घर त डूब गेल अब जान पर आफत हई, न खाए के ठीक न रहे के Muzaffarpur News
फोरलेन पर रतजगा करने को मजबूर मिठनसराय-माधोपुर के लोग। गांव से निकलने वाले रास्ते पर चल रहा छह फीट पानी तबाही। अब तक राहत शिविर नहीं शुरू होने से ग्रामीणों के सामने संकट।
मुजफ्फरपुर, [अमरेन्द्र तिवारी]। पहाडपुर शनि मंदिर चौक से दरभंगा रोड में एनएच 57 फोरलेन बाढ़ पीडि़तों की शरणस्थली बनी हुई है। लसकरीपुर पंचायत के मिठनसराय-माधोपुर व पैगंबरपुर कोल्लुआ वार्ड एक से जान बचाकर लोग फोरलेन पर पहुंच रहे हैं। करीब 50 परिवार पहुंच गए हैं। बाकी किसी तरह से जान बचाकर निकल रहे हैं। प्रशासन की ओर से नाव उपलब्ध कराई गई तो उसके सहारे एक-एक कर आ रहे हैं। नाव कम पड़ रही है। एनएच पर जान बचाकर पहुंची सोनिया देवी बोली घर त डूब गेल, अब जान पर आफत हई हाकिम..। खाए के ठीक न रहके ठीक..। रतजग्गा करई छी, कहीं बाल-बच्चा के ट्रक-बस न रौद दे...। रात में त भगवाने मालिक हई...। वहां आश्रय लिए पीडि़तों ने बताया कि खाने-पीने का सामान तो घर में रह गया। कुछ बचाकर लाए उससे काम चल रहा है। सरकार की ओर से खिचड़ी भी नहीं मिल रही है। कुछ-कुछ खाकर जान बचा रहे हैं। जलावन, पानी सब के लिए परेशानी।
चिंता कब वाहन ले ले चपेट में
बाढ प्रभावित वार्ड पार्षद दिनेश राम ने बताया कि फोरलेन पर 24 घंटे वाहन दौड़ते रहता है। मन में भय रहता कि कब बाल-बच्चा वाहन के चपेट में आकर जान दे दे। शौचालय-पानी सबके आफत है। रोशनी की व्यवस्था नहीं है। महिलाओं-बच्चियों के अंदर भय है। पिछले साल प्रशासन की ओर से राहत शिविर बनाया गया था। उसमें सब कुछ की व्यवस्था थी लेकिन इस बार कोई सुविधा नहीं।
अंडरपास नीचे छह फीट पानी
गांव से नाव के सहारे लोग निकलकर बाहर आ रहे हैं। जिनकी अपनी छत है वह उस पर शरण लिए हुए हैं। जलस्तर लगातार बढऩे से ग्रामीणों मन में भय व दहशत है। अधिवक्ता अरुण पांडेय व दिलीप राम ने बताया कि पिछले रविवार से पानी प्रवेश करना शुरू किया। पहले दिन करीब चार फीट पानी अचानक प्रवेश कर गया। उसके बाद लगातार प्रतिदिन करीब आधा फीट पानी बढ़ रहा है। एनएच से गांव का संपर्क भंग हो गया है। सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल सिंह ने बताया कि एनएच फोरलेन से गांव में जाने के लिए रेलवे लाइन पर अंडरपास बना हुआ है। उस रास्ते में भी करीब 6 से 7 फीट पानी तेज धार से बह रहा है।
इस कारण फोरलेन से गांव में जाने के लिए करीब डेढ़ किलोमीटर नाव से सफर करना पड़ रहा है। पिछले साल पुल में नाव पलट जाने से दो लोग डूब गए थे। गांव वालों को मलाल है कि अंडरपास के बगल में रेलवे की सड़क अगर बनी रहती तो गांव वालों को बाहर निकलने में परेशानी कम होती। एनएच फोरलेन से रेलवे लाइन पार करते हुए शिवशंकर पासवान उर्फ दीपक के घर तक सड़क है। लेकिन रेलवे लाइन के इस पार से उस पार तक एप्रोच पथ नहीं भरे जाने के कारण हर साल बाढ़ में नाव ही सहारा होता है।
ग्रामीणों की जान पर खतरा रहता है। इधर मुखिया इन्द्रमोहन झा ने कहा कि काफी मशक्कत करने पर छह नावें मिलीं लेकिन अभी राहत शिविर नहीं चल रहा है। सड़क पर लोग रात काट रहे हैं। इसलिए वहां सुरक्षा प्रहरी की तैनाती होनी चाहिए। भोजन, पानी, शौचालय को लेकर परेशानी है। बाढ़ पीडि़तों की समस्या से प्रशासन को अवगत कराया गया है।