मुजफ्फरपुर की सड़कों व गलियों में जमा कचरा इस तरह शहरवासियों के सेहत को कर रहा खराब
शनिवार को मतदान एवं रविवार को अवकाश होने के कारण कहीं से भी कचरे का उठाव नहीं हो पाया। नगर प्रबंधक ओम प्रकाश का कहना है कि सोमवार से शहर की नियमित सफाई होगी। जमा कचरे के निष्पादन का तेजी लाई जाएगी।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। चुनाव कार्य में निगमकर्मियों के लगे रहने के कारण बीते एक सप्ताह से शहर की सफाई व्यवस्था पटरी उतर गई है। न डंपिंग स्थलों पर जमा कचरे का नियमित उठाव हो पा रहा है और न हीं सड़कों पर झाड़ू लग पा रहा है। इस कारण शहर में जगह-जगह कचरे का अंबार लग गया। जमा कचरा शहरवासियों की सेहत खराब कर रहा है। शनिवार को मतदान एवं रविवार को अवकाश होने के कारण कहीं से भी कचरे का उठाव नहीं हो पाया। नगर प्रबंधक ओम प्रकाश का कहना है कि सोमवार से शहर की नियमित सफाई होगी। जमा कचरे के निष्पादन का तेजी लाई जाएगी।
फिलहाल स्मार्ट सिटी का दर्जा प्राप्त कर चुके शहर की सेहत सड़कों एवं गलियों में जमा कचरा खराब कर रहा है। जमा कचरे न सिर्फ हवा को दूषित कर रहा है बल्कि मच्छरों को पैदा कर रहा है। इससे लोग डेंगू एवं अन्य रोगों के शिकार हो रहे हैं। कचरे से उठ रही सड़ांध हवा में जहर घोल रहीे है। ससमय कचरे का निष्पादन नहीं होने पर लोग कचरे में आग लगा दे रहे हंै। इससे शहर में प्रदूषण का ग्राफ बढ़ रहा है।
निगम का कमजोर कचरा प्रबंधन
35 वर्ग किमी में फैला शहर। 60 हजार मकान और पांच लाख की आबादी। प्रतिदिन ढाई सौ टन कूड़े का उत्सर्जन। निष्पादन की जिम्मेदारी नगर निगम की। लेकिन, निगम शहर से निकलने वाले कचरे के प्रबंधन में विफल साबित हुआ है। शहर की सफाई को लेकर पिछले एक दशक में दर्जनों योजनाएं बनाई गईं। कुछ कागजों पर रह गईं, कुछ शुरू तो हुईं लेकिन दो कदम चलने के बाद भटक गईं। वर्तमान में शहर की सफाई की हालत यह है कि करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। प्रमुख इलाकों की तो सफाई हो भी जाती, लेकिन मोहल्ले व गलियों को कौन पूछता है।
400 की आबादी पर एक सफाईकर्मी
शहर की सफाई का जिम्मा निगम के 1200 स्थायी व दैनिक सफाईकर्मियों पर है। यानी 400 की आबादी पर एक सफाईकर्मी। शहर के प्रत्येक वार्ड में 13-13 सफाईकर्मियों की टीम तैनात है। इनमें सड़कों पर झाड़ू देने वाली महिलाएं भी शामिल हैं। नाला की उड़ाही व कूड़े के उठाव के लिए भी अलग से सफाईकर्मी तैनात हैं। सिस्टम को चलाने के लिए सौ से अधिक वार्ड जमादार, अंचल निरीक्षक व अन्य लोग हैं। लेकिन, मानव संसाधन के बेहतर प्रबंधन में निगम अक्षम साबित हो रहा है।