आम की पैदावार पर खतरा, लगा मधुआ रोग, गिर रहे पेड़ों में लगे मंजर
आम के मंजर पर कीड़ों का प्रकोप तैयार नहीं हो पा रहा टिकोला। नमी की कमी से आम को हल्की सिंचाई की जरूरत। किसान पौधा संरक्षण विभाग के चक्कर लगा रहे हैं।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। उत्तर बिहार लीची के बाद आम के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। जिले का मालदा, सीपिया, गोपाल, भोग आदि आधा दर्जन आम की ऐसी क्वालिटी हैं, जो पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। लेकिन, इस सीजन में इसकी गुणवत्ता पर ग्रहण लग गया है। मधुआ कीटों के प्रकोप से पेड़ों में लगे मंजर गिर रहे हैं। किसान पौधा संरक्षण विभाग के चक्कर लगा रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन की मार का न केवल परंपरागत फसलें बल्कि फलों के उत्पादन पर भी दुष्प्रभाव पड़ा है। हालत यह हो गई कि इस बार आम में जनवरी में ही मंजर आ गया था। यह खतरे की घंटी थी। ठंड के मौसम में मंजर नहीं लगता। इसे जनवरी के अंतिम से लेकर फरवरी के प्रथम सप्ताह तक लगना चाहिए था।
ऐसे हो रहा प्रकोप
विगत एक माह में गर्मी में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव का असर आम पर पड़ा। इसके कारण मंजर पर मधुआ रोग लग गया। कीट मंजर को चाट रहे हैं। इससे टिकोला ही नहीं तैयार हो रहा। जबकि, दो माह पूर्व मंजर आने पर अब टिकोला पूरी तरह तैयार हो जाना चाहिए था।
सिंचाई की भी जरूरत
इस बार बारिश कम होने से जमीन में नमी की कमी हो गई है। लिहाजा गर्मी और बढऩे से आम की जड़ों को नमी देना जरूरी है। इसके लिए हल्की सिंचाई होनी चाहिए।
परेशान हुए किसान
कटरा के प्रगतिशील किसान अशोक शर्मा व कुढऩी के संतोष कुमार का कहना है कि हम लोग लगातार मौसम की मार झेल रहे हैं। इस बार आम की फसल काफी अच्छी होने की संभावना थी। लेकिन, मौजूदा स्थिति परेशानी बनी है। पौधा संरक्षण विभाग को सक्रिय होना चाहिए। ऐसी स्थिति में आम की अच्छी पैदावार पर खतरा है। तिरहुत प्रमंडल कृषि विभाग के पौधा संरक्षण विभाग के उप निदेशक गोपाल प्रसाद ने कहा कि आम के मंजर पर मधुआ रोग की जानकारी मिली है। इसकी रोकथाम के लिए अलर्ट जारी होगा।