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West Champaran News : जर्जर पुल में धंसा बस का पहिया, चालक की सूझबूझ से टला हादसा

बस में सवार यात्रियों में चिख पुकार मच गई। किसी तरह से सभी यात्रियों को बाहर निकाल लिया गया। एक बड़ा हादसा होने से टल गया। करीब 8 बजे रात में शाही बस पुल पार करने में ऐसी स्थिति बनी।

By DharmendraEdited By: Published: Tue, 03 Nov 2020 09:51 AM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 09:51 AM (IST)
West Champaran News : जर्जर पुल में धंसा बस का पहिया, चालक की सूझबूझ से टला हादसा
पश्चिम चंपारण में पुल में गिरने से बाल-बाल बची बस।

पश्चिम चंपारण, जेएनएन।  बेतिया से गौनाहा के सेरवा मस्जिदवा आने जाने वाली बस त्रिवेणी नहर पुल में फंस गई। उसका अगला पहिया लटक गया और पुल में गिरने से बाल-बाल बचा। हालांकि सवार यात्रियों में चिख पुकार  मच गई। किसी तरह से सभी यात्रियों को बस से बाहर निकाल लिया गया। एक बड़ा हादसा होने से टल गया। लोगों ने बताया कि करीब 8 बजे रात में शाही बस पुल को पार करने लगी, जिसमें ऐसी स्थिति बनी।

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चालक ने सूझबूझ से काम लिया और बस को बीच पुल पर रोक कर सभी यात्रियों को बस से बाहर निकला गया।  ग्रामीण प्रेम यादव, पूर्व मुखिया रंजन वर्मा,  नवीन खरवार ने बताया कि चालक की सूझबूझ से बस नहर मे गिरने से बची। अन्यथा बड़ी दुर्घटना हो जाती। लोगों का कहना है कि यह पुल काफी जर्जर हो चुका है। पुल की चौड़ाई कम है, रेङ्क्षलग टूटी है। पुल धराशाई होने के कगार पर है। लोग इसको लेकर कई बार आंदोलन में कर चुके हैं। फिर भी पुल नहीं बना। 

 दोमाठ नयका टोला में सड़क और पानी की समस्या बरकरार 

रामनगर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत गौनाहा प्रखंड के दोमाठ पंचायत का वार्ड नं 13 अवस्थित नयका टोला गांव। जहां विकास के लिए लोगों को इंतजार है। पहाड़ी बाल गंगा नदी के किनारे बसे इस गांव में पक्की सड़क, पेयजल और नाली की समस्याएं आज तक नहीं सुलझी। यह जनप्रतिनिधियों को आइना दिखा रही है। इस गांव में करीब 100 वोटर हैं। गांव हर वर्ष बरसात में आपदा की तबाही झेलता रहा है। जब भी बाल गंगा नदी में पानी बढ़ता है। गांव की सड़कों पर दो से तीन फीट पानी लग जाता है। इससे ग्रामीणों के सामने मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं। ग्रामीण अमित पटेल, लक्ष्मण निषाद, सुरेश ङ्क्षसह, भरत निषाद, लक्ष्मी नारायण पटेल ने बताया कि 2017 की बाढ़ में रामचंद्र निषाद का घर बह गया। लेकिन सरकार की तरफ से कोई मुआवजा भी नहीं मिला और ना ही सड़क तथा नदी से सुरक्षा का कोई उपाय किया गया। यहां सार्वजनिक चापाकल का भी घोर अभाव है। सड़क की हालत ऐसी कि हल्की सी पानी बरसने पर कीचड़ से आना जाना मुश्किल हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां नियमित रूप से रोशनी के लिए सोलर लाइट की व्यवस्था नहीं की गई। पिछड़ा, अति पिछड़ा बहुल इस गांव को जनप्रतिनिधियों ने हमेशा उपेक्षित रखा है। बता दें कि जंगल के समीप गांव होने के कारण वन्यजीवों से भी खतरा बना रहता है। अधिकांश: मेहनत मजदूरी करके जीविका चलाने वाले लोग यहां निवास करते हैं। लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधि चुनाव के समय ही गांव में दिखते हैं। 


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