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जागरण विमर्श : नई शिक्षा नीति हो ऐसी कि नौकरी खोजने वाला नहीं वरन नौकरी देने वाले बने विद्यार्थी

रोजगारपरक शिक्षा में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की जरूरत।शिक्षकों को भी अपने दायित्व को समझना होगा विद्यार्थियों व अभिभावकों में भी जागरूकता जरूरी।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 07:58 AM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 07:58 AM (IST)
जागरण विमर्श : नई शिक्षा नीति हो ऐसी कि नौकरी खोजने वाला नहीं वरन नौकरी देने वाले बने विद्यार्थी
जागरण विमर्श : नई शिक्षा नीति हो ऐसी कि नौकरी खोजने वाला नहीं वरन नौकरी देने वाले बने विद्यार्थी

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से सरकार नई शिक्षा नीति ला रही है। इस वर्ष के अंत तक नई शिक्षा नीति के लागू हो जाने की संभावना है। नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाएगी। इस नई नीति में पांच बिंदुओं को मूल रूप से शामिल किया गया है। इसमें हर आदमी की उसमें पहुंच हो। सभी को शिक्षा का समान अवसर मिले। इसमें भेदभाव नहीं हो और गुणवत्ता का तत्व भी हो। शिक्षा सभी तक आसानी से पहुंचे इसके लिए इसमें एफोर्डिबिलिटी हो, यानी सबके सामथ्र्य लायक यह हो। साथ ही इसमें एकाउंटेबिलिटी यानी दायित्वबोध भी हो। ये बातें दैनिक जागरण कार्यालय में 'देर से आ रही नई शिक्षा नीति दुरुस्त कैसे बनेÓ विषय पर सोमवार को आयोजित 'जागरण विमर्श कार्यक्रम में यूजीसी ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट सेंटर (एचआरडीसी) के निदेशक डॉ.मनेंद्र कुमार ने कहीं।

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स्किल डेवलपमेंट पर हो जोर 

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में स्किल डेवलपमेंट पर जोर हो ताकि विद्यार्थियों को पढ़ाई के बाद रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़े। वे आत्मनिर्भर बन जाएं और नौकरी की तलाश के बदले दूसरों को नौकरी दें। नई शिक्षा नीति में गांवों तक शिक्षा पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। क्योंकि, जबतक गांवों तक शिक्षा नहीं पहुंचेगी देश का संपूर्ण विकास हो पाना मुश्किल है।

दो लाख लोगों ने दिए सुझाव 

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से लागू होने वाली नई शिक्षा नीति में विशेषज्ञों ने कुछ खामियां भी बताईं हैं। इसको लेकर दो लाख लोगों ने इसमें संशोधन के सुझाव भी दिए हैं।

कक्षाओं में कैसे पहुंचे विद्यार्थी, यह चुनौती 

वर्तमान परिदृश्य और उच्च शिक्षा के लगातार गिर रहे स्तर को देखते हुए नई शिक्षा नीति कारगर साबित होगी, लेकिन नई शिक्षा नीति के लिए कई चुनौतियां भी हैं। स्कूल और कॉलेजों की कक्षाओं से विद्यार्थियों का विमुख होना सर्वाधिक चिंता का विषय है। इसके लिए शिक्षकों को भी तैयार होना पड़ेगा और विद्यार्थियों में भी जागरूकता लाने की जरूरत है कि वे कक्षाओं में आएं और शिक्षकों को भी कक्षा में आने के लिए मजबूर करें।

वर्तमान शिक्षा नीति राजनीति से ओतप्रोत 

वर्तमान शिक्षा नीति को राजनीति ने पूरी तरह जकड़ लिया है। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सबकुछ हो रहा लेकिन पढ़ाई नहीं हो रही। नई शिक्षा नीति को स्वच्छ और साफ राजनीतिक चश्मे से देखने की जरूरत है। पहले कुलपतियों के चयन के लिए विद्वान लोगों को आग्रहपूर्वक बुलाया जाता था, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में कुलपति के चयन में राजनीतिक दबाव आदि भी होता है।

अभिभावकों को भी जागरूक करने की जरूरत

 विद्यार्थियों के साथ उनके अभिभावकों को भी जागरूक करने की जरूरत है। बच्चों को सिर्फ अधिक अंक लाने और डॉक्टर, इंजीनियर बनाने पर ही जोर नहीं देना चाहिए। विद्यार्थियों को उनकी रुचि, प्रतिभा के मुताबिक आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि वे अपनी पसंद के क्षेत्र में मिसाल कायम कर सकें।  


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