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Chamki fever in Muzaffarpur: चमकी बुखार से पीड़ित दो बच्चों की मौत, एक एईएस मरीज भर्ती

गुरूवार को मुजफ्फरपुर में दो बच्चों की चमकी बुखार से मौत हो गई। एक की केजरीवाल तो दूसरे की एसकेएमसीएच में गई जान। इससे पहले भी तेज बुखार से नौ बच्चों की मौत हो चुकी है।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 08:29 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 08:29 AM (IST)
Chamki fever in Muzaffarpur: चमकी बुखार से पीड़ित दो बच्चों की मौत, एक एईएस मरीज भर्ती
Chamki fever in Muzaffarpur: चमकी बुखार से पीड़ित दो बच्चों की मौत, एक एईएस मरीज भर्ती

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। चमकी बुखार से गुरुवार को दो बच्चों की मौत हो गई। जबकि एईएस पीड़ित एक बच्चे को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में चमकी बुखार से पीड़ित शिवहर के सोनवर्षा निवासी मुकेश राय के डेढ़ वर्षीय पुत्र दिलराज की मौत हो गई। मां किरण देवी ने बताया कि बेटे को दस्त हो रहा था। सुबह बुखार के साथ चमकी होने लगी। स्वजन केजरीवाल अस्पताल लाए। वहां से एसकेएमसीएच रेफर किया गया।

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 वहीं केजरीवाल के नोडल पदाधिकारी रंजन मिश्र ने बताया कि अस्पताल में समस्तीपुर के कुबौली बंगरा की तीन साल की तितली की मौत चमकी बुखार से हो गई। चिकित्सकों के मुताबिक दोनों बच्चों की हालत इतनी गंभीर थी कि एईएस की जांच को नमूने नहीं लिए जा सके। इससे पहले भी तेज बुखार से नौ बच्चों की मौत हो चुकी है। उधर, एसकेएमसीएच में एईएस पीड़ित मो. कैफ को भर्ती किया गया।

एईएस से चार बच्चों की चली गई जान

गर्मी में बच्चों के लिए जानलेवा एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) के अबतक जिले में 23 मरीज आए। इनमें 18 स्वस्थ होकर लौट चुके हैं। एईएस    पर लगातार शोध पर शोध, लेकिन बीमारी रह गई अज्ञात। इस साल अबतक गर्मी का असर कम और मौसम की नरमी से मरीज भी अपेक्षाकृत आए हैं। जिला वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि पिछले साल मई महीने में  सौ से ज्यादा बच्चे बीमार होकर आए थे। लेकिन इस बार यह संख्या कम है।

ऐसे हो रही बचाव की पहल 

इस साल पहली बार सर्वाधिक  प्रभावित 169 गांवों को जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह की देखरेख में गांवों को गोद लेकर वहां जागरूकता के साथ गरीबों को सरकारी योजनाओं के लाभ की पड़ताल की जा रही है। मौत की दर कम हो, इसके लिए इस बार विभाग ने नई रणनीति बनाई है। इसके तहत आशा, एएनएम, ग्रामीण चिकित्सकों को जागरूक व प्रशिक्षित किया गया है। मार्च के पहले सप्ताह में पीएचसी तक तय मानक के मुताबिक दवा व उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। 


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