इस गांव का हर युवा बनना चाहता सैनिक
पश्चिमी चंपारण के रामनगर प्रखंड का वनवर्ती मनचंगवा गांव जरा अलग है। किसान धरती का सीना चीर अन्न उपजाते हैं तो युवा देश की रक्षा के लिए सीमा पर प्रहरी बनने के लिए तैयार हो रहे हैं।
मुजफ्फरपुर। पश्चिमी चंपारण के रामनगर प्रखंड का वनवर्ती मनचंगवा गांव जरा अलग है। किसान धरती का सीना चीर अन्न उपजाते हैं तो युवा देश की रक्षा के लिए सीमा पर प्रहरी बनने के लिए तैयार हो रहे हैं। हर युवा की चाहत सैनिक बनने की। इसके लिए प्रतिदिन छह घंटे पसीना बहाते हैं। इन्हें ट्रेनिंग देने का काम करते हैं सेना, एसएसबी और बीएसएफ में शामिल गांव के ही जवान। छुट्टियों के घर आने पर वे तैयारी कर रहे युवाओं को टिप्स देते हैं। सफलता के लिए तैयारी कैसे करनी है, यह बताते हैं।
चार साल पहले हुई थी शुरुआत :
करीब 800 की आबादी वाले वनवर्ती मनचंगवा गांव में सेना में जाने का जज्बा वर्ष 2014 में यहां के युवाओं के दिल में तब समाया, जब धनंजय काजी का चयन एसएसबी में हुआ। फिर तो ऐसा जोश जगा कि एक-एक कर यहां के दो दर्जन से अधिक युवा एसएसबी, सेना, बीएसएफ और पुलिस में भर्ती हो गए। इनमें वीरेंद्र महतो, रंजीत कुमार, जितेंद्र काजी और कमलेश कुमार एसएसबी में हैं। वहीं धर्मेद्र महतो आर्मी में और उपेंद्र काजी व रंजीत कुमार बीएसएफ में हैं।
मध्य विद्यालय में जुटते हैं युवा :
अभी गांव के दो दर्जन युवा सेना में जाने के लिए कठिन मेहनत कर रहे हैं। सभी गांव के मध्य विद्यालय में सुबह और शाम तीन-तीन घंटे तैयारी में देते हैं। इस दौरान दौड़, लांग जंप और हाई जंप के साथ योग भी करते हैं। एसएसबी जवान धनंजय काजी हर छह महीने पर छुट्टी में जब गांव आते हैं तो इन युवाओं को प्रशिक्षण देते हैं। युवाओं की तैयारी को परखते हैं। अन्य जवान भी छुट्टियों में घर आने वाले युवाओं को प्रशिक्षित करते हैं।
अनुसूचित जाति-जनजाति बहुल इस गांव के युवा सुजीत कुमार, उपेंद्र महतो, छोटेलाल महतो और रितु कुमार का कहना है कि देश की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं। हम किसी भी सेक्टर में नौकरी के लिए प्रयास कर सकते हैं, लेकिन बस एक ही सपना है कि सेना में जाएं।
मनचंगवा, ब्रजकिशोर साह ने बताया कि गांव का बच्चा-बच्चा देश सेवा का सपना देखता है। अपनी मेहनत के दम पर कई युवाओं ने मंजिल हासिल की है। आशा है, यह क्रम आगे भी जारी रहेगा।