बिना कुलपति आदेश के प्रधानाचार्य ने ठीकेदार को दे दी महाविद्यालय की जमीन, जानिए पूरा मामला Darbhanga News
पूर्वी चंपारण के बेदीबन मधुबन स्थित ऋषिकुल ब्रह्मचार्याश्रम संस्कृत महाविद्यालय व राजकीय संस्कृत महाविद्यालय काजीपुर पटना के प्रधानाचार्यों पर कसा शिकंजा। इसे लेकर राजभवन गंभीर।
दरभंगा [संजय कुमार उपाध्याय]। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के राजकीय संस्कृत महाविद्यालय काजीपुर, पटना के पूर्व प्रधानाचार्य द्वारा विभागीय नियमों की अनदेखी कर महाविद्यालय की जमीन का एक भाग वुडको के संवेदक को बिना किराया निर्धारण के ही दे दिए जाने का मामला सामने आया है। यह पर्दाफाश राज्यपाल सचिवालय के अपर सचिव द्वारा 13 मई 2020 को महाविद्यालय का निरीक्षण करने के बाद हुआ है। इस गड़बड़ी को लेकर राजभवन गंभीर हुआ है। राजभवन की ओर से विश्वविद्यालय को एक पत्र जारी किया गया है जिसमें निरीक्षण के दौरान सामने आई गड़बड़ी व अनियमितताओं का हवाला देते हुए सभी तथ्यों के आलोक में कार्रवाई करने कहा है ।
राजभवन की ओर से जारी पत्र के आलोक में विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव निशिकांत प्रसाद सिंह ने राजकीय संस्कृत महाविद्यालय काजीपुर, पटना के पूर्व व पूर्वी चंपारण के बेदीबन मधुबन स्थित ऋषिकुल ब्रह्मचार्याश्रम संस्कृत महाविद्यालय प्रधानाचार्य डॉ. आरपी चौधुर एवं पटना के ही वर्तमान प्रधानाचार्य डॉ. मनोज कुमार से स्पष्टीकरण पूछा है। सूत्रों के अनुसार उप कुलसचिव ने श्री चौधुर व श्री कुमार को भेजे पत्र में कहा है कि पत्र प्राप्ति के सात दिनों के अंदर वे अपना जवाब विश्वविद्यालय को दें। ताकि, राजभवन को वस्तु स्थिति से अवगत कराया जा सके। उप कुलसचिव के पत्र के बाद विश्वविद्यालय में इस गड़बड़ी को लेकर अटकलें तेज हैं। माना जा रहा है कि दोष सिद्ध होने पर दोनों प्रधानाचार्यों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है।
काजीपुर पटना में बिना किराया संवेदक को दी है एक एकड़ जमीन
सूत्र बताते हैं कि श्री चौधुर जब पटना के काजीपुर स्थित राजकीय संस्कृत महाविद्यालय में प्रधानाचार्य के पद पर थे तभी उन्होंने करीब एक एकड़ जमीन वुडको के संवेदक को बिना किराया के ही दे दी। बावजूद इसके कि इसके लिए उन्हें विश्वविद्यालय के कुलपति का आदेश लेना था। इस बीच जब राज्यपाल के अपर सचिव राम अनुग्रह नारायण सिंह ने निरीक्षण किया तो सारी बातें सामने आई। पत्र में कहा गया है कि ऐसा किया जाना प्रशासनिक व्यवस्था एवं वित्तीय अनुशासन के प्रतिकूल है। रजभवन ने इसे घोर आपत्तिजनक माना है।
प्रधानाचार्य श्री कुमार पर आरोप है कि उन्होंने भी इस मामले में अनदेखी की और जमीन खाली कराने के लिए कोई पहल नहीं की। इससे विश्ववविद्यालय को आर्थिक क्षति हो रही है।
उल्लेखनीय है कि दोनों प्रधानचार्यों से कहा गया है कि समय पर जवाब नहीं देने से यही समझा जाएगा कि आपको इस मामले में कुछ भी नहीं कहना है।
वहीं,बताया गया है कि श्री चौधुर एवम श्री कुमार का जवाब आने के बाद इस मामले में आवश्यक कार्रवाई विश्वविद्यालय की ओर से सुनिश्चित कराई जाएगी। फिलहाल कोई भी इस मामले में कुछ भी बताने से परहेज कर रहा है।