जनता को चाहिए भ्रष्टाचार मुक्त स्थायी विकास करने वाली सरकार
राजनीति के रंग में पूरी तरह रंग चुके हैं आम और खास विभिन्न मुद्दों पर खूब हो रहीं चर्चाएं। स्थानीय मुद्दों पर भारी पर रहे राष्ट्रीय मुद्दे दलों के घोषणा पत्रों पर भी बहस जारी।
मुजफ्फरपुर, [प्रमोद कुमार]। वैशाली लोकतंत्र की जननी रही है। यहां भी लोकसभा चुनाव की हलचल महसूस की जा रही है। आम और खास सभी राजनीतिक रंग में रंग चुके हैं। उनके बीच कई मुद्दों पर बहस छिड़ी हुई है। वर्तमान सरकार की सफलता-विफलता के साथ-साथ भावी योजनाओं के बारे में विमर्श हो रहे। सभी के अपने-अपने तर्क हैं। इनके बीच लोग स्थानीय मुद्दों पर भी चर्चा करने लगते हैं। इस चुनाव में मतदान का आधार स्थानीय मुद्दा होगा या राष्ट्रीय? लोग किस तरह की सरकार चाह रहे? इनके जवाब तलाशने हमारे संवाददाता साहेबगंज जाने वाली लोकल बस में सवार हुए। पेश है रिपोर्ट-
अब केवल सड़क, बिजली और पानी ही नहीं रहा मुद्दा
मैं बैरिया बस स्टैंड में साहेबगंज जाने वाली बस के खुलने का इंतजार कर रहा हूं। यहां से उत्तर बिहार के सभी जिलों के लिए बसें खुलती हैं। इस बीच वैशाली संसदीय क्षेत्र से गुजरते हुए साहेबगंज जाने वाली एक गाड़ी बस स्टैंड से बाहर निकली। मैं उसमें सवार हो गया। मेरे व्यवस्थित होने तक बस मुख्य सड़क पर पहुंच चुकी थी। इस बीच चुनावी चर्चा शुरू हो गई।
वैसे भी लोगों के मानस पटल पर चुनाव इस कदर छाया हुआ है कि लोग जब कभी आपस में बात करते हैं तो वे चुनाव की चर्चा ही करते हैं। मेरे बगल में बैठे बुजुर्ग सुमन मंडल ने कहा कि यह चुनाव अलग है। इस बार सड़क , नाली, पेयजल एवं बिजली मुद्दा नहीं है। लोग देश की सुरक्षा एवं विकास की बात कर रहे हैं। वे ऐसे प्रत्याशी को चाह रहे हैं जो भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का वादा करे।
दूसरी ओर बैठे युवा राजीव कुमार भी इस चर्चा में शामिल हो जाते हैं। बोले, यह चुनाव स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय हित से भी जुड़ा है। युवाओं को रोजगार चाहिए। उसे पलायन से परेशानी है। वह स्थानीय तौर पर कुछ करना चाहता है। युवाओं को ऐसा ही प्रतिनिधि चाहिए। इन चर्चाओं के बीच बस कब मड़वन चौक पहुंची, पता ही नहीं चला।
राजनीतिक दलों के वादे पर मंथन
बस जब यहां से आगे बढ़ी तो मैंने अपनी सीट बदल ली। साहेबगंज जा रहे किसी दूसरे यात्री के बगल में बैठ गया। इस बार चुनावी चर्चा शुरू हुई तो आधा दर्जन यात्री उसमें शामिल हो गए। बहस दो प्रमुख राजीतिक दलों के घोषणा पत्रों पर होने लगी। पंकज कुमार कर्ण ने कहा कि लोग भावना में बह जाते हैं और राजनीतिक दल उसका फायदा उठाते हैं। अपने घोषणा पत्र में जनता को हवाई किला दिखाकर आकर्षित किया जाता है। बगल में बैठे बुजुर्ग रघुनंदन चौधरी ने कहा कि अब जनता जागरूक हो चुकी है। वह किसी बहकावे में नहीं आने वाली। चर्चा में शामिल अशोक कुमार ने कहा कि जनता को स्थायी विकास चाहिए, खैरात नहीं।
स्थानीय मुद्दों की कसौटी पर भी कसे जा रहे उम्मीदवार
बस साहेबगंज चौक पहुंच चुकी थी। मैं वापस मुजफ्फरपुर आने के लिए दूसरी बस में सवार हो गया। इस बस में शहर आने वाले लोग सवार थे। बस खुलते ही एकबार फिर चुनावी चर्चा शुरू हो गई। लेकिन इस बार चर्चा का विषय स्थानीय मुद्दा था। साहेबगंज के सुशील सिंह ने कहा कि चाहे कोई भी सरकार हो, मोतीपुर चीनी मील चालू नहीं कर पाई। संजय ठाकुर ने कहा कि नील गाय से हर गांव के किसान परेशान हैं। दिन-रात नील गायों से फसल को बचाने के लिए रखवाली करनी पड़ रही है।
सरकार ने इसको गंभीरता से नहीं लिया। किसान की बात आते ही राज किशोर सिंह भी चर्चा में कूद पड़े। कहा कि कोई किसानों के कर्ज माफी की बात करता है तो कोई उनके बैंक खाते में राशि भेजने की। सरकार केवल सिंचाई, बीज एवं खाद की व्यवस्था के साथ-साथ उत्पाद का उचित दाम दे तो किसान समृद्ध हो जाएंगे। इन्हीं चर्चाओं के बीच मैं शहर पहुंच गया।