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स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड की रैकिंग में पिछड़ा पूर्वी चंपारण, मार्च तक लक्ष्य को पूरा करने का टास्क

जिले के 33वें रैकिंग पर जताई गई चिंता, स्थिति को सुधारने का निर्देश, 2531 आवेदकों को शिक्षा ऋण देने का लक्ष्य तय किया गया है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 05:58 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 07:30 AM (IST)
स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड की रैकिंग में पिछड़ा पूर्वी चंपारण, मार्च तक लक्ष्य को पूरा करने का टास्क
स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड की रैकिंग में पिछड़ा पूर्वी चंपारण, मार्च तक लक्ष्य को पूरा करने का टास्क

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को सहज तरीके से स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में ऋण उपलब्ध कराने की योजना जिले में लक्ष्य से पीछे नजर आ रही है। राज्य सरकार द्वारा जारी रैकिंग में पूर्वी चंपारण 33वें स्थान पर है। वित्तीय वर्ष समापन की ओर है।

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   इस स्थिति में लक्ष्य को पूरा करने को लेकर दिशा-निर्देश दिया गया है। रैकिंग में किशनगंज पहले स्थान पर है, जबकि दूसरे स्थान पर अररिया व तीसरे स्थान पर जहानाबाद है। मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह प्रबंध निदेशक बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम जयंत कुमार सिंह ने रैकिंग में पिछड़ रहे जिलों में कार्य की रफ्तार तेज करने को कहा है।

   उन्होंने कहा है कि कटिहार, अरवल, औरंगाबाद, गोपालगंज, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, पश्चिमी चंपारण, भागलपुर, पूर्वी चंपारण, गया, मधुबनी, मुंगेर, दरभंगा व भोजपुर में उपलब्धि 75 फीसद से भी कम है। वित्तीय वर्ष के समाप्त होने में केवल डेढ़ माह बचे हैं। आवेदन किस स्तर पर लंबित हैं इसकी जांच करते हुए लक्ष्य को हासिल करने का संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिया गया।

जिले के 2531 आवेदकों को शिक्षा ऋण देने का है लक्ष्य

राज्य सरकार के स्तर से जिले के 2531 आवेदकों को शिक्षा ऋण देने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके विरुद्ध 1332 आवेदकों के आवेदन स्वीकृत किए गए हैं। स्वीकृति के विरूद्ध 914 आवेदकों को ऋण दिया गया है। बताया गया कि जिले की उपलब्धि लक्ष्य के केवल 53 फीसद ही है। यह स्थिति निश्चित रूप से चिंताजनक है।

    छात्र-छात्राओं को सरकार ने सहज तरीके से जब ऋण देने की व्यवस्था किया है इसके बावजूद लक्ष्य को हासिल नहीं करना गंभीर है। शिक्षा वित्त निगम के माध्यम से अब छात्र-छात्राओं को ऋण दिया जा रहा है। यहां उन्हें ब्याज दर कम देने के साथ बैंकों का चक्कर भी नहीं लगाना पड़ रहा है।

    इस स्थिति में अधिक से अधिक छात्र-छात्राओं को इस योजना का लाभ मिलना चाहिए। कहा गया कि योजना के लाभ के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि छात्रों को योजना के बारे में जानकारी मिल सके।


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