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बिहार विश्वविद्यालय ने वापस लिया बाउंसर बहाली का फैसला, सुरक्षा को तैनात गार्ड भी लापरवाह

सुरक्षा की चिंता छोड़ मोबाइल पर वीडियो देख रहे गार्ड, 20 जवान की तैनाती पर सालाना 28 लाख का बजट, दिल्ली एनसीआर की सिक्यूरिटी एजेंसी के हवाले है सुरक्षा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 02:51 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 02:51 PM (IST)
बिहार विश्वविद्यालय ने वापस लिया बाउंसर बहाली का फैसला, सुरक्षा को तैनात गार्ड भी लापरवाह
बिहार विश्वविद्यालय ने वापस लिया बाउंसर बहाली का फैसला, सुरक्षा को तैनात गार्ड भी लापरवाह

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। छोटी-छोटी बात पर आए दिन हो-हंगामा और बवाल से निपटने के लिए बाउंसर तैनात करने का फैसला बीआरए बिहार विश्वविद्यालय ने वापस ले लिया है। मगर जिन्हें तैनात कर रखा गया है उनकी बदौलत अभेद सुरक्षा चक्र की नौबत नहीं दिखती। विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के इर्द-गिर्द विभिन्न प्वाइंट्स पर तैनात किए गए ये सुरक्षाकर्मी अपनी ड्यूटी में कम इधर-उधर की बातों और काम में अधिक उलझे हुए दिखाई पड़ते हैं।

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    मंगलवार को ये नजारा तस्वीर में कैद हो गया। तब ये जवाब एक ही जगह इकठ़ठे होकर मोबाइल पर वीडियो देखते मिले। हालांकि, तब विश्वविद्यालय में कोई अधिकारी मौजूद नहीं था। रविदास जयंती को लेकर छुट्टी घोषित थी। मगर, विश्वविद्यालय में छुट्टी से अंजान दूर-दराज के इलाकों से छात्र-छात्राएं और उनके अभिभावक बड़ी संख्या में कैंपस में मौजूद थे।

    उनकी चिंता छोड़ इन सुरक्षाकर्मियों को मटरगश्ती करते देख आगंतुक हतप्रभ थे। विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बसंत कुमार सिद्धू ने इसपर आपत्ति जताई है। कहा है कि अवकाश के दरम्यान इन सुरक्षा प्रहरियों को और भी चौकस रहना चाहिए।

बाउंसरों को लेकर सबने जताई थी आपत्ति

विश्वविद्यालय के विकास अधिकारी डॉ. आशुतोष सिंह ने बताया कि दिल्ली एनसीआर की सिक्यूरिटी एजेंसी को विश्वविद्यालय की सुरक्षा में लगाया गया है। फिलहाल 20 जवान तैनात हैं। उस एजेंसी को सालाना 28 लाख रुपये भुगतान किए जाएंगे।

    बाउंसर बहाल करने के फैसले पर टीका-टिप्पणी के बाद उसको टाल दिया गया है। कुलपति व रजिस्ट्रार के साथ बाउंसरों बॉडीगार्ड के रूप में लगाया जाना था। क्योंकि, उन्हें जब-तब इधर-उधर आना-जाना करना होता है। मगर, सेल एंड पर्चेज कमेटी की बैठक में कुछ लोगों ने विश्वविद्यालय में बाउंसरों को लगाए जाने पर आपत्ति जताई थी।

जिस मकसद से हुई तैनाती वो नहीं हो रहा कारगर

सुरक्षा इंतजाम के बाद प्रशासनिक भवन में पहुंचने और हर काम के लिए सीधे अधिकारियों से मिलने की चाहत रखने वाले रवैये को रोकना था। बताया गया कि सुरक्षा गार्ड आगंतुकों से उनके काम और किनसे, किसलिए मिलना है, जानेंगे। इसके बाद गेट से ही फोन लगाकर संबंधित पदाधिकारियों को सूचित करेंगे। अनुमति मिलने के बाद ही जाने देंगे।

    इंतजार करने वालों के लिए प्रशासनिक भवन में प्रवेश गेट के बगल में प्रतीक्षालय बन रहा। मगर, सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के बाद भी इसपर अमल होते नहीं दिख रहा। बीआरएबीयू कुलपति प्रो.अमरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि इंटरनल गार्ड रखने की बात जरूर थी मगर अब वो नहीं होगा। बाउंसरों को रखने का कोई मतलब नहीं है। हमेशा छात्रों के बीच रहना है। उनका गुस्सा भी सहन करना है। चाहे वो शीशा फोड़ें या शरीर पर पत्थर फेंके।


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