Move to Jagran APP

बिहार का वाल्‍मीकि टाइगर रिजर्व: यहां बाघ देखने के रोमांच संग धार्मिक पर्यटन का भी मिलेगा आनंद, जरूर आइए

बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में नेपाल सीमावर्ती इलाके में है वाल्‍मीकि टाइगर रिजर्व। यहां बाघ सहित अन्‍य जंगली जानवरों को देखने के रोमांच के बीच आप धार्मिक पर्यटन का भी आनंद ले सकते हैं। राजधानी पटना से वीटीआर के लिए यात्रा पैकेज उपलब्‍ध हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 06:25 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 06:29 PM (IST)
बिहार का वाल्‍मीकि टाइगर रिजर्व: यहां बाघ देखने के रोमांच संग धार्मिक पर्यटन का भी मिलेगा आनंद, जरूर आइए
वाल्‍मीकि टाइगर रिजर्व का गेट। तस्‍वीर- जागरण।

बेतिया, सुनील आनंद। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) में बाघ सहित अन्य जंगली जानवरों को देखने का रोमांच ही अलग होता है। भालू और हिरण सहित अन्य जानवर जंगल सफारी के दौरान दिखाई दे जाते हैं। इस रोमांचकारी यात्रा के साथ यहां धार्मिक पर्यटन का आनंद भी यात्री ले सकते हैं। जंगल के अंदर आधा दर्जन से अधिक धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र हैं। बिहार के इस एकमात्र टाइगर रिजर्व में बजती मंदिरों की घंटियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।

loksabha election banner

वीटीआर के क्षेत्र निदेशक हेमकांत राय कहते हैं कि यहां पर्यटन के विकास को लेकर लगातार काम किया जा रहा है। वीटीआर के मंदिरों का दर्शन भी पर्यटक कर सकें, इसके लिए सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। संस्कृत महाविद्यालय, नरकटियागंज (पश्चिम चंपारण) के प्राचार्य आचार्य विवेक पाठक के अनुसार सनातन संस्कृति में जंगल, गुफा और नदियों के तट पर पूजा-अर्चना व तपस्या का विधान रहा है। इसी वजह से वीटीआर में देवी-देवताओं के कई सिद्ध स्थल हैं। इसे पर्यटन से जोड़ने का प्रयास सराहनीय है।

सोमेश्वर धाम मंदिर

भारत-नेपाल सीमा से सटे पश्चिम चंपारण जिले में 898.4 वर्ग किलोमीटर में फैले वीटीआर के गोबर्धना जंगल में पहाड़ी पर सोमेश्वर धाम मंदिर है। यहां संकरे रास्ते से होकर पहुंचा जाता है। करीब 10 बीघा में फैले इस मंदिर परिसर में पंचमुखी कामनासिद्धि शिवलिंग स्थापित है।

माता कालिका देवी का मंदिर

यह मंदिर नेपाल सीमा पर सोमेश्वर पर्वत पर स्थित है। नदी और सात छोटे-बड़े पहाड़ पार कर यहां पहुंचा जाता है। कहा जाता है कि उज्जैन के महाराजा विक्रमादित्य के भाई भतृहरि ने कई साल तक यहां तपस्या की थी। यह मनोकामना सिद्धि स्थल के रूप में विख्यात है। चैत नवरात्र में यहां बिहार, यूपी व नेपाल के श्रद्धालुओं का जत्था पहुंचता है।

सोफा मंदिर

पंडई नदी के तट पर स्थित मंदिर थारू जनजातियों की आस्था का केंद्र है। यहां शिव-पार्वती विराजमान हैं। किंवदंती है कि इस मंदिर के गर्भगृह से स्वर्गलोक जाने का रास्ता है। यहां भगवान शिव को चढ़ाया जाने वाला जल करीब छह फीट ऊंची नाली से होकर पंडई में गिरता है।

सहोदरा देवी माता मंदिर

इस प्राचीन मंदिर में विराजतीं माता सहोदरा (सुभद्रा) थारू जनजातियों की आस्था व विश्वास की प्रतीक हैं। यहां थारू जनजाति की महिला ही पुजारी होती है। इसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा बताया जाता है।

जटाशंकर धाम मंदिर

इस शिव मंदिर में नेपाल से प्रतिवर्ष लाखों भक्त आते हैं। सावन, माघी अमावस्या व महाशिवरात्रि पर मेला लगता है। थारू आदिवासियों की आस्था इस मंदिर जुड़ी है।

नरदेवी का मंदिर

वाल्मीकिनगर से जटाशंकर मंदिर जाने के रास्ते में नरदेवी मंदिर है। मनोकामना सिद्धि का यह मुख्य धार्मिक स्थल माना जाता है। इस मंदिर परिसर में बहुत से कबूतरों का बसेरा है।

मदनपुर देवी स्थान

यूपी की सीमा व वाल्मीकिनगर रोड रेलवे स्टेशन से तीन किमी दूर जंगल में यह स्थान है। नवरात्र में यहां बिहार के अलावा यूपी व नेपाल से भी श्रद्धालु आते हैं। प्रतिदिन आधी रात को यहां वनराज भी आते हैं, लेकिन किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते।

हठी माई स्थान

रघिया के जंगल में स्थित हठी माई स्थान पर कोई मूर्ति नहीं है। यहां निराकार माता की पूजा की जाती है। बगैर हठी माई का दर्शन किए क्षेत्र का कोई भी शख्स आगे का रास्ता तय नहीं करता।

 

कौवलेश्वर धाम मंदिर

इस मंदिर में भगवान शिव विराजते हैं। कहा जाता है कि बेतिया महाराजा गज सिंह भ्रमण के लिए यहां आए थे तो स्वयं प्रकट शिवलिंग देख मंदिर का निर्माण कराया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर दो साल पहले इसका जीर्णोद्धार कराया गया।

ये स्थान भी आस्था के केंद्र

वाल्मीकि आश्रम

पंचनद नदी के तट पर नेपाल के चितवन राष्ट्रीय उद्यान के जंगल में वाल्मीकि आश्रम स्थित है। इसे भगवान श्रीराम के पुत्र लव-कुश का जन्मस्थल भी माना जाता है। यहां आज भी लव-कुश व माता सीता की कुछ निशानियां मौजूद हैं। जैसे लव-कुश का झूला, माता सीता का समाधि स्थल इत्यादि।

गजेंद्र मोक्षधाम मंदिर

भारत-नेपाल की सीमा पर बहती नारायणी, सोनहा एवं पंचनद नदियों का संगम स्थल त्रिवेणी कहा जाता है। इसके तट पर स्थित है गजेंद्र्र मोक्षधाम मंदिर। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गज की पुकार पर ग्राह से बचाने भगवान विष्णु यहां पधारे थे।

यह है टूर पैकेज

  • बिहार की राजधानी पटना से वीटीआर के लिए दो अलग-अलग यात्रा पैकेज हैं।
  • 3,000 रुपये वाले पैकेज में एक रात और दो दिन की व्यवस्था रहेगी।
  • 4,500 रुपये में दो रात व तीन दिन की। इसमें आने-जाने से लेकर भोजन, ठहरने और घूमने की सुविधा शामिल है।
  • इसके अलावा बेतिया से 1,200 रुपये में एक दिवसीय पैकेज है। जंगल सफारी के लिए 2,000 रुपये में जिप्सी उपलब्ध रहती है।
  • यहां 400 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से जंगल सफारी की व्यवस्था है। इसकी बुकिंग आनलाइन कराई जा सकती है।
  • धार्मिक स्थलों के भ्रमण के लिए 50 रुपये प्रति घंटे की दर से ई-रिक्शा उपलब्ध है।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.