राजेश की सोच उन्हें देती ग्लोबल प्लेटफॉर्म, व्यक्तिगत जीवन में भगवान बुद्ध के हिमायती
सिंगापुर में भी दिखा चुके जौहर, थाईलैंड में इंटरनेशनल इकोनॉमिक समिट में राजेश को मिला इंटरनेशनल लीडरशिप इनोवेशन एक्सीलेंस अवार्ड।
मुजफ्फरपुर, [अजय पांडेय]। सोच ऊंची और वैश्विक। मन, कर्म, वचन और व्यवहार से अनुशासित। सामाजिक-आर्थिक द्वंद्व में भगवान बुद्ध का अनुसरण। इन्हीं खासियत की वजह से राजेश शाही आज शिखर पर हैं। सफलता इनके इर्द-गिर्द घूमती। कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार पाने के बाद भी इनका आदर्श जीवन औरों के लिए मिसाल है। यह कहानी-औराई प्रखंड के शाही मीनापुर निवासी मैकेनिकल इंजीनियर राजेश कुमार शाही की है। एक छोटी सी कंपनी से जीवन की शुरुआत करनेवाले राजेश आज शिपिंग कंपनी की बड़ी हस्ती हैं।
उनकी सोच उन्हें ग्लोबल प्लेटफॉर्म देती है। जब वे कहते हैं कि सिर्फ दक्षिण पूर्व एशिया के तकरीबन 120 करोड़ बुद्ध के अनुयायी अगर एक साथ मिल-जुलकर कार्य करें तो ऐसे में ये लोग विश्व के बाकी देशों को रास्ता दिखा सकते हैं। बुद्ध को हमारी धरती पर ज्ञान प्राप्त हुआ, लेकिन हम उनके आदर्शों को आत्मसात नहीं कर रहे। जबकि, कई अन्य देश उनके पदचिह्नों को अख्तियार कर चुके हैं।
लीडरशिप एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित
25 नवंबर 2018 को इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक स्टडीज (आइईएस), नई दिल्ली द्वारा बैंकाक, थाईलैंड में आयोजित इंटरनेशनल इकोनॉमिक समिट में राजेश कुमार शाही को इंटरनेशनल लीडरशिप इनोवेशन एक्सीलेंस अवार्ड से नवाजा गया। गोल्ड मेडल भी दिया गया। उनकी कंपनी ग्लोरी शिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई को भी खिताब मिला। वे इसके व्यवस्थापक निदेशक हैं। यह पुरस्कार थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री कॉर्न डब्बारांसी, राजकुमारी इसाबेले लफ्फोरगे व जेनरल ऑफ थाईलैंड जे. फटसोरन इस्सरनगकुर ने संयुक्त रूप से प्रदान किया।
इसके पूर्व उन्हें इसी साल मई में दुबई में ग्लोबल आउटस्टैंडिंग लीडरशिप अवार्ड मिल चुका है। 28 सालों के शिपिंग अनुभव में वे सिंगापुर में भी अपने ज्ञान व कौशल का जौहर दिखा चुके हैं। फिलहाल, वे इंडियन कोस्टल कांफ्रेंस शिपिंग एसोसिएशन (आइसीसीएसए) के निर्वाचित सदस्य हैं। आइसीसीएसए के पोट्र्स एंड ऑफशोर की उपसमिति के अध्यक्ष भी।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी
राजेश का परिवार स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा रहा है। पिता रामदेवन शाही का इनके जीवन पर अमिट छाप है। अपने गांव शाही मीनापुर में छठी तक पढ़ाई करनेवाले राजेश शाही ने 10वीं पूसा, समस्तीपुर से करने के बाद 12वीं इलाहाबाद से की। एनआइटी, राउरकेला से मैकेनिकल इंजीनियङ्क्षरग करने के बाद उन्होंने आइआइएम, अहमदाबाद से लॉजिस्टिक मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की। फेरीबी मरीन, सिंगापुर से इंटरनेशनल सेफ्टी मैनेजमेंट करने के बाद उन्होंने इंडो-यूरोपियन वर्कशॉप ऑफ मैनेजिंग स्ट्रेटजिक एलायंस का भी नेतृत्व किया।
जनसरोकारों में भी अग्रणी भूमिका
ऐसा नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय ख्याति व ग्लोबल पटल पर बुलंदी का झंडा गाड़ चुके राजेश अपनी जन्मभूमि को बिसार दिए हैं। उन्हें आज भी गांव-जवार के लोग उतने ही अपने व प्रिय हैं, जितना बचपन में हुआ करते थे। जरूरतमंदों के लिए गांव में पैतृक आवास पर एंबुलेंस की व्यवस्था है। इसकी सुविधा निश्शुल्क है। हर साल छठ पूजा में भी अपनी तरफ से निश्शुल्क व्यवस्था कराते। जरूरत के मुताबिक धोती, साड़ी, फल आदि का वितरण करते हैं।