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ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था..

ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था मैं बच भी जाता तो इक रोज मरने वाला था..। नामचीन शायर राहत इंदौरी की यह शायरी आज की स्थिति बयां कर रही है। कोरोना ने हमसे उन्हें छीन लिया। इंदौर की जमीन पर जन्मे इस महान शायर के साथ नाम इंदौरी जुड़ा था। मगर मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार की धरती पर उनकी शायरी गूंजती रहती थी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 01:57 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 01:57 AM (IST)
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था..
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था..

मुजफ्फरपुर । 'ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था, मैं बच भी जाता तो इक रोज मरने वाला था..।' नामचीन शायर राहत इंदौरी की यह शायरी आज की स्थिति बयां कर रही है। कोरोना ने हमसे उन्हें छीन लिया। इंदौर की जमीन पर जन्मे इस महान शायर के साथ नाम इंदौरी जुड़ा था। मगर, मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार की धरती पर उनकी शायरी गूंजती रहती थी। दैनिक जागरण के अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन में उनकी दमदार उपस्थिति कई बार हुई। अंतिम बार उन्होंने मुजफ्फरपुर के जिला स्कूल के मैदान में दो मई 2018 को दैनिक जागरण के अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन में अपनी शायरी का जलवा बिखेरा था। तत्कालीन डीआइजी अनिल कुमार सिंह उनसे इतने प्रभावित थे कि पुत्र सतलज से विशेष कार्यक्रम कराने का आग्रह किया था। उनके अचानक चले जाने से शहर गमगीन है।

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कार्यक्रम शुरू करने से पहले श्रोताओं का भांपते थे मिजाज

राहत इंदौरी यह मानते थे कि उर्दू शायरी पर भारतीय भाषाओं का रंग चढ़ा है। गंगा-जमुनी यही पहचान है। यह हर दिल में बसती है। सच, वे हर दिल में बसते थे। यही कारण था कि उनकी शायरी लोगों की जुबान पर रहती थी। वे अपनी आधी शायरी कहकर चुप हो जाते थे। श्रोता इसे पूरा करते थे। इससे वे श्रोताओं के मिजाज को भांप लेते थे। वे कहते थे कि जो कुछ लिखकर लाया वह रह गया। आप का मिजाज तय करेगा कि क्या सुनना चाहते हैं। इसके बाद वे अपने जाने-पहचाने अंदाज में हाथों को लहराते हुए शमां बांध देते थे। वे प्राय: 'राज जो कुछ हो, इशारों में बता भी देना। हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना' या 'किसने दस्तक दी, ये दिल पर। कौन है। आप तो अंदर हैं। बाहर कौन है' से कार्यक्रम की शुरुआत करते थे।

..तब डीएम कोठी में जम गई थी महफिल

वर्ष 2015 के जागरण के अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन में खुदीराम बोस स्टेडियम में राहत इंदौरी ने कार्यक्रम प्रस्तुत किया था। अपने बड़े प्रशंसकों में से एक तत्कालीन डीएम अनुपम कुमार के आग्रह पर वे सुबह उनकी कोठी पर चले गए। जबकि रात के थके थे। सुबह की गुनगुनी धूप में डीएम कोठी में ही उनकी महफिल सजी थी।

भारतीय मिजाज के एक अजीम शायर थे राहत इंदौरी

जाने-माने शायर राहत इंदौरी के निधन से साहित्य जगत सहित कला प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गयी है। अपने पसंदीदा शायर के यूं अचानक चले जाने से सभी अचंभित हैं। राज्य के नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा है कि आज देश ने शायर जगत का एक इतिहास खो दिया है। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.संजय पंकज ने कहा कि वे भारतीय मिजाज के एक अजीम शायर थे। उनके कहने का अंदाज ही लाजवाब था। साहित्यकार डॉ.सौरभ कौशिक ने कहा कि कवि व साहित्यकार राहत इंदौरी के आकस्मिक निधन ने सबको मायूस और विचलित कर दिया है। संस्कृतिकर्मी सोनू सिंह ने कहा कि राहत इंदौरी राजनीतिक अव्यवस्था पर अपनी शायरी से कड़ा प्रहार करते थे।

राहत इंदौरी के निधन पर शोक की लहर : मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन पर शोक की लहर है। राजद के प्रदेश प्रवक्ता डॉ.एकबाल मोहम्द शमी, पूर्व कुलपति डॉ.रवींद्र कुमार रवि, पूर्व उपमेयर विवेक कुमार, पूर्व सीनेट सदस्य प्रो.शब्बीर अहमद, जदयू के वरीय नेता शिशिर कुमार नीरज ने निधन पर शोक जताया है।


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