गर्मी की धमक के साथ ही एईएस से 'जंग' का एलान
सभी पीएचसी प्रभारी से मांगी गई रिपोर्ट हर सप्ताह होगी समीक्षा। आठ साल में 1134 हुए बीमार 344 बच्चों की हो चुकी है मौत। इस बार भी लक्षण के आधार पर ही होगा इलाज।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। गर्मी में जानलेवा एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस से बच्चों को बचाने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है। हर सप्ताह एक पीएचसी में इस बीमारी की तैयारी व ताजा स्थिति को लेकर समीक्षा होगी। सिविल सर्जन डॉ.शिवचंद्र भगत ने सभी पीएचसी प्रभारी से अलग वार्ड बनाने के साथ-साथ वहां पर चल रही तैयारी व आवश्यकता पर रिपोर्ट मांगी है।
जिला वेक्टरजनित रोग पदाधिकारी खुद प्रतिदिन इसकी प्रगति पर नजर रखेंगे। बच्चों को बचाने के लिए यूनिसेफ की टीम सहयोग कर रही है। उधर, एसकेएमसीएच में बीमारी की जांच के लिए विशेष लैब खोलने की कवायद चल रही है।
बच्चों के लिए भयावह है बीमारी
गर्मी में होनेवाली यह बीमारी बच्चों के लिए जानलेवा है। अगर समय पर इलाज नहीं हुआ तो बच्चे की मृत्यु हो जाती है। विभागीय रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले आठ साल में इससे 1134 बच्चे बीमार हुए। इसमें 344 बच्चों की मौत हो चुकी है। तापमान बढऩे के साथ यह बीमारी शुरू होती है और बरसात होने के साथ विराम लग जाता है। मरीजों के परिजन का मानना है कि इसका नाता मौसम यानी गर्मी से है।
इधर, शोध में कोई कारण पता नहीं चलने से इस साल भी लक्षण देखकर इलाज होगा। पिछले साल इस बीमारी का सीमावर्ती नेपाल के साथ उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी व वैशाली में प्रभाव रहा था।
किस साल कितने मरीज
साल-मरीज--मौत
2010-59--24
2011-121-45
2012--336--120
2013-124--39
2014--342--86
2015--75--11
2016--30---04
2017--09---4
2018- 35---11
इस बारे में सिविल सर्जन डॉ.शिवचन्द्र भगत ने कहा कि बीमारी के कारण का पता अब तक के शोध में नहीं चल पाया है। इसलिए इस बार भी लक्षण देखकर ही इलाज होगा। सभी अस्पताल में जांच, दवा व इलाज की व्यवस्था रहेगी। सभी प्रभारी से तैयारी के संबंध में जानकारी मांगी गई है।