Madhubani News: 33 सालों से बांध पर दो सौ परिवार, पशुओं के साथ गुजार रहे खानाबदोश की जिंदगी
मधुबनी के बेनीपट्टी अनुमंडल के चानपुरा के ग्रामीण 1987 की बाढ़ हो गए थे बेघर। आज तक उन्हें बसाने के लिए प्रशासन ने नहीं किया कोई प्रयास।
मधुबनी [आमोद कुमार झा]। बेनीपट्टी अनुमंडल अंतर्गत चानपुरा गांव के दो सौ परिवार पिछले 33 साल से रिंग बांध पर विस्थापित जीवन गुजार रहे हैं। बाढ़ के समय धौंस नदी के जलस्तर में वृद्धि व बांध पर खतरा बढऩे पर ये परिवार ऊंची जगहों पर शरण लेते हैं। खतरा टलने के बाद वापस आ जाते हैं। यहीं पशुओं को भी रखे हैं। सालों से इन परिवारों की सुध नहीं ली गई।
ये परिवार पहले चानपुरा गांव में रहते थे। लेकिन, 1987 में अधवारा समूह की धौंस नदी में आई विनाशकारी बाढ़ में पूरा गांव कटान में बह गया था। उसके बाद से ये परिवार बेघर हैं। उनका एकमात्र सहारा ङ्क्षरग बांध है। यह बांध कुल नौ किलोमीटर का है। इसके दो किलोमीटर भाग में ये विस्थापित परिवार बसे हैं। इन परिवारों का मांगलिक कार्य भी यहीं होता है।
65 वर्षीय रामफल सदा और 70 वर्षीय जीवछ सदा कहते हैं कि सर्दी, गर्मी, बारिश, सब इसी बांध पर झेलते हैं। मेहनत-मजदूरी कर किसी तरह पेट भरते हैं। यही हमारी किस्मत है। फूस की झोपड़ी पर पॉलीथिन के सहारे जिंदगी कट रही है। इतने सालों में न कोई देखने आया, न ही हाल जानने। भूमिहीन होने के कारण सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता। बाढ़ के समय यह बसेरा भी छोडऩा पड़ता है। तब खानाबदोश हो जाते हैं। अभी नदी लबालब हो चुकी है। तैयारी कर ली है। कभी भी बांध छोडऩा पड़ सकता है। पानी घटेगा तो फिर वापस आ जाएंगे।
शत्रुघ्न सदा, देवेंद्र सदा, दुलारचंद्र सदा, रेखा देवी, लक्ष्मी देवी, रामाशीष सदा, रामरती देवी, भोला सदा व शीला देवी सहित अन्य ने बताया कि अब तक पुनर्वास के लिए कोई पहल नहीं हुई। कई परिवारों के लोग उसके इंतजार में परलोक चले गए। पता नहीं, कब हमारी तकदीर बदलेगी? बरसात में मवेशियों के लिए चारा लाना और भी मुश्किल हो जाता है।
बेनीपट्टी के अनुमंडल पदाधिकारी मुकेश रंजन ने कहा कि सीओ को रिंग बांध पर पहुंचकर भूमिहीन विस्थापित परिवारों के संबंध में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। इसके बाद अभियान बसेरा योजना के तहत इनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी। प्रशासन इस दिशा में सजग है।