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यहां आकर्षण के केंद्र बने तरह-तरह के शौचालय, नाम- टॉयलेट पार्क

यह देश में स्वच्छता व शौचालय निर्माण की प्रेरणा देती अनूठी पहल है। हम बार कर रहे हैं बिहार के मोतिहारी व सीतामढ़ी में बनाए गए टॉयलेट पार्कों की। जानिए वहां की खास बातें।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 09 May 2018 09:32 AM (IST)Updated: Thu, 10 May 2018 11:55 PM (IST)
यहां आकर्षण के केंद्र बने तरह-तरह के शौचालय, नाम- टॉयलेट पार्क
यहां आकर्षण के केंद्र बने तरह-तरह के शौचालय, नाम- टॉयलेट पार्क
style="text-align: justify;">मुजफ्फरपुर [रविभूषण सिन्हा/ सत्येंद्र कुमार झा]। राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने स्‍वच्‍छता का संदेश दिया था। आज स्‍वच्‍छ भारत के उनके सपने को साकार करने का बीड़ा उठाया है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने। गांधी के सपने को साकार करने के लिए पीएम मोदी की प्रेरणा से बिहार के दो शहरों में स्वच्छता की अनूठी पहल की गई है। यह पहल है स्‍वच्‍छता का संदेश देते 'स्‍वच्‍छता उद्यान्‍न' के निर्माण की। लोग इन्‍हें 'शौचालय उद्यान' व 'टॉयलेट पार्क' के नाम से भी जानते हैं। बिहार के मोतिहारी तथा सीतामढ़ी में बने ये आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
इन उद्यानों में महात्मा गांधी के संदेश और फूल-पौधों के साथ विभिन्न प्रकार के शौचालयों के नमूने हैं। ये शौचालय निर्माण में सहायक साबित हो रहे हैं। ग्रामीण इलाकों से लेकर अन्य जिलों से आने वाले अधिकारी भी इनसे प्रेरणा लेकर स्वच्छता की दिशा में बेहतर कार्य करने का संकल्प ले रहे हैं।
महात्मा गांधी का चश्मा करता है स्वागत
इन उद्यानों को आकर्षक लुक दिया गया है। सीतामढ़ी में प्रवेश द्वार पर महात्मा गांधी का चश्मा बनाया गया है तो मोतिहारी में यह गेट के बगल में चित्रित है।

आकर्षित करते शौचालयों के नमूने
दोनों शहरों में बने उद्यानों में प्रवेश करते ही कम लागत से लेकर मल्टीपरपज शौचालयों के नमूने ध्यान आकर्षित करते हैं। कम लागत वाले शौचालय में सीट के अलावा बांस की दीवार और छत है। इसी प्रकार दो सोख्ता वाला शौचालय, शौचालय सह स्नानघर, अनुप्रस्थ शौचालय, उन्नत सेप्टिक टैंक शौचालय, ऑर्गेनिक डस्टबीन शौचालय, जलरहित मूत्रालय, बॉयो गैस शौचालय, कंपोस्ट्रा शौचालय एवं इकोसेन शौचालय के नमूने प्रदर्शित हैं। मोतिहारी में दिव्‍यांग अनुकूल शौचालय भी है।

'इकोसेन' बाढ़ प्रभावित, जलजमाव, सूखाग्रस्त एवं पहाड़ी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसकी टंकी जमीन से ऊपर होने के कारण भूजल दूषित नहीं होता। इन उद्यानों में शौचालय के टैंक से बायो गैस उत्पादित करने का तरीका भी बताया गया है। इसके अलावा हैंडवाशिंग सेंटर और तालाब आदि ने नमूने भी हैं।
यहां कुछ हजार से लेकर लगभग दो लाख रुपये खर्च वाले शौचालय के नमूने हैं। आम जनता से लेकर मंत्री व अधिकारी भी समय-समय पर इसे देखने आते हैं। स्वच्छता अभियान के तहत जिले की हर पंचायत के मुखिया ग्रामीणों के साथ इन उद्यानों का भ्रमण करते हैं।

बजट के अनुसार कर सकते चयन
इन उद्यानों को बनाने के पीछे उद्देश्य है कि हर आय वर्ग के लोग स्‍वच्‍छता व शौचालय निर्माण के लिए प्रेरित हों। वे आसानी से समझ सकें कि कम लागत में उपयोगी शौचालय कैसे बनाए जा सकते हैं। ग्रामीण बजट के हिसाब से अपने लिए शौचालय का चयन करते हैं। यहां जागरूकता के कार्यक्रम भी यहां चलते रहते हैं। आसपास की दीवारों पर स्‍वच्‍छता व शौचालय निर्माण के लिए प्रेरित करते स्लोगन लिखे हैं, जैसे- शौचालय निर्माण कराएं घर का मान बढ़ाएं...।
प्रेरणा से बढ़ी शौचालय निर्माण की गति
इन उद्यान्‍नों से दोनों जिलों में स्‍वच्‍छता व शौचालय निर्माण की गति में तेजी आई है। इससे खुले में शौच में भी कमी दिख रही है।
सीतामढ़ी के हरिछपड़ा पंचायत के मुखिया अनिल कुमार यादव कहते हैं कि एक साल पहले तत्कालीन जिलाधिकारी (डीएम) राजीव रौशन के समय पंचायत जनप्रतिनिधियों की स्‍वच्‍छता उद्यान्‍न कार्यशाला आयोजित की गई थी। उस समय पंचायतवार मुखिया को ग्रामीणों के साथ उद्यान्‍न का भ्रमण कराया गया था। इसके बाद लगातार बजट के हिसाब से शौचालय का निर्माण कराने के लिए प्रेरणा दी गई। इसी का परिणाम है कि उनकी पंचायत के 80 फीसद लोगों ने शौचालय का निर्माण करा लिया है।
उधर, पूर्वी चंपारण जिले के 27 प्रखंडों में आठ लाख शौचालय निर्माण का लक्ष्य है। इस साल के आरंभ तक 26 पंचायतें खुले में शौच से मुक्त हो चुकी थीं। 379 पंचायतों में जोर-शोर से यह अभियान चलाया जा रहा है।

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