पश्चिम चंपारण, जागरण संवाददाता । वाल्मीकि टाइगर रिजर्व नये साल में अपने यौवन पर इठला रहा। 840.26 वर्ग किलोमीटर के दायरे चहुंओर हरियाली व बलखाती बह रही गंडक नदी की धारा रोमांच को बढ़ा रही। ऐसे में पर्यटकों का आकर्षण वीटीआर की ओर बढ़ना स्वभाविक है। वन महकमे ने कोविड-19 से बचाव के लिए जारी सभी गाइडलाइन के बीच पर्यटकों के स्वागत की खास व्यवस्था की है। तापमान जांच के बाद पर्यटकों को वीटीआर में प्रवेश मिल रहा। नए साल में जंगल के रास्तों और जल स्रोतों की मरम्मत कर दी गई है। ताकि पर्यटन वाहनों के आवागमन के कोई परेशानी न हो। जब बात प्रकृति के साये में रहकर उसकी खूबसूरती के दीदार करने की हो तो वीटीआर से बेहतर कोई जगह नहीं है। यहां हर वो दुर्लभ वन्य जीव यहां मौजूद है, जिसको एक नजर देखने के लिए सैलानी बेकरार रहते हैं। यही वजह है कि वन्य जीव और जंगलों से प्रेम करने वाले पर्यटक यहां खींचे चले आते हैं। यहां की जैव विविधता और दुर्लभ वन्यजीवों का विचरण पर्यटकों के तनाव को एक पल में काफूर कर देता है। वीटीआर में बीते साल आठ करोड़ की लागत से ईको पार्क विकसित किया गया। वहीं गंडक नदी के दोनों किनारों पर भारत व नेपाल में 100 करोड़ की लागत से वाकिंग पिट का निर्माण कराया गया है।
बिल्कुल अलग एहसास कराता है वीटीआर :-
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व क्षेत्र में सफारी के रास्ते से लंबी घास और झुरमुटों से होते हुए वन्य जीव आसानी से देखे जा सकते हैं। इस जंगल का उत्तरी किनारा नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगा हुआ है। जंगल का स्पर्श करते हुए गंडक नदी बहती है। इस वन्य क्षेत्र की हरियाली और खूबसूरती में कई गुना इजाफा करते हुए इसे बेहद आकर्षित बना देती हैं। बाघों के लिए बेहतरीन क्षेत्र वाल्मीकि टाइगर रिजर्व परभक्षी जानवरों खासतौर से बाघों के लिए इसलिए भी बेहतरीन क्षेत्र माना जाता है, क्योंकि यहां बाघ की पसंद का वन, दलदली क्षेत्र से लेकर घास के मैदान हैं। इसके अलावा उसके आहार के तौर पर कई प्रकार के हिरण, जंगली सूअर और नील गाय आदि बहुतायात में पाये जाते हैं। इसलिए यहां के सुरक्षित माहौल में बाघ चहलकदमी करते हुए देखे जा सकते हैं। बाघ को चन्द कदमों की दूरी पर देखने का एहसास वीटीआर के पर्यटन को और भी खास बना देता है। पर्यटक यहां के प्राकृतिक माहौल का आनन्द ले सकते हैं। पर्यटन के लिए इसे खोलने से पहले वीटीआर में बने जंगल के रास्तों और छोटे पुलों आदि की मरम्मत कर दी जाती है। ताकि वाहनों के आवागमन के कोई परेशानी न हो। यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं। इनमें विशेष तौर पर इस बात का ख्याल रखा गया है कि ये इको फ्रैंडली हों और टूरिस्ट को शहरी परिवेश के बजाय पूरी तरह से अलग प्राकृतिक माहौल का एहसास हो।
बिहार का स्वर्ग माना जाता वीटीआर :-
अपनी खूबसूरती के लिए वीटीआर को बिहार का स्वर्ग माना जाता है। पर्यटकों के आवासन व भाेजन तक के बेहतरीन प्रबंध यहां हैं। पर्यटक इस पूरे वन्य क्षेत्र का अच्छी तरह से दीदार कर सकें और उन्हें वन्य प्राणियों के बारे में सही जानकारी मिलें, इसके लिए वीटीआर में नेचर गाइड प्रत्येक पंजीकृत जिप्सी के साथ ले जाने की सुविधा है। टॉवर के जरिए विभिन्न हिस्सों का दीदार–वीटीआर की गोद में यहां के सभी वन्यजीव अपनी स्वभाविक प्रवृत्ति के अनुरूप अठखेलियां कर सकें और पूरी तरह से महफूज रहें, इसके लिए यहां उनकी सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता बरती जाती है। ऊंचे-ऊंचे वॉच टॉवर के जरिए जहां पूरे इलाके की निगरानी की जाती है। वहीं वन्य कर्मी पूरी मुस्तैदी के साथ कांबिंग भी करते रहते हैं। टॉवर के जरिए पर्यटक भी विभिन्न हिस्सों का बेहतर तरीके से दीदार करते हैं और इको टूरिज्म का बेहद अद्भुत स्थल कहे जाने वाले वीटीआर में फोटोग्राफी के शौक से खुद को रोक नहीं पाते हैं।