20 फरवरी को राजस्व विभाग ने इसपर काम करना शुरू किया। महत्वपूर्ण यह है कि इस ऐतिहासिक निर्णय में महज दो माह का ही वक्त लगा। छह अप्रैल को सरकार ने आदेश जारी कर दिया।

सुझाए गए थे पांच नाम

बिहार सरकार मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अधीन अभिलेखागार में विश्वनाथ प्रसाद चौधरी के पत्र व इसके बाद की प्रक्रिया के पत्र सुरक्षित रखे हैं। अभिलेखों पर रिसर्च कर रहे अभिलेख पदाधिकारी सचिन चक्रवर्ती कहते हैं कि पत्र में पांच नाम सुझाए गए थे। इनमें महात्मा गांधी मैदान, गांधी मैदान, गांधी उद्यान, गांधी प्रार्थना सभा मैदान, गांधी पार्क शामिल थे। सरकार ने गांधी मैदान के नाम पर मुहर लगाई।

सामाजिक व्यक्ति थे विश्वनाथ 

सरैयागंज निवासी विश्वनाथ प्रसाद चौधरी के परिवार में अभी पौत्र भरत प्रसाद चौधरी व दो प्रपौत्र हैं। भतीजे हरिशंकर चौधरी कहते हैं कि चार भाइयों में वे सामाजिक कार्यों में अधिक रुचि लेते थे। उनका निधन 1975 में हो गया था। इस परिवार में किसी सदस्य को यह जानकारी नहीं कि एक ऐतिहासिक नाम दर्ज कराने में उनके पूर्वज का योगदान था।

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