Move to Jagran APP

बिहार के इस इलाके में दूल्हा चुनने की अनूठी परंपरा, पूरी प्रक्रिया जानने के बाद आप भी कहेंगे- AWESOME

Unique Tradition मधुबनी के रहिका स्थित सौराठ सभा में जुटते हैं वर व वधू पक्ष के स्वजन। एक सप्ताह तक होता है आयोजन। इस दौरान पसंद किए जाते हैं दूल्हे। वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण यह आयोजन नहीं किया सका था।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2022 06:51 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 06:51 AM (IST)
बिहार के इस इलाके में दूल्हा चुनने की अनूठी परंपरा, पूरी प्रक्रिया जानने के बाद आप भी कहेंगे- AWESOME
सौराठ सभा समिति की ओर से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। प्रतीकात्मक फोटो

मधुबनी, [कपिलेश्वर साह]। मैथिल ब्राह्मणों के शादी-संबंध के लिए निर्धारण स्थल सौराठ सभा का आयोजन 30 जून से होगा। श्रीरामचरितमानस पाठ के साथ आठ जुलाई तक चलने वाली सभा की तैयारी पूरी कर ली गई है। बाहर के दूल्हों का पहुंचना भी शुरू हो गया है। विवाह पूर्व वर-कन्या के पूर्वजों के कुल-गोत्र व राशि मिलान की परंपरा बहाल रखने वाले रहिका प्रखंड की सौराठ सभा में देश के विभिन्न राज्यों के अलावा नेपाल में बसे मैथिल ब्राह्मण भी पहुंचते हैं। वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण आयोजन नहीं हो सका था, लेकिन 2021 में करीब 10 हजार लोग पहुंचे थे। इनमें 400 से अधिक रिश्ते तय हुए थे। 

loksabha election banner
  • -मैथिल दूल्हों की सौराठ सभा कल से, एक सप्ताह तक तय होंगे रिश्ते
  • -मधुबनी के रहिका में 30 जून से शुरू होगा आयोजन, पहुंचने लगे दूल्हे
  • -पिछले वर्ष पहुंचे थे 10 हजार लोग, तय हुए थे 400 रिश्ते

चलाया जा रहा जागरूकता अभियान

भागीदारी के लिए सौराठ सभा समिति की ओर से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। यहां पहुंचने वाले लोगों को ठहराने के लिए स्थानीय धर्मशाला में व्यवस्था की जा रही है। कुछ लोग होटल या रिश्तेदारों के यहां भी रुक रहे हैं। यहां आने वाले लोग धोती-कुर्ता के साथ मिथिला का पाग अवश्य धारण करते हैं। समस्तीपुर के नरहन से अपने बेटे के लिए वधू की तलाश में पहुंचे शिवेश्वर मिश्र का कहना है कि इंटरनेट मीडिया के जमाने में भी लोग वर-कन्या के चयन के लिए लोकसंस्कृति में रुचि दिखा रहे हैं।

समिति करती खर्च का वहन

आयोजन पर होने वाले खर्च को सौराठ सभा समिति की ओर से वहन किया जाता है। समिति के सदस्य आपसी चंदे से राशि जुटाते हैं। कुछ संगठन भी सहयोग करते हैं। सचिव डा. शेखर चंद्र झा बताते हैं कि इस बार आयोजन में करीब एक लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है।

पंजीकार कराते मिलान

पंजीकार प्रमोद कुमार मिश्र बताते हैं कि परंपरा के अनुरूप वर व कन्या पक्ष सभा स्थल पर पहुंचते हैं। वर के सिर पर लाल रंग का पाग होता है। उसके स्वजन से कन्या पक्ष के लोग बातचीत शुरू करते हैं। रिश्ता तय होने के बाद सभा स्थल पर उपस्थित पंजीकार से संपूर्ण मिलान (सिद्धांत लेखन) किया जाता है। इसके बाद विवाह की तिथि तय होती है। संबंध मिलान के लिए पंजीकारों का कोई शुल्क नहीं होता है। यह वर और कन्या पक्ष के लोगों की स्वेच्छा पर निर्भर करता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.