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रास्ता भटक रही डॉल्फिन, बूढ़ी गंडक भी बसेरा; पिछले 10 दिनों में मिलीं दो डॉल्फिन

गंगा नदी में विविध गतिविधियों के बढऩे से खतरे में डॉल्फिन का प्राकृतिक आवास। पिछले 10 दिनों में मुजफ्फरपुर और बेगूसराय में मिलीं दो डॉल्फिन।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 02:44 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 02:44 PM (IST)
रास्ता भटक रही डॉल्फिन, बूढ़ी गंडक भी बसेरा; पिछले 10 दिनों में मिलीं दो डॉल्फिन
रास्ता भटक रही डॉल्फिन, बूढ़ी गंडक भी बसेरा; पिछले 10 दिनों में मिलीं दो डॉल्फिन

मुजफ्फरपुर [अजय पांडेय]। गंगा की सहायक नदियों में डॉल्फिन मिलना पर्यावरण के लिहाज से शुभ संकेत है। क्योंकि, यह ऐसी जलीय जीव है जो अपनी उपस्थिति से पानी की शुद्धता का पैमाना बताती है। पिछले 10 दिनों में मुजफ्फरपुर और बेगूसराय में एक-एक डॉल्फिन मिलने से उत्सुकता बढ़ी है। जलीय जीवविज्ञानी व शोधकर्ता बूढ़ी गंडक में इसके मिलने को लेकर एकमत नहीं हैं। 

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 पर्यावरण संरक्षण तथा जलीय जीवों पर रिसर्च कर रहे समस्तीपुर के जीवविज्ञानी डॉ. मिथिलेश कुमार बताते हैं कि गंगा नदी में विविध गतिविधियों के बढऩे से डॉल्फिन का प्राकृतिक आवास बदल रहा है। ऐसे में ये रास्ता भटक रही हैं। इससे इनके जीवन को खतरा है। 

मुजफ्फरपुर में मिली थी डॉल्फिन

मुजफ्फरपुर के बंदरा प्रखंड से होकर बहने वाली बूढ़ी गंडक में इसी माह 22 को मछली मारने के दौरान डॉल्फिन मिली थी। ग्रामीणों ने उसे वापस नदी में छोड़ दिया था। इसके अगले दिन बेगूसराय के खोदावंदपुर में बूढ़ी गंडक में ही डॉल्फिन मिली। हालांकि, जाल में फंसने के कारण उसकी मौत हो चुकी थी। लोगों ने उसे नदी के किनारे ही दफना दिया। 

 नदियों और जलीय जीवों के लिए आवाज उठाने वाले मुजफ्फरपुर के पर्यावरणविद अनिल प्रकाश का कहना है कि डॉल्फिन मीठे जल की प्राणी है। पटना से मोकामा के बीच इनका सर्वाधिक रहवास है। इन क्षेत्रों में धड़ल्ले से मछली मारी जा रही है। मछुआरे नदी के तल तक पहुंचने वाले महीन जाल का प्रयोग कर छोटी-छोटी मछलियों तक का शिकार कर रहे। इससे नदी के जीवों का भोजन तंत्र असंतुलित हो रहा है। छोटी मछलियां डॉल्फिन का आहार हैं। उनकी कम होती संख्या इनके अस्तित्व को प्रभावित कर रही है। 

समस्तीपुर में दिखी थी दुर्लभ डॉल्फिन

वर्ष 2016 में समस्तीपुर के रोसड़ा प्रखंड स्थित नरहन सिंघिया पुल के पास बूढ़ी गंडक में सफेद रंग की डॉल्फिन को लोगों ने देखा था। मछली जैसे दुर्लभ जीव को देख लोगों ने स्थानीय प्रशासन को सूचना दी थी। 

हेवी क्रूज व पीपा पुल की आवाज डॉल्फिन के लिए खतरा

जलीय जीवविज्ञानी डॉ. मिथिलेश बताते हैं कि गंगा में हेवी क्रूज और बोट्स चलाने के लिए ड्रेजिंग (भारी मशीनों से रेत हटाने और नदी तल को गहरा करने की प्रक्रिया) डॉल्फिन के आवास को प्रभावित कर रही है। मशीनों के चलने से नदी का तलीय प्रदूषण स्तर भी बढ़ता है। दूसरी ओर, वाहनों के गुजरने से पीपा पुल के कंपन्न और आवाज होने से डॉल्फिन डरकर इधर-उधर भागती हैं। अगर, हालात नहीं सुधरे तो उनका स्थायी विस्थापन हो सकता है। 


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