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Vishwakarma Pooja 2020: देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा के पूजन के लिए आज यह है सबसे उपयुक्त मुहूर्त,

Vishwakarma Pooja 2020 विश्वकर्मा पूजन आज संक्रमण के चलते नहीं दिखाई दे रहा पहले वाला उत्साह। दुकानों में ही सजी रहीं मूर्तियां नहीं पहुंचे खरीदार।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 08:30 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 08:30 AM (IST)
Vishwakarma Pooja 2020: देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा के पूजन के लिए आज यह है सबसे उपयुक्त मुहूर्त,
Vishwakarma Pooja 2020: देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा के पूजन के लिए आज यह है सबसे उपयुक्त मुहूर्त,

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Vishwakarma Pooja 2020: सनातन धर्म में बाबा विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना गया है। कहते हैं कि पूरी दुनिया का ढांचा उन्होंने ही तैयारी किया। वे जनकल्याणकारी देवता हैं। उन्हें निर्माण के देवता के रूप में पूजा जाता है। बाबा गरीब नाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित विनय पाठक ने बताया कि सुबह में आठ से लेकर संध्या तक पूजा करने का मुहूर्त है। इसके साथ ही सुबह 11:15 बजे से दोपहर 12:10 बजे तक विशेष पूजा करने का मुहूर्त है।

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इस बार सीमित जगहों पर ही लोग पूजा कर रहे

शिल्प संघ कार्य, कारखाने और उद्योगों में हर साल 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा का पूजनोत्सव होता है। लेकिन, इस बार कोरोना काल में एक-एक कर सभी धार्मिक पूजास्थल और अनुष्ठान फीके पड़ गए। इससे कल-कारखाने से लेकर रेलवे इंजीनियरिंग वर्कशॉप और ट्रांसपोर्ट कंपनियों में विश्वकर्मा पूजा की धूमधाम कम है। पहले लोग इसे धूमधाम से मनाते थे, लेकिन इस बार सीमित जगहों पर ही लोग पूजा कर रहे हैं। वर्कशॉप में जहां वाहनों की लंबी कतार लगती थी। वहीं, इस बार कई वर्कशॉप पर वाहन की सफाई भी बंद रही।

इस साल पूंजी ही फंस गई

मूर्तिकार की मेहनत भी डूब गई। पोखर के मूर्तिकार जयप्रकाश कुमार ने बताया कि कई साल से कन्हाई मूर्ति भंडार चला रहे हैं। पिछले साल मूर्ति लेने के लिए लोगों की भीड़ लग गई थी। इस साल पूंजी ही फंस गई। जीवन में कभी ऐसी मार नहीं झेली है। सालभर के लिए मूर्ति बेचकर कमाई होती थी। इससे ही सालभर गुजारा करते थे। इस बार 33 मूर्तियों में पूंजी लगाई, लेकिन दोपहर तक दो मूर्तियां ही बिक सकीं। पहले से डिमांड भी नहीं थी। फिर भी आस लगाकर मूर्तियां बनाईं। इस समय एक मिनट की भी फुर्सत नहीं रहती थी। इस बार खाली बैठे हैं। मूर्तिकार ओमप्रकाश ने बताया कि इस बार डिमांड नहीं रही। 12 मूर्तियां तैयार कीं। पूंजी भी लगाई, लेकिन दोपहर तीन बजे तक एक ही मूर्ति की बिक्री हुई। वहीं, पिछले साल 25 मूर्तियां बनाकर बेची थीं। लोगों की भीड़ जुटी थी। इस बार लोग नहीं आए।

फलों के दाम बढ़े, खरीदार रहे कम

विश्वकर्मा पूजा को लेकर फलों के दाम भी बढ़े रहे, लेकिन खरीदने वालों की भीड़ कम रही। चौक-चौराहे पर ठेला व दुकानों में ग्राहकों का दुकानदार इंतजार करते रहे। वहीं हाजीपुरी केला 35 व ङ्क्षसगापुरी केला 40 रुपये दर्जन, सेब 80 से 120 रुपये किलो और नाशपाती 120 रुपये किलो बिक रही है।

मिठाई की दुकानों पर भी नहीं रही भीड़

मिठाई की दुकानों पर रातभर ऑर्डर में बूंदी के लड्डू बनते थे, लेकिन इस बार खरीदार ही नहीं पहुंचे। वहीं बिना मास्क पहनकर आने वाले को दुकान से वापस कर दिया गया। महाराजा दुग्ध भंडार व छोटी सरैयागंज स्थित दुकानदारों ने बताया कि विश्वकर्मा पूजा पर बूंदी के लड्डू, पीली बर्फी की खरीदारी काफी होती थी, लेकिन इस बार बिक्री न के बराबर है। 50 से 60 किलो मिठाई बेचते थे। वहीं इस बार दो से तीन किलो ही बेच रहे हैंं।

कुछ जगहों पर ही बने पंडाल

कोरोना से कम जगहों पर ही पंडाल बनाए गए हैं। लोग केवल पूजा करने की ही तैयारी कर रहे हैं। पिछले साल पूजा पंडाल और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में लोग देर रात तक तैयारी करते थे। शहर में कुछ जगहों पर पूजा की जा रही है। इसमें केवल सीमित के लोग ही शामिल होंगे। इस बार शहर के चांदनी चौक स्थित विश्वकर्मा पूजा मंदिर, जेल चौक स्थित मंदिर कमेटी लोगों ने कहा कि धूमधाम से नहीं सीमित लोगों के साथ ही पूजा कर रहे हैंं। कई जगहों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पूजा होगी। 


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