बिहार विवि के दीक्षांत समारोह में दिखेगा पारंपरिक परिधानों का रंग
धोती व कुर्ता में छात्र और सलवार-कुर्ती में छात्राएं होंगी शामिल। मानद उपाधि से अलंकृत होंगी उत्कृष्ट कार्य करने वाली हस्तियां।
मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में 2015 के बाद चार साल पर दीक्षांत समारोह का 'योग' बन रहा। इस बार का यह समारोह कई मायने में यादगार होगा। विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देनेवाली शख्सियतों को मानद उपाधि से भी अलंकृत किए जाने का प्रस्ताव है। गाउन परंपरा आखिरकार खत्म हो रही। दीक्षांत के मौके पर डिग्रीधारियों के पहनावे को लेकर चौतरफा हो रहे विरोध-प्रदर्शनों के मद्देनजर आखिरकार भारतीय वेशभूषा को अपना लिया गया है। समारोह में टॉपर्स के साथ अतिथियों के वेशभूषा के लिए भी खास ड्रेस कोड तय किए गए हैं। छात्राएं डिजायनर सलवार-कुर्ती या साड़ी तो छात्र धोती-कुर्ता पहने नजर आएंगे।
ये होंगे छात्र-छात्राओं के लिबास
कुलाधिपति के लिए सुजानी कढ़ाई वाला कॉलर, लालधारी वाला पीला अंगवस्त्रम जिसपर यूनिवर्सिटी का लोगो लगा होगा। कुलपति और प्रतिकुलपति पीले रंग की पगड़ी, बंद कॉलर का जैकेट जिस पर कढ़ाई होगी, के साथ लाल बॉर्डर वाला पीला अंगवस्त्रम धारण करेंगे। वहीं, महिला स्नातक के लिए सफेद सलवार, लेमन येलो रंग की कुर्ती या लालधारी वाली साड़ी, लाल ब्लाउज, लेमन येलो मालवीय पगड़ी, यूनिवर्सिटी का लोगो लगा हुआ पीला अंगवस्त्रम तथा पुरुष स्नातकों के लिए सफेद कुर्ता पायजामा या धोती-कुर्ता, लेमन मालवीय पगड़ी, लालधारी वाला यूनिवर्सिटी का लोगो लगा हुआ पीला अंगवस्त्रम वेशभूषा होगा।
जनवरी से पहले दीक्षांत संभव नहीं
प्रतिकुलपति डॉ. आरके मंडल ने उन आशंकाओं व अफवाहों पर यह कहते हुए विराम लगा दिया है कि जनवरी से पूर्व किसी भी सूरत में दीक्षांत समारोह के लिए योग नहीं बन रहा। क्योंकि, इससे पहले पेंडिंग रिजल्ट जारी करना होगा। अभी पार्ट टू का रिजल्ट ही पेंडिंग है। यह हो तो पार्ट थर्ड की परीक्षा और रिजल्ट के बारे में सोचा जाए। राजभवन ने हालांकि, नवंबर-दिसंबर में ही हर हाल में दीक्षांत समारोह करने का आदेश दिया है। लेकिन, परीक्षा व रिजल्ट में विलंब के चलते इस विश्वविद्यालय में समारोह जनवरी से पहले मुमकिन नहीं दिखता। इसके अलावा दीक्षांत के लिए तमाम औपचारिकताएं भी पूरी करनी होती हैं, जिसके लिए काफी समय पहले संबंधितों को सूचना देनी होती है।