पश्चिम चंपारण की दो हजार एकड़ भूमि असिंचित, नलकूप के खराब मोटर की नहीं हो रही मरम्मत
पश्चिम चंपारण जिले के बगहा अनुमंडल अंतर्गत पठखौली में स्थापित नलकूप का मोटर चार महीने से जलकर बेकार पड़ा है। करीब दो हजार एकड़ भूमि अङ्क्षसचित पड़ी है। विभागीय कर्मी व अभियंता इस संबंध में उदासीन बने हुए हैं।
पश्चिम चंपारण, जागरण संवाददाता। हेलो ! ऑपरेटर साहब बोल रहे हैं। मैं पठखौली से एक किसान बोल रहा हूं। नलकूप से पानी क्यों नहीं मिल रहा। दूसरी ओर से आवाज आती है, मोटर जला है। कई बार कहा लेकिन आपलोग चंदा देने को तैयार नहीं। मैंने विभाग को रिपोर्ट कर दी है। देखिए कब तक ठीक होता है। इसके बाद आवाज आनी बंद हो जाती है। नगर के वार्ड संख्या दो का यह किसान दुख होकर घर लौट जाता है। दरअसल बीते करीब छह महीनों से पठखौली और सुखवन सरेह की सीमा पर स्थापित सरकारी नलकूप का मोटर जला पड़ा है। जिसके कारण करीब दो हजार एकड़ खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा। किसान ऑपरेटर से लेकर विभाग के अभियंताओं को लिखित व मौखिक शिकायत करते करते थक चुके हैं। लेकिन सिस्टम की उदासीनता कुछ इस कदर हावी है कि ङ्क्षसचाई व्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही।
निजी पंप सेट तथा ङ्क्षसचाई के अन्य साधनों का ही सहारा :
आलम यह है कि माध्यम वर्गीय किसान निजी पंप सेट तथा ङ्क्षसचाई के अन्य साधनों का प्रयोग कर इसी तरह धरती का सीना चीरर फसल उपजा रहे हैं। जबकि छोटे काश्तकार इंद्र देव की कृपा की ओर निर्भर है। समय से वर्षा हुई तो ठीक वरना मेहनत व्यर्थ।
महीनों गायब रहते ऑपरेटर :
पठखौली के किसान सतीश कुमार पाठक, मोहन ठाकुर, रामनाथ ठाकुर, अमीन मियां, मोहम्मद आजाद खान, अमित कुमार पांडेय सुखवन के बृजेश यादव, किशोर यादव, राजेश यादव व मलकौली के नंदलाल यादव, जगलाल यादव, संजय चौरसिया, कृष्णमोहन यादव और मनोज चौरसिया बताते हैं कि पटवन का कर समय से भरना पड़ता है, लेकिन जब व्यवस्था की बात आती है तो छोटी छोटी तकनीकी त्रुटि को दूर करने के लिए चंदा देना पड़ता है। जब व्यवस्था सरकारी है तो सब कुछ अपडेट होना चाहिए। लेकिन स्थानीय नलकूप का ऑपरेटर तकनीकी गड़बड़ी हवाला देकर महीनों गायब रहते हैं। किसानों ने यह मांग की कि अविलंब नलकूप के मोटर को ठीक कराकर जलापूर्ति बहाल की जाए।
मौसम की मेहरबानी पर ही निर्भरता :
नलकूप के खराब हो जाने के कारण पठखौली के सुखवन सरेह की करीब दो हजार एकड़ भूमि अङ्क्षसचित हो गई है। मौसम की मेहरबानी पर किसान निर्भर हैं। जबकि पटवन की स्थायी व्यवस्था मौजूद है। सिस्टम की मनमानी के कारण खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है।
इस संबंध में बगहा दो के बीडीओ प्रणव कुमार गिरि काक हना है कि नलकूप के खराब होने की जानकारी मिली है। संबंधित विभाग को पत्राचार कर इसे शीघ्र ठीक कराया जाएगा।