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शिवहर : उपेक्षित है तरियानी छपरा की धरती, यहां 30 अगस्त 1942 को हुई थी जालियांवाला बाग जैसी घटना

Sheohar News 30 अगस्त 1942 को आजादी के दीवानों की खून से लाल हुई थी तरियानी छपरा की धरती। स्वतंत्रता दिवस गणतंत्र दिवस और अगस्त क्रांति दिवस पर हर साल स्मारक के विकास का मुद्दा उठता है। लेकिन अब भी ये जगह उपेक्षा का शिकार है।

By Murari KumarEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 10:23 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 10:23 AM (IST)
शिवहर : उपेक्षित है तरियानी छपरा की धरती, यहां 30 अगस्त 1942 को हुई थी जालियांवाला बाग जैसी घटना
शिवहर : उपेक्षित हैं तरियानी छपरा शहीद स्मारक।

शिवहर, जागरण संवाददाता। जिले के तरियानी प्रखंड अंतर्गत तरियानी छपरा स्थित शहीद स्मारक उपेक्षा का शिकार है। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और अगस्त क्रांति दिवस पर हर साल यहां समारोह का आयोजन कर शहीदों को श्रद्धा के पुष्प अर्पित किए जाते है। हर साल स्मारक के विकास का मुद्दा उठता है। लेकिन फिर लोग भूल जाते है।

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अंग्रेजों की गोली से दस सपूतों की गई थी जान 

बताते चलें कि 30 अगस्त 1942 को बेलसंड में अंग्रेजों की कोठी पर तिरंगा फहराकर आजादी के दीवानों ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी थी, हालांकि, जवाबी कार्रवाई में अंग्रेजों ने देश की आजादी की सबसे बड़ी कीमत भी वसूली थी। अंग्रेजों ने 30 अगस्त 1942 को शिवहर जिले के तरियानी छपरा गांव में धावा बोल कर देश को आजादी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए सभा कर रहे निहत्थे आंदोलनकारियों पर ठीक उसी तरह गोलियां बरसाई थी, जैसे जालियां वाले बाग में गोलियां चली थी। अंग्रेजों की गोली से दस सपूतों की जान गई थी। इससे पहले सपूतों ने अंग्रेजों की नींव हिला दी थी।

 शिवहर जिला उस वक्त सीतामढ़ी के साथ मुजफ्फरपुर जिला का अंग था। बेलसंड में अंग्रेजों की कोठी व थाना था। जब पूरे देश में भारत छोड़ों आंदोलन चल रहा था, तो इस इलाके में भी आंदोलन चरम पर था। आंदोलनकारियों ने 30 अगस्त को बेलसंड थाना व अंग्रेजों की कोठी पर हमला बोल बंदूक लूट ली थी। पचास की संख्या में पहुंचे आंदोलनकारियों ने बेलसंड तरियानी के बीच बागमती नदी पर स्थित मारड़ पुल को भी उड़ा दिया था। इस कार्रवाई में बलदेव साह, सुखन लोहार, बंशी ततमा, परसत साह, सुंदर महरा, छठु साह, जयमंगल सिंह व नवजात सिंह समेत दस लोग शहीद हो गए थे। जबकि, 35 लोग जख्मी हुए थे।

 अंग्रेजों ने दर्जनभर आंदोलनकारियों को जेल में बंद कर दिया था। लंबे समय तक इलाका उपेक्षित रहा। बाद में यहां शहीद स्मारक का निर्माण कराया गया। जहां शिलापट पर शहीदों का नाम अंकित किया गया। तरियानी छपरा गांव में शहीदों की याद में बनाया गया स्मारक न केवल युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है, बल्कि गुलामी की दासता से देश को मुक्ति दिलाने के लिए दी गई कुर्बानियों की याद दिला रहा है। यह बात दीगर है कि इस स्थल का जितना विकास होना चाहिए था, वह नहीं हो पाया है।


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