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MUZAFFARPUR: स्वास्थ्य विभाग की बहाली में प्रशासनिक पदाधिकारी की भूमिका भी शक के घेरे में

स्वास्थ्य विभाग में घपला डीएम की स्वीकृति के बिना सामाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशक बने बहाली कमेटी के हिस्सा । अनियमितता सामने आने पर मामले ने पकड़ा तूल तो कहा धोखे में रखकर करा लिया दस्तखत।

By Murari KumarEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 07:45 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 07:45 AM (IST)
MUZAFFARPUR: स्वास्थ्य विभाग की बहाली में प्रशासनिक पदाधिकारी की भूमिका भी शक के घेरे में
स्वास्थ्य विभाग की बहाली में प्रशासनिक पदाधिकारी की भूमिका भी शक के घेरे में।

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न पदों पर 780 लोगों की बहाली में अनियमितता के लिए सिविल सर्जन एवं कार्यालय कर्मियों की संलिप्तता सामने आई थी। अब मामला जैसे-जैसे तूल पकड़ रहा इसकी परत-दर-परत खुलने लगी है। अनियमितताओं से भरी इस बहाली में एक प्रशासनिक पदाधिकारी की भूमिका भी सवाल के घेरे में आ गई है। सामाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशक ब्रज भूषण कुमार का नाम भी इस बहाली से जुड़ गया है। वे बहाली कमेटी में सदस्य के रूप में थे, लेकिन यहां महत्वपूर्ण यह है कि इसके लिए डीएम से स्वीकृति भी नहीं ली गई थी। बिना डीएम की स्वीकृति के एक प्रशासनिक पदाधिकारी का किसी दूसरे विभाग की कमेटी में शामिल होना संदेह को जन्म दे रहा है।

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मालूम हो कि कोरोना की रोकथाम को लेकर राज्य सरकार के आदेश पर जिले में एएनएम, लैब टेक्नीशियन, जीएनएम, ड्रेसर, डाटा इंट्री ऑपरेटर, वार्ड ब्वाय एवं आक्सीजन व आइसीयू आपरेटर के पदों पर 780 कर्मियों की दैनिक मानदेय पर बहाली हुई थी। इससे पहले जिला स्वास्थ्य समिति ने चिकित्सकों की बहाली की थी। बहाली की कमेटी में डीएम ने सामाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशक को एक सदस्य के रूप में रखा था। सिविल सर्जन कार्यालय ने इसी आधार पर दैनिक कर्मियों की बहाली में भी सहायक निदेशक को शामिल कर लिया, लेकिन इसके लिए डीएम की स्वीकृति नहीं ली गई। सहायक निदेशक ने भी इसकी अनदेखी करते हुए फाइल पर दस्तखत कर दिया। अब बहाली में अनियमितता की पुष्टि के बाद इसे रद कर दोषियों पर कार्रवाई का विभाग ने आदेश जारी किया है। ऐसे में सहायक निदेशक के भी कमेटी में शामिल होने पर सवाल उठ गया है।

इस मामले में सहायक निदेशक ने कहा कि बहाली कमेटी में उनका शामिल होना गलत था। यह धोखे में रखकर किया गया। बिना बताए उनसे फाइल पर दस्तखत करा लिया। इसके लिए डीएम के स्तर से स्वीकृति ली जानी आवश्यक थी। उन्होंने यह भी कहा कि बहाली के लिए जो सूची जारी हुई उसमें उनके दस्तखत नहीं हैैं।


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