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AES : अभी गर्मी ढंग से शुरू हुई नहीं और छह बच्चे हो गए एईएस पीडि़त, जानें उनकी स्थिति Muzaffarpur News

AES पूर्वी चंपारण जिले के चिरैया निवासी रूपन सहनी की पुत्री सपना कुमारी व पश्चिमी चंपारण के बीरंजन कुमार को स्वस्थ होने पर अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 12:29 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 12:29 PM (IST)
AES : अभी गर्मी ढंग से शुरू हुई नहीं और छह बच्चे हो गए एईएस पीडि़त, जानें उनकी स्थिति Muzaffarpur News
AES : अभी गर्मी ढंग से शुरू हुई नहीं और छह बच्चे हो गए एईएस पीडि़त, जानें उनकी स्थिति Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। गर्मी की धमक के साथ ही एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) का कहर शुरू हो गया है। सोमवार की देर रात एसकेएमसीएच के पीआइसीयू वार्ड में गायघाट की कल्पना कुमारी को संदिग्ध एईएस मानकर भर्ती किया गया। अब तक इस सीजन में छह बच्चों में एईएस की पुष्टि हुई है। जिसमें सकरा प्रखंड के बाजी बुजुर्ग निवासी मुन्ना राम के पुत्र आदित्य कुमार की मौत हो चुकी है। वहीं पूर्वी चंपारण जिले के चिरैया निवासी रूपन सहनी की पुत्री सपना कुमारी व पश्चिमी चंपारण के बीरंजन कुमार को स्वस्थ होने पर अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है।

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नाम कटने के बाद हो गई बीमार

बताया गया कि कल्पना को दो अप्रैल को इलाज के लिए शिशु वार्ड में भर्ती किया गया था। छह अप्रैल को चिकित्सक की सलाह पर उसको अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। जब स्वजन घर जाने के लिए तैयारी कर रहे थे तो उसे चमकी आने लगी। इसके बाद उसे दोबारा भर्ती कराया गया। सिविल सर्जन डॉ.एसपी ङ्क्षसह ने कहा कि एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ.गोपाल शंकर साहनी की देखरेख में बच्चों का इलाज चल रहा है। कल्पना की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि वह एईएस से पीडि़त है या नहीं। फिलहाल संदिग्ध मानते हुए उसका बेहतर इलाज चल रहा है।

तीन का चल रहा इलाज

गायघाट प्रखंड के रामनगर के मो. सहजैदा का पुत्र मो. खुबैद व मोतिहारी के चकिया निवासी अरहान का इलाज अभी चल रहा है। अरहान को 29 मार्च को अस्पताल लाया गया। जबकि मो. खुबैद व पश्चिम चंपारण के रोमी कुमार को 31 मार्च को भर्ती किया गया। उसका भी इलाज अभी चल रहा है। चिकित्सकों की मानें तो स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। सभी को शरीर में ऐंठन व चमकी बुखार होने पर अस्पताल लाया गया। मालूम हो कि एईएस से बीते वर्ष 431 बच्चे बीमार होकर भर्ती हुए थे। 111 बच्चे मौत के मुंह में चले गए थे।  


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