B.Ed. Entrance Exam के लिए आवेदन की तिथि में नहीं होने जा रहा कोई बदलाव, जानें क्या है मजबूरी
B.Ed. Entrance Exam बीएड के राज्य नोडल पदाधिकारी ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तय की गई तिथि विस्तारित करना संभव नहीं।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीएड की प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन नहीं करने वाले विद्यार्थियों को अब परीक्षा में शामिल होने का मौका नहीं मिलेगा। राज्य नोडल पदाधिकारी सह मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव डॉ.अजीत कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से बीएड का पूरा शिड्यूल तय किया गया है। इसमें फेरबदल करना संभव नहीं है। विवि के स्तर से इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है।
अभ्यर्थियों में निराशा
बीएड की प्रवेश परीक्षा में माक्र्ससीट नहीं मिलने के कारण ऑनलाइन आवेदन नहीं करने वाले अभ्यर्थियों में निराशा है। मंगलवार को विवि में परीक्षा नियंत्रक से मिलने पहुंचे कई विद्यार्थियों ने बताया कि उन्हें कॉलेज में माक्र्ससीट नहीं दिया गया। इस कारण वे फॉर्म नहीं भर सके। विद्यार्थियों ने कहा कि कॉलेज में मैट्रिक और इंटर की परीक्षा का हवाला देकर वापस लौटा दिया जाता था। इस कारण उन्हें अब बीएड के लिए एक साल इंतजार करना होगा।
कॉलेज प्रशासन की लापरवाही उजागर
जिन कॉलेज के विद्यार्थी बीएड के प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन नहीं दे सके हैं। उन कॉलेजों में संबंधित प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने बताया कि पंद्रह दिन पूर्व कॉलेज के प्राचार्यों को माक्र्ससीट उपलब्ध करा दिया गया था। बावजूद कई कॉलेजों में विद्यार्थियों को माक्र्ससीट नहीं उपलब्ध कराया गया।
कॉलेजों से विद्यार्थियों को भेज दिया जाता विवि
अधिकारियों ने बताया कि जब माक्र्ससीट कॉलेजों को भेज दिया गया। इसके बाद भी विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय भेज दिया जाता है। इससे विद्यार्थी भी परेशान होते हैं और यहां माक्र्ससीट नहीं मिलने पर हंगामा की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
तिथि विस्तारित करने से इंकार
इस बारे में बीआरएबीयू के प्रभारी कुलपति डॉ.आरके मंडल ने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से मिथिला विवि को तिथि विस्तारित करने के लिए पत्र भेजा गया था। साथ ही राज्य नोडल पदाधिकारी से भी फोन पर बात की गई, लेकिन तिथि विस्तार करने की बात से इन्कार कर दिया गया।
कॉलेजों को भी तत्पर होना पड़ेगा
बीआरएबीयू के परीक्षा नियंत्रक डॉ.मनोज कुमार ने कहा कि अस्सी फीसद से अधिक विद्यार्थियों को माक्र्ससीट मिल गया और इन विद्यार्थियों ने आवेदन भी कर दिया है। जबकि, कॉलेज प्रशासन की लापरवाही के कारण कुछ विद्यार्थियों को माक्र्ससीट नहीं मिला और वे फॉर्म नहीं भर सके। विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं हो इसके लिए कॉलेजों को भी तत्पर होना पड़ेगा।