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विश्वकर्मा पूजा की तैयारी जोरों पर

देवशिल्पी बाबा विश्वकर्मा की पूजा में तीन दिन शेष रह गया है। चांदनी चौक, जेल चौक, नया टोला विद्युत सब स्टेशन परिसर व एनएच 28 के भगवानपुर-रामदयालु पथ स्थित विश्वकर्मा मंदिर सहित विभिन्न प्रतिष्ठानों में लोग जोर-शोर से पूजा की तैयारी चल रही है।

By Edited By: Published: Wed, 14 Sep 2016 01:46 AM (IST)Updated: Wed, 14 Sep 2016 01:46 AM (IST)
विश्वकर्मा पूजा की तैयारी जोरों पर

मुजफ्फरपुर। देवशिल्पी बाबा विश्वकर्मा की पूजा में तीन दिन शेष रह गया है। चांदनी चौक, जेल चौक, नया टोला विद्युत सब स्टेशन परिसर व एनएच 28 के भगवानपुर-रामदयालु पथ स्थित विश्वकर्मा मंदिर सहित विभिन्न प्रतिष्ठानों में लोग जोर-शोर से पूजा की तैयारी चल रही है। 17 सितंबर को सभी औद्योगिक कंपनियों व दुकानों में विशेष रूप से सभी उपकरणों और मशीनों की पूजा होगी। चांदनी चौक स्थित विश्वकर्मा मंदिर में प्रतिमा का रंग-रोगन हो चुका है। मंदिर के सामने पूजा पंडाल लगाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। पूजा कमेटी के पदाधिकारियों के अनुसार, उक्त तिथि को धूमधाम से पूजा होगी। यहां आसपास के विभिन्न व्यवसायिक प्रतिष्ठान मालिकों व वाहन चालकों के अलावा सुदूर क्षेत्रों के लोग भी पूजा में जुटेंगे। उधर, नया टोला स्थित विद्युत सब स्टेशन परिसर स्थित मंदिर में भी पूजा की तैयारी चल रही है। लोगों के अनुसार, यहां वर्षो से विश्वकर्मा पूजा चली आ रही है। मंदिर की स्थापना 1981 में की गई थी। तब से प्रतिवर्ष धूमधाम से पूजा का आयोजन होता है। इधर, जेल चौक पर हनुमान मंदिर परिसर स्थित बाबा विश्वकर्मा मंदिर में भी कमेटी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की बैठक हुई। तैयारी पर विचार-विमर्श हुआ। सुनील सिंह ने बताया कि उक्त तिथि को धूमधाम से बाबा विश्वकर्मा की पूजा होगी। पूरे मंदिर परिसर व आसपास रंग-बिरंगे फूलों, बिजली की लड़ियों व झालर से सजाया जाएगा। मंगलवार से रंग-रोगन होगा। उधर, एनएच 28 पर भगवानपुर-रामदयालु पथ में स्थित बाबा विश्वकर्मा मंदिर में पूजा की तैयारी चल रही है।

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वास्तु पुत्र हैं विश्वकर्मा

हरिसभा चौक स्थित राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी पं.रवि झा बताते हैं कि सृष्टि रचना के दौरान भगवान विष्णु के नाभि कमल से ब्रह्मा जी प्रगट हुए। ब्रह्मा के पुत्र धर्म का विवाह 'वस्तु' से हुआ। धर्म के सात पुत्र हुए। सातवें पुत्र का नाम 'वास्तु' रखा गया, जो शिल्पशास्त्र की कला में निपुण थे। वास्तु के विवाह के बाद उनका एक पुत्र हुआ, जिसका नाम विश्वकर्मा रखा गया। वे वास्तुकला के अद्वितीय गुरु बने। मान्यता है कि विश्वकर्मा पूजा करने वाले व्यक्ति के घर धन-धान्य तथा सुख-समृद्धि की कभी कोई कमी नहीं रहती है। पूजा की महिमा से व्यक्ति के व्यापार में वृद्धि व सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


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