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पीजी में सीटों का निर्धारण, विभिन्न कोर्स में 20 फीसद की होगी बढ़ोतरी

2001 से कॉलेजों में चल रहे विभिन्न विषयों के कोर्स से 20 फीसद अधिक सीटों को ही मिलेगी मंजूरी। राजभवन का स्नातकोत्तर कोर्स में ऑनलाइन एडमिशन का बढ़ा दबाव।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 08:30 AM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 08:30 AM (IST)
पीजी में सीटों का निर्धारण, विभिन्न कोर्स में 20 फीसद की होगी बढ़ोतरी
पीजी में सीटों का निर्धारण, विभिन्न कोर्स में 20 फीसद की होगी बढ़ोतरी

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कॉलेजों में स्नातकोत्तर कोर्स को लेकर फंसा पेच निकल गया है। पीजी के विभिन्न कोर्स में 20 फीसद तक वृद्धि करने की कॉलेजों को अनुमति मिली है। इस बाबत एडमिशन कमेटी की बैठक में निर्णय लिया गया है। बैठक में डीएसडब्ल्यू डॉ. सुनील कुमार सिंह, सीसीडीसी डॉ. विजय कुमार, विकास पदाधिकारी डॉ. आशुतोष सिंह ऑनलाइन सिस्टम के प्रभारी डॉ. भरत भूषण मौजूद रहे।

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ये था पेच

ऑनलाइन पीजी में एडमिशन में पेच यह था कि न सिर्फ विश्वविद्यालय के पीजी विभागों बल्कि कॉलेजों में भी विषय वार सीटों का निर्धारण नियमानुसार नहीं था। इस संबंध में सरकार के निर्देशों को नजरअंदाज किया गया था।

ये हुआ समस्या का निदान

सरकार द्वारा समय-समय पर सीटों के निर्धारण को लेकर निर्देश जारी होते रहे। इसी निर्देशों के आलोक में जो पत्र वर्ष 1993 एवं 2001 में जारी हुए। उसका संदर्भ लेते हुए विषय वार कॉलेजों की सीटों की संख्या की मौजूदा स्थिति में बदलाव हो सकता है। सीटों का स्टेटस किसी हालत में 2001 की सीटों की संख्या से अधिकतम 20 फीसद अधिक करने की है।

   कॉलेजों का प्रतिनिधित्व एमडीडीएम की प्राचार्य डॉ. ममता रानी ने किया। जानकारी दी कि अगर इतनी सीटों से अधिक मांग कॉलेज को है। तो वे अपना प्रस्ताव भेजें। उस पर विचार होगा। मौजूदा स्थिति में संचालित नए कोर्स में एमडीडीएम में संगीत में 24 व होम साइंस में 75 तथा नीतीश्वर महाविद्यालय में समाज विज्ञान विभाग में 90 सीट है।

दो बीएड कॉलेजों में एडमिशन पर रोक की अनुशंसा

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय ने दो बीएड कॉलेजों में एडमिशन पर रोक की अनुशंसा की है। निरीक्षण दल के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार सिंह ने बताया कि न्यू बुद्धा टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज व सत्यनाथ सत्या बीएड कॉलेज में एडमिशन पर सरकार से अस्थायी रोक लगाने की अनुशंसा की गई है। कहा कि दोनों कॉलेजों में कमियां पाई गई हैं। इसकी रिपोर्ट एनसीटीई को भी भेज दी गई है। रिपोर्ट में दोनों कॉलेजों की मान्यता पर पुनर्विचार करने की अनुशंसा की गई।

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