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अरे प्रबंधक साहब, भगवान भरोसे चल रहा सदर अस्पताल...

आउटडोर से चिकित्सक गायब बेड से मरीज बाथरूम में ताला और चारो ओर गंदगी। सीएस के निरीक्षण में अनुपस्थित मिले चिकित्सकों से जवाब-तलब वेतन काटने का निर्देश।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 26 May 2019 01:56 PM (IST)Updated: Sun, 26 May 2019 01:56 PM (IST)
अरे प्रबंधक साहब, भगवान भरोसे चल रहा सदर अस्पताल...
अरे प्रबंधक साहब, भगवान भरोसे चल रहा सदर अस्पताल...

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। अरे प्र्रबंधक साहब, यह अस्पताल तो भगवान भरोसे चल रहा है...। आउटडोर से चिकित्सक गायब, बेड से मरीज गायब, बाथरूम में ताला और चारो ओर गंदगी, आखिर कैसे काम चलेगा। यह टिप्पणी शनिवार को औचक निरीक्षण में पहुंचे सिविल सर्जन डा. शैलेश कुमार सिंह ने की। सिविल सर्जन ने निरीक्षण किया तो हर जगह पर समस्या दिखी। बच्चा वार्ड, मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, बच्चा वार्ड, दंत वार्ड, चमड़ा वार्ड तथा आयुष विभाग में चिकित्सक नहीं मिले।

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  जांच में पता चला कि आउटडोर के समय सभी चिकित्सक को रहना अनिवार्य है लेकिन जिस विभाग में दो चिकित्सक हैं वह अपना शिफ्ट बना लिये हैं। सुबह में कोई और दोपहर में कोई रहता या कुछ तो ऐसे जो हाजिरी बनाकर 'मटरगश्तीÓ करते रहते हैं। सिविल सर्जन ने तत्काल अनुपस्थित चिकित्सकों से जवाब-तलब करने तथा एक दिन का वेतन काटने का निर्देश दिया। निरीक्षण के क्रम में आउटडोर के प्रथम तल पर कचरे की बाल्टी भरी थी उसकी सफाई नहीं होने से बदबू आ रही थी।

  इसी तरह से शौचालय का हाल गंदगी ऐसी की वहां शौच जाने वाले खुद बीमार हो जाएं। सफाई एजेंसी के भुगतान से राशि कटौती करने का आदेश दिया। भोजन की क्वालिटी सुधार तथा जगह-जगह मिनू के प्रदर्शन करने की हिदायत दी ताकि मरीज को पता चले कि किस दिन क्या पथ्य में मिलेगा। 

 वार्ड के निरीक्षण में खाली बेड मिला। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि सरकार चिकित्सक, दवा, इलाज, भर्ती होने पर पथ्य सब सरकार निशुल्क दे रही है। चिकित्सकों की बेहतर टीम के बावजूद भी बेड खाली रहना चिंता की बात है। सुधार की नसीहत दी। लेबर रूम, टीकाकरण कक्ष में कर्मियों की उपस्थित रही।

एंबुलेंस के लिए नहीं मिले चिकित्सक

शनिवार को अचानक एक बजे वीआइपी सुरक्षा काफिला में एंबुलेंस की जरूरत पड़ी। न्यायालय की सूचना के बाद सिविल सर्जन ने तुरंत उपाधीक्षक डा.एनके चौधरी से पूछा तो उन्होंने कहा कि अभी चिकित्सक नहीं हैं। सीएस ने अधीक्षक से पूरी स्थिति की जानकारी देते हुए इसे दुखद बताया कि इमरजेंसी सेवा चुस्त-दुरूस्त नहीं है। अधीक्षक ने उपाधीक्षक को कहा कि अगर चिकित्सक नहीं तो आप खुद चिकित्सक हैं और एंबुलेंस लेकर जाएं। उसके बाद उपाधीक्षक निकल पड़े।  

एसकेएमसीएच के पीआइसीयू कक्ष में चिकित्सक तो दूर पिऊन भी नदारद
एसकेएमसीएच का पीआइसीयू कक्ष सिर्फ नर्स के भरोसे है। इस वार्ड में चिकित्सक की बात दूर पिऊन तक नदारद रहते हैं। कक्ष में चिकित्सकों की रोस्टर के तहत डयूटी लगी है। इसी तरह पिऊन की भी डयूटी है। नर्स की मानें तो माह समाप्ति के कगार पर है, लेकिन एक दिन भी पिऊन को नहीं पाया, जबकि उनकी उपस्थिति नियमित बनी है। किसी बच्चे की स्थिति गंभीर होने पर परिजन को स्वयं यहां-वहां दौड़ लगानी पड़ती है। शनिवार को पीआइसीयू में भर्ती शिवम कुमार (6) के परिजन की परेशानी देखते बन रही थी। यह भर्ती बच्चा सीतामढ़ी बाजपट्टी भगवानपुर के निरंजन ठाकुर का पुत्र है।
 इसे चिकित्सकों ने इमरजेंसी में देखने के साथ कई बीमारी से ग्रसित होना बताया। साथ ही भर्ती कर उसे पीआइसीयू में भेजते हुए तत्काल ब्लड चढ़वाने का परामर्श दिया। निरंजन ठाकुर पुत्र को ब्लड चढ़वाने के लिए यहां-वहां ब्लड सैंपल हाथ में लेकर दौड़ लगा रहे। ब्लड बैंक कर्मी ने उनका ब्लड लेकर जांच के बाद पीआइसीयू में पहुंचाया। इसके बाद बगैर चिकित्सक की मौजूदगी में नर्स ने रक्त चढ़ाना शुरू किया। 
 बताया गया कि मार्च में शिवम खेलने के दौरान आग से गंभीर रूप से झुलस गया था। वह पूरी तरह ठीक भी नही हुआ कि शुक्रवार को सांस की परेशानी बढ़ गई। शनिवार को दस्त होने लगे। चिकित्सकों ने जांच के बाद इसके शरीर में रक्त की मात्रा कम होना पाया।
  इस बारे में एसकेएमसीएच शिशु विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी ने कहा कि पीआइसीयू कक्ष में रोस्टर के तहत चिकित्सकों की ड्यूटी लगी है। इसके तहत कक्ष में चिकित्सक कार्य पर होते हैं। चिकित्सकों के नहीं होने की शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलने पर जांच के बाद कारण पूछा जाएगा।

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