शिवहर में युवाओं ने फैलाई जागरूकता तो कोरोना से सजग दिख रहे गांव के लोग
शिवहर में पूर्व की अपेक्षा कोरोना संक्रमण का प्रसार कम हो गया है। लेकिन संक्रमण अभी भी खत्म नहीं है। इसे देखते हुए जिले के तरियानी प्रखंड के माधोपुर छाता गांव के कुछ युवा लोगों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक करने में लगे हुए हैं।
शिवहर, जागरण संवाददाता। कोरोनाकाल में लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। लोगों को कोरोना संक्रमण के साथ मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ा। जिसके कारण लोगों के व्यवहार में भी बदलाव हुआ। हालांकि, अब जिले में पूर्व की अपेक्षा कोरोना संक्रमण का प्रसार कम हो गया है। लेकिन, संक्रमण अभी भी खत्म नहीं है। तरियानी प्रखंड में सर्वाधिक एक्टिव केस हैं। इसे देखते हुए जिले के तरियानी प्रखंड के माधोपुर छाता गांव के कुछ युवा, लोगों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक करने में लगे हुए हैं। गांव में घूम-घूम कर वे गांव के लोगो को कोरोना के प्रति जागरूक करने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा युवा सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों को सकारात्मक संदेश दे रहें है। यह प्रेरणादायी काम कर संजीव सिंह, विकास सिंह, संजय सिंह लोगों के लिए कोरोना वारियर बन गए हैं।
विकास सिंह ने कहा कि अप्रैल और मई के महीने में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या से गांव के लोग काफी परेशान हो गए थे। लेकिन हम युवाओं ने कमर कसी और इसका सुखद परिणाम निकला। आज ना सिर्फ गांव कोरोना मुक्त हो गया है, बल्कि लोग इसे लेकर जागरूक भी हो गए हैं। अब गांव से कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के बाहर नहीं निकलते हैं और सामाजिक दूरी का भी पालन करते हैं। लोगों में अब खुशी का माहौल है।
जागरूकता अभियान में बढ़-चढ़कर अपनी हिस्सेदारी निभाने वाले संजीव सिंह कहते हैं कि जब उनके जिला में कोरोना मरीज मिलने लगे तो उन लोगों ने सोचा कि जब इस बीमारी की कोई दवा नहीं है और जागरूकता से ही बचाव हो सकता है। इसके बाद कुछ युवाओं से मिलकर एक टोली बनाकर गांव के अलग-अलग हिस्से में घूमकर लोगों को जागरूक करने लगे। लोगों से हाथ धोने की अपील की। बिना मास्क के बाहर निकले लोगों को मास्क देना शुरू किया और सामाजिक दूरी का पालन करने के लिए कहा। इसका असर भी हुआ। गांव पूरी तरह से कोरोना संक्रमण से मुक्त है।
सिविल सर्जन डॉ आरपी सिंह ने बताया कोरोना काल में लोग संक्रमण से कम मौत के खौफ से डरते थे। जिसके कारण कई इलाकों में सामाजिक बहिष्कार की भी बातें सामने आई। लेकिन, जैसे जैसे लोगों में जागरूकता बढ़ने लगी, बहिष्कार, भ्रांतियों, अफवाहों आदि में कमी देखने को मिली। इन अभियानों में युवाओं की भूमिका अहम रही है। लोग उनकी बातों सुनते और समझते हैं।