मुुजफ्फरपुर आई हास्पिटल में आंख गंवाने वाले दो और दावेदार आए सामने
आंख गंवाने वालों की सूची मेें नाम नहीं देने की शिकायत लेकर उपविकास आयुक्त के पास पहुंचे। सरकार की ओर से न मुआवजा मिला न ही उच्च इलाज के लिए उनको कोई सूचना मिल रही है। डीडीसी ने इसको गंभीरता से लेते हुए सीएस से पूरी रिपोर्ट तलब की है।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल में मोतियाबिंद आपरेशन के बाद संक्रमण से अपने आंख गवां चुके दो और नए दावेदार सामने आए हैं। बोचहां सफुद्र्दीनपुर की उषा देवी व मोतीहारी पकड़ीदयाल निवासी अवध शर्मा ने उपविकास आयुक्त को इस संबंध में पत्र लिखा है। इन आवेदकों ने गुहार लगाई कि उनके आंख की रोशनी गई लेकिन उनका नाम सरकारी सूची से हटा दिया गया। इस कारण सरकार की ओर से न मुआवजा मिला न ही उच्च इलाज के लिए उनको कोई सूचना मिल रही है। डीडीसी ने इसको गंभीरता से लेते हुए सीएस से पूरी रिपोर्ट तलब की है।
सिविल सर्जन डा. उमेश चंद्र शर्मा ने चार सदस्यीय टीम को गठित की है। जांच टीम में डा चंद्रशेखर प्रसाद, डा हसीब असगर, एसीएमओ डा. सुभाष प्रसाद सिंह, नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. नीतू कुमारी को शामिल किया गया है। मोतीहारी पकड़ीदयाल निवासी अवध शर्मा ने दावा किया है कि 21 नवंबर को उनके मोतियाङ्क्षबद का आपरेशन किया गया था, जिसके बाद उनकी आंख की भी रोशनी चली गई। मालूम हो कि पिछले साल 22 नवंबर को 65 मरीजों का आपरेशन हुआ था। इनमें 19 लोगों के आंख की रोशनी चली गई। उसके बाद मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल के सचिव प्रबंधक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गईै। उपभोक्ता फोरम में भी पीडि़त न्याय के लिए गए है।
जायकोव-डी की 31 हजार डोज 12 दिन बाद होगी एक्सपायर
मुजफ्फरपुर : कोरोनारोधी जायकोव-डी टीका की छह हजार डोज एक्सपायर होने के कगार पर है। 31 मई को टीका एक्सपायर कर जाएगा। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. एके पांडेय ने राज्य मुख्यालय को इसकी जानकारी भेजी है। इससे पहले भी जायकोव-डी की 34 हजार डोज एक्सपायर हो चुकी है। सेंट्रल गोदाम में उसे अलग रखा गया है। सरकार ने एक डोज के लिए 225 रुपये निर्धारित की थी। इस हिसाब से लगभग 70 लाख रुपये की क्षति सरकार को हो सकती है। 34 हजार डोज एक्सपायर होने से पहले ही 75 लाख की क्षति हो चुकी है। जानकारी के अनुसार, पांच माह से रीजनल वैक्सीन सेंटर में टीका रखा हुआ है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. पांडेय ने बताया कि सरकार के निर्देश के बाद सभी एएनएम और टीकाकर्मी को दर्द रहित टीका के लिए ट्रेङ्क्षनग दिया गया, लेकिन पोर्टल पर जायकोव-डी टीका के बारे में अपडेट नहीं आने के कारण टीका का उपयोग नहीं हुआ। इस टीका को देने के लिए तिथि भी निर्धारित हो गई, लेकिन एक दिन पहले इसपर रोक लगा दी गई।