बिहार विवि: वापस होगा दस से पांच ड्यूटी का फरमान, वीसी ने 03 दिन में फैसला वापसी का दिया आश्वासन
कुलपति आवास पर शिक्षकों के साथ नोकझोंक बैकफुट पर प्रशासन। पीजी टीचर्स एसोसिएशन व बुस्टा ने अलग-अलग बैठक कर जताया विरोध। रजिस्ट्रार के बहकावे में आकर शिक्षक विरोधी फैसला लेने का आरोप।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कॉलेज से विश्वविद्यालय तक के शिक्षकों से दस से पांच बजे तक यानी सात घंटे डयूटी लेने का तुगलकी फरमान वापस करने को विश्वविद्यालय प्रशासन आखिरकार तैयार हो गया है। गुरुवार को शिक्षकों के भारी दबाव के बाद कुलपति ने तीन दिनों के अंदर फैसले को वापस लेने का आश्वासन दिया। उनके आवास पर पीजी टीचर्स एसोसिएशन के साथ तीखी नोकझोंक भी हुई। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने उनके आवास पर ही धरने पर बैठने की बात कही तो कुलपति डॉ. आरके मंडल ने फैसले पर पुनर्विचार की बात कही। इससे पहले एसोसिएशन ने जूलॉजी विभाग में आमसभा की जिसमें विश्वविद्यालय के फैसले को तुगलकी फरमान करार देते हुए अविलंब वापस लेने की मांग उठी। महासचिव डॉ. विपिन राय ने कहा कि शिक्षकों का हुजूम वहां से सीधे वीसी आवास पहुंच गया और यहां गरमा-गरम बहस होने लगी। फैसला वापस लेने पर आनाकानी वाला रवैया देखकर शिक्षक कुलपति के साथ नोकझोंक पर उतारू हो गए। आखिरकार कुलपति को अपना फैसला तीन दिनों के अंदर वापस लेने का एलान करना पड़ा। मौके पर एसोसिएशन के अध्यक्ष पीके सिन्हा समेत तमाम पदाधिकारी भी मौजूद थे। शिक्षकों ने सीधे-सीधे रजिस्ट्रार कर्नल अजय कुमार राय को निशाने पर लिया। कहा कि उनके बहकावे में आकर कुलपति तुगलकी फरमान जारी करते हैं। बुस्टा ने भी बुलाई आपात बैठक
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय शिक्षकों के सात घटे रहने के फरमान के खिलाफ बुस्टा कार्यकारिणी की बैठक में एकस्वर में आक्रोश जताया गया। विश्वविद्यालय इतिहास विभाग में बुस्टा अध्यक्ष प्रो. विवेकानंद शुक्ला की अध्यक्षता में बैठक हुई। बिना किसी हवाले के कुलसचिव के हस्ताक्षर से महाविद्यालय/विश्वविद्यालय शिक्षकों के सात घटे (दस से पांच बजे) तक रहने संबंधी पिछले दिनों जारी त्रुटिपूर्ण अधिसूचना पर क्षोभ व्यक्त किया गया।
बुस्टा की कार्यकारिणी ने इस त्रुटिपूर्ण पत्र को तत्काल वापस लेने की माँग की है। बैठक में महासचिव डॉ.अवधेश कुमार सिंह, उपाध्यक्ष डॉ.जयकात सिंह, डॉ.रमेश प्रसाद गुप्ता, डॉ.गजेन्द्र कुमार, डॉ.प्रवीण कुमार, डॉ.विजय कुमार, डॉ.सुनील कुमार मिश्रा, डॉ.एमएन रजवी, डॉ. विपिन कुमार राय, डॉ.शिवानंद सिंह, डॉ.अनिल कुमार ओझा, डॉ.शकीला अजीम, डॉ.स्वस्ति वर्मा, डॉ.किरण कुमारी झा, प्रो.सौरभ राज आदि उपस्थित थे।
ये था आदेश और तोड़ मरोड़कर जारी हुआ फरमान
राजभवन सचिवालय द्वारा इस संदर्भ पूर्व जारी परिननियम पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। इस परिननियम के अनुसार महाविद्यालय/विश्वविद्यालय विभागों में शिक्षकों को पांच घटे रहना निर्देशित है। सप्ताह में चालीस घटे कार्यभार यथा-लेक्चर, शोध-कार्य, निर्देशन एवं शोध-पत्र प्रकाशन हेतु अध्ययन शामिल है, जो महाविद्यालय/विभाग से इतर अन्यत्र सुविधा उपयोग निहित है। यह निर्देश वर्ग व परीक्षा संचालन के अतिरिक्त संबंधित शिक्षक व संस्थान की गुणवत्ता-वृद्धि एवं प्रोन्नति के लिए अत्यावश्यक है। वर्तमान नैक मूल्याकन एवं प्रोन्नति के मानक भी संस्थान एवं शिक्षक संबंधित अकादमिक उन्नयन को बल देते हैं।