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डीजल की तेजी से बढ़ रही कीमत ने बिगाड़ दिया खेती का गणित, किसान परेशान

डीजल की कीमतों में जारी वृद्धि ने धान की खेती का गणित ही बिगाड़ दिया है। हालत यह है कि एक एकड़ धान की खेती पर खर्च होने वाली 18 से 20 हजार राशि बढ़कर अब 25 हजार हो गई है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 01:04 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 01:04 PM (IST)
डीजल की तेजी से बढ़ रही कीमत ने बिगाड़ दिया खेती का गणित, किसान परेशान
डीजल की तेजी से बढ़ रही कीमत ने बिगाड़ दिया खेती का गणित, किसान परेशान

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। इलाके के किसानों का बदकिस्मती से नाता टूटता नजर नहीं आ रहा है। कभी बाढ़ तो कभी सूखे का कहर किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरता रहा है। इस साल बेमौसम बारिश, लॉकडाउन और अब डीजल की कीमतों में लगी आग ने किसानों की कमर तोड़ दी है। खरीफ की प्रमुख फसल धान की खेती का काम शुरू है। कोरोना के कारण लॉकडाउन के बाद बदली हुई परिस्थितियों में धान की खेती पर महंगाई का तड़का लगता दिख रहा है। डीजल की कीमतों में जारी वृद्धि ने धान की खेती का गणित ही बिगाड़ दिया है। हालत यह है कि एक एकड़ धान की खेती पर खर्च होने वाली 18 से 20 हजार राशि बढ़कर अब 25 हजार हो गई है।

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बारिश ने सिंचाई से राहत दी

खेत की जुताई से लेकर खाद-बीज की भी कीमतें बढ़ गई है। राहत की बात यह कि बारिश ने पटवन की चिंता कम कर दी है। पिछले साल प्रति कठ्ठा एक फेरा खेत की जुताई के लिए ट्रैक्टर का किराया 20 रुपये था। अब 25 से 30 रुपये लिए जा रहे हैं। पटवन प्रति कठ्ठा 125 रुपये से बढ़कर 160 रुपये हो गया है। मालवाहक वाहनों के किराया में 20 फीसद तक की वृद्धि हुई है। इसके चलते खाद-बीज व कीटनाशी की भी कीमतों में 20 फीसद तक का इजाफा हुआ है।

गाड़ी किराया बढऩे से दाम में वृद्धि

मुशहरी के किसान राम नरेश प्रसाद और गौतम कुशवाहा के अनुसार डीजल की कीमत में वृद्धि होने से खेत की जुताई, पटवन, कृषि सामग्री की ढुलाई, खाद, बीज और कीटनाशी तक की कीमतें बढ़ गई है। खाद दुकानदारों का तर्क है कि गाड़ी किराया बढऩे से दाम में वृद्धि हुई है। वैसे जिले में इस सीजन में सितंबर तक जिले में 35999 टन यूरिया समेत कुल 65602 टन उर्वरक चाहिए। इसके विरुद्ध अबतक महज 10183.635 टन उर्वरक की ही आपूर्ति हो सकी है।

प्रति हेक्टेयर बढ़ा पांच हजार का अतिरिक्त खर्च

जिले में 1.75 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। एक एकड़ खेत में धान की खेती पर 18 से 20 हजार रुपये का खर्च आता रहा है। डीजल की कीमत में वृद्धि और इसके चलते उत्पन्न महंगाई ने इस बार एक एकड़ में धान की खेती का खर्च 24 से 25 हजार रुपये कर दिया है। मजदूरी भी 100 रुपये तक बढ़ गई है। एक एकड़ में न्यूनतम 15 और अधिकतम 28 क्विंटल धान की उपज होती है। सामान्य विधि से 15, हाइब्रिड से 20 और श्री विधि से किसान 28 क्विंटल धान उपजाते रहे हैं। सरकारी स्तर पर धान का समर्थन मूल्य 1815 रुपये प्रति क्विंटल है। मुशहरी के किसान संजय कुमार बताते हैं कि इस बार बारिश ने पटवन की राह आसान कर दी है। लेकिन डीजल की कीमत बढऩे के चलते खेतों की जुताई व कृषि उपकरण के संचालन के लिए जेब पर चपत लग रही है।

सिंचाई पर प्रति हेक्टेयर तीन हजार का बोझ

जिले में शुक्रवार को मुजफ्फरपुर में डीजल की कीमत 77.42 रुपये प्रति लीटर रही। डीजल की कीमत में इजाफा का असर खेती पर पड़ रहा है। खेतों की जुताई, बुआई और रोपाई का काम चल रहा है, आने वाले समय में ट्रैक्टर समेत कृषि उपकरण और पटवन के लिए पंपिंग सेटों के संचालन का खर्च भी बीस फीसद बढ़ जाएगा। किसान जयप्रकाश सिंह की माने तो डीजल के वर्तमान दर के आलोक में प्रति एकड़ पटवन का खर्च तीन हजार रुपये बढ़ जाएगा।  


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