Valmikinagar Tiger Reserve: वीटीआर का पर्यटन सत्र शुरू, पहले दिन जंगल सफारी को पहुंचे छह पर्यटक
Valmikinagar Tiger Reserve Tourism नए पर्यटन सत्र में एक लाख से अधिक पर्यटकों के पहुंचने की संभावना। प्रशिक्षित गाडड सैलानियों को बाघ गैंडों के साथ वीटीआर की जैव विविधता के भी कराएंगे दर्शन। जानिए पर्यटकों के लिए कई तरह की सुविधाएं
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। Valmikinagar Tiger Reserve Tourism: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) का नए पर्यटन सत्र का शुभारंभ हो गया। पहले दिन छह पर्यटक पहुंचे। इसके लिए ऑनलाइन बुकिंग प्रारंभ है। वीटीआर में जंगल सफारी (Jungle Safari) पर आए छह पर्यटकों ने 300-300 रुपये खर्च कर कैंटर से जंगल सफारी का आनंद उठाया। फिलहाल पर्यटक वीटीआर में जंगल सफारी, ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों का आनंद उठा रहे हैं ।
व्यवस्था के बारे में जानकारी के लिए पर्यटकों का फीडबैक अनिवार्य रूप से लिया जाएगा। इस बाबत सीएफ हेमकांत राय ने बताया कि वीटीआर में इस बार बाघ, तेंदुआ, भालू आदि वन्य जीवों के साथ उसकी जैव विविधता को भी तरजीह दी जाएगी। ओपनिंग सत्र में प्रशिक्षित गाडड सैलानियों को बाघ, गैंडों के साथ वीटीआर की जैव विविधता के भी दर्शन कराएंगे।
पर्यटकों के लिए कई तरह की सुविधाएं
वीटीआर में ठहरने के लिए बैंबू हट, एसी और नॉन एसी कमरे उपलब्ध हैं। इस नये सत्र में एक लाख पर्यटकों के आने की संभावना है । यहां जंगल सफारी के लिए प्रत्येक दिन दो बार सुबह और एक बार शाम में जाने की व्यवस्था है। यहां लोगों को एडवेंचर विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, तालाब और हरियाली के बीच बने रास्ते लुभा रहे हैं। वीटीआर में वह सब कुछ है। जो एक नेशनल पार्क में होता है। वहीं हरियाली के बीच बने करीब 30 किमी लंबा रास्ता लोगों को प्रकृति की नजदीकी से रूबरू करा रहा है।
वाच टॉवर से दिखेगा खूबसूरत नजारा
यहां पांच किलोमीटर के दायरे में कई धार्मिक स्थल भी हैं और प्रकृति का रोमांच भी। वीटीआर का कुल क्षेत्रफल लगभग 900 वर्ग किलोमीटर है। वीटीआर की खास बात यह भी है कि बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व और उत्तर प्रदेश के सोहगीवरवा वन्य जीव अभ्यारण्य एवं नेपाल के चितवन नेशनल पार्क की सीमाएं आपस मे सटी हुई हैं और समीप से ही गंडक नदी बह रही है। गंडक नदी से नेपाल एवं उप्र की सीमा लगती है। दूसरी ओर त्रिवेणी धाम है। यहां तमसा, सोनभद्रा एवं नारायणी नदी का संगम है।
सामान्य दिनों में भी यहां घूमने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। इसके अलावा नरदेवी मंदिर, जटाशंकर धाम, वाल्मीकि आश्रम, कालेश्वर मंदिर, के दर्शन हेतु हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। ठहरने की सुविधा गंडक नदी के तट पर जंगलों के बीच बने होटल वाल्मीकि बिहार, जंगल कैंप परिसर में बने बंबू हट, फोर फ्लैट के अलावा वाल्मीकिनगर, गनोली, नौरंगिया, गोवर्धना, मदनपुर, दोन,मंगुराहा आदि जगहों पर वन विभाग के रेस्ट हाउस उपलब्ध है।
आसानी से देखे जा सकते हैं जानवर
वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना का दीदार करने के लिए सड़क एवं रेल मार्ग दोनों से पहुंचा जा सकता है। पर्यटक चाहे तो निजी वाहन से भी आ सकते हैं। वीटीआर में बाघ, तेंदुआ , भालू, कोबरा, जंगली सुअर, सांभर, खरगोश, हिरण और भौंकने वाले हिरण आसानी से देखे जा सकते हैं। बर्ड वाचिंग के शौकीनों के लिए भी यह मुफीद जगह है। जंगल सफारी कर पर्यटक पहाड़ियों की सुंदरता, घाटियों और नदियों के मनोरम दृश्यों का भी इस दौरान आनंद ले सकते हैं। वर्तमान में वीटीआर में 40 से अधिक बाघ है । अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर अवस्थित होने बावजूद भी वाइल्ड लाइफ के संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है।
कैसे पहुंचे वीटीआर
सड़क मार्ग---
वीटीआर पटना से करीब 300 किलोमीटर दूर है और वीटीआर के पास स्थित बेतिया यहां का प्रमुख शहर है।
रेल मार्ग
वीटीआर का नजदीकी रेलवे स्टेशन बगहा है। दिल्ली से बगहा के लिए सीधी ट्रेन भी चलती है। इसके अलावा आप चाहें तो गोरखपुर या मुजफ्फरपुर से रेल मार्ग के जरिए बगहा पहुंच सकते हैं ।