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Vinoba Bhave Birth Anniversary : विनोबा भावे ने पदयात्रा के साथ शुरू किया था जीवनदानी शिविर

Vinoba Bhave Birth Anniversary सर्वोदय ग्राम परिसर में आयोजित शिविर में ग्रामदान का कराया था संकल्प। आचार्य विनोबा भावे का मुजफ्फरपुर से रहा खास लगाव।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 12:56 PM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 01:11 PM (IST)
Vinoba Bhave Birth Anniversary : विनोबा भावे ने पदयात्रा के साथ शुरू किया था जीवनदानी शिविर
Vinoba Bhave Birth Anniversary : विनोबा भावे ने पदयात्रा के साथ शुरू किया था जीवनदानी शिविर

मुजफ्फरपुर, अमरेंद्र तिवारी।Vinoba Bhave Birth Anniversary :  आचार्य विनोबा भावे महात्मा गांधी के अनुयायी थे। उनका मुजफ्फरपुर से लगाव रहा। यहां सर्वोदय ग्राम परिसर में नई तालीम विद्यालय में उनका शिविर चला था। इसकी चर्चा ध्वजा बाबू ने अपनी डायरी में भी की है। समाजसेवी संजीव साहू ने बताया कि भूदान आंदोलन के दौरान जिले में आगमन के दौरान चांडिल में उनको तेज बुखार लगा था। वह कोई अंग्रेजी दवा लेने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। अपने जिद पर अडे थे। उनके साथ पहुंचे तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, सीएम डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के साथ ध्वजा बाबू ने उनसे आग्रह किया। बहुत मनाया तो उसके बाद वह दवा लेने के लिए तैयार हुए थे। तबीयत ठीक हुई तो उसके बाद उनकी यात्रा आगे बढ़ी। संजीव साहू ने बताया कि बचपन में उनको विनोबा की गोद में खेलने का मौका मिला है।

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सर्वोदय ग्राम में लगा जीवनदानी शिविर

सर्वोदय ग्राम में जीवनदानी शिविर रखा गया था। यह जीवनदानी शिविर अन्य शिविरों से कई मायने में भिन्न और महत्वपूर्ण था। इस समय तक भूदान आंदोलन की पूरे देश में समर्पित सेवकों की एक अपनी सेना खड़ी हो गई थी। भूदान के लिए 15 दिनों से लेकर छह महीने और सालभर के समय देने का संकल्प लेना था।

11 सौ से अधिक लोगों ने जीवनदान का लिया था संकल्प 

सर्वोदय ग्राम में विनोवा की मौजूदगी में जीवनदानी शिविर शुरू हुआ था। इसमें 11 सौ से अधिक लोगों ने जीवनदान का संकल्प लिया था।

विनोबा छह बार आए थे बिहार 

बिहार में विनोबा ने भूदान यात्रा शुरू की थी। तब, झारखंड नहीं बना था और उसका क्षेत्र संयुक्त बिहार में ही शामिल था। वे छह बार बिहार आए और गए।

जीवन चक्र :

शुरुआती जीवन :

11 सितंबर, 1895 को उनका जन्म महाराष्ट्र के कोलाबा जिले के गागोड गांव में हुआ था। वर्ष 1982 के नवंबर महीने में गंभीर रूप से बीमार पड़े। अपने अंतिम दिनों में खाना या दवा लेने से इन्कार कर दिया था। 15 नवंबर, 1982 को उनका निधन हो गया।  


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