अब खतरा नहीं बनेंगे वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व से भटके बाघ, ड्रोन से होगी निगरानी
बिहार के बीटीअार क्षेत्र के बाघ रिहायशी इलाकों में घुस जाते हैं। वीटीआर प्रशासन अब उनकी निगरानी ड्रोन से करेगा। क्या है योजना जानिए इस खबर में।
पश्चिम चंपारण [शशि कुमार मिश्र]। बिहार के वाल्मीेकिनगर टाइगर रिजर्व (VTR) से भटके बाघ (Tiger) आसपास के इलाकों में परेशानी का सबब बनते रहे हैं। लेकिन अब उनकी ड्रोन (Drone) से ट्रैकिंग की तैयारी जा रही है। इससे भटके बाघों की खोज एवं उन्हें वीटीआर में वापस लाना आसान हो जाएगा। दिन हो या रात, जाड़ा हो या गर्मी, इससे बाघों पर आसानी से नजर रखी जा सकेगी। रात में नजर रखने के लिए ड्रोन में नाइट विजन कैमरे (Night Vision Camera) भी लगे रहेंगे। पहले चरण में वीटीआर प्रशासन ने दो ड्रोन की खरीदारी की है।
दो सालों के दौरान बढ़ा बाघों का भटकाव
बीते दो वर्ष के दौरान वीटीआर से बाघों का भटकाव बढ़ा है। बाघ खेतों से लेकर रिहायशी इलाके तक पहुंच रहे हैं। वे कई लोगों पर हमला कर घायल कर चुके हैं। कई बकरियों, भैंस और बछड़े का शिकार कर चुके हैं। इसके चलते वीटीआर के आसपास के गांवों जमौली, सिसई, मुंगराहा, शेरपुर, मनीटोला, मटिअरिया और गोवर्धना सहित आसपास के अन्य क्षेत्रों में दहशत का माहौल है। इसे देखते हुए बाघों पर नजर रखने और वीटीआर में लौटाने के लिए ड्रोन का सहारा लेने का निर्णय लिया गया।
बाधों की निगरानी को खरीदे गए दो ड्रोन
इसे देखते हुए बाधों की गतिविधियों की निगरानी के लिए तीन-तीन लाख रुपये मतें में दो ड्रोन की खरीदारी की गई है। ये ड्रोन 50 मीटर की ऊंचाई पर उड़कर आसपास के इलाके में बाघों की उपस्थिति से संबंधित आंकड़े जुटाएंगे। अगर बाघ जंगल से बाहर आते हैं तो इसके जरिए पहले से जानकारी मिल सकेगी। उन्हें वापस भेजा जा सकेगा। जान-माल का नुकसान कम किया जा सकेगा।
छिपने की अच्छी जगह बने गन्ने के खेत
जानकार बताते हैं कि अन्य नेशनल पार्कों से भी बाघों एवं अन्य वन्य प्राणियों का भटकाव होते रहता है, लेकिन वीटीआर में इसमें ज्यादा इजाफा हुआ है। इसका मुख्य कारण आसपास गन्ने के खेत होना है, जिनमें बाघ आसानी से छिप जाते हैं। करीब तीन सप्ताह पहले ही नरकटियागंज शहर से सात किलोमीटर दूर एक बाघ गन्ने के खेत में डेरा डाले मिला था।
फरवरी से शुरू हो जाएगी ड्रोन से निगरानी
वीटीआर के क्षेत्र निदेशक व वन संरक्षक एचके राय कहते हैं कि फरवरी से ड्रोन के जरिए निगरानी शुरू हो जाएगी। इसके लिए कर्मचारियों को एक सप्ताह की ट्रेनिंग दी जाएगी। ड्रोन उडऩे के बाद आधा घंटे तक डाटा जुटाकर वापस आ जाएगा। पहले चरण की सफलता के बाद और ड्रोन की खरीदारी की जाएगी।