कार्तिक स्नान की परंपरा का है खास महत्व, इन विधानों का भी रखें ख्याल
धार्मिक कार्यों के लिए शुभ है पूरा माह, नित्य सूर्योदय के पूर्व स्नान कर श्री हरि की करें पूजा।कार्तिक स्नान बुधवार से!
मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। कार्तिक मास धार्मिक कार्यों के लिए बहुत ही शुभ होता है। पूरे माह प्रतिदिन सूर्योदय के पूर्व किसी पवित्र नदी, तालाब या जलाशय में स्नान कर भगवान विष्णु की भक्तिभाव से पूजा की जाती। सनातन धर्म की परंपरा में कार्तिक स्नान को प्रमुख स्थान दिया गया है। इस माह मंदिर में जागरण, भजन-कीर्तन, दीपदान और तुलसी व आंवले के वृक्ष का पूजन महती फलदायी होता है।
आचार्यों का मानना है कि कार्तिक स्नान का अलग ही महत्व है। यह आश्विन मास की शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक किया जाता। इस बार यह बुधवार 24 अक्टूबर से शुरू हो रहा। इस मास में किया गया स्नान, दान और व्रत सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला है। शास्त्रों में यह मास भगवान विष्णु और शिव को अत्यंत प्रिय बताया गया है। इस मास में भगवान के निमित्त किए गए पुण्य कर्म का कभी नाश नहीं होता। कार्तिक मास में दिया गया दान अक्षय रूप में प्राप्त होता है।
उमेश नगर, जीरोमाइल के गुरुदेव नीरज बाबू बताते हैं कि कुछ नियमों का पालन किया जाए तो यह माह जहां धन का अभाव दूर कर हमें संपन्न करता है, वहीं दुखों और परेशानियों से छुटकारा भी दिलाता है।
ये करें उपाय
-पूरे माह सूर्योदय के पूर्व स्नान करें। स्नान करते समय गायत्री मंत्र का जप करें। इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है।
-इस माह में दीपदान का विशेष महत्व बताया गया है। स्नान के बाद तुलसी में जल देते हुए परिक्रमा करें। साथ ही, हर शाम तुलसी के नीचे घी का दीया जलाएं।
- इस माह में साफ-सफाई पर खूब ध्यान दिया जाता है। घर या आसपास गंदगी होना दुर्भाग्य लाता है।
- कार्तिक स्नान करनेवाले को इस माह तेल नहीं लगाना चाहिए।
- कार्तिक स्नान और व्रत करनेवालों को इस माह राई, खटाई और मादक वस्तुओं का त्याग कर देना चाहिए।
- मांसाहार, बासी या झूठा अन्न नहीं खाएं।
- कड़वे वचन, झूठ, ईष्र्या, द्वेष आदि से बचें। गुरु, स्त्री, महात्मा, देवता, ब्राह्मण आदि की निंदा नहीं करें।
- इस माह अन्न दान के अलावा केला तथा आंवले का दान करना चाहिए। सर्दी से परेशान व्यक्ति किसी गरीब को कपड़े और ऊनी वस्त्र दान करें।